World Theatre Day: विश्व रंगमंच दिवस 2025, जानिए नाटक और थिएटर की विरासत
World Theatre Day: हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) मनाया जाता है। यह दिन रंगमंच और नाट्य कला के महत्व को रेखांकित करने के लिए समर्पित है।
World Theatre Day: थिएटर का जादू और उसकी महिमा, विश्व रंगमंच दिवस विशेष
World Theatre Day: हर साल 27 मार्च को विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) मनाया जाता है। यह दिन रंगमंच और नाट्य कला के महत्व को रेखांकित करने के लिए समर्पित है। यह दिवस न केवल थिएटर कलाकारों बल्कि रंगमंच प्रेमियों के लिए भी बेहद खास होता है। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य थिएटर के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे समाज में अधिक प्रभावशाली बनाना है।
विश्व रंगमंच दिवस का इतिहास
विश्व रंगमंच दिवस की शुरुआत 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट (ITI) द्वारा की गई थी। ITI की स्थापना UNESCO के सहयोग से हुई थी और इसका उद्देश्य दुनिया भर में रंगमंच और प्रदर्शन कलाओं को बढ़ावा देना था। पहली बार यह दिवस 1962 में मनाया गया, और तब से हर साल इस दिन को नाट्यकला के सम्मान में विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है। इस दिन को खास बनाने के लिए ITI हर साल एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार या लेखक से “विश्व रंगमंच दिवस संदेश” जारी करवाता है, जो थिएटर की संस्कृति, समाज में इसकी भूमिका और इसकी शक्ति को दर्शाता है।
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थिएटर का महत्व
रंगमंच केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह समाज को जागरूक करने और महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करने का एक शक्तिशाली माध्यम भी है। थिएटर के माध्यम से सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सकता है। थिएटर कई सामाजिक मुद्दों को उजागर करता है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करता है। थिएटर एक महत्वपूर्ण कला रूप है, जो विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को संरक्षित करने में मदद करता है।
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भारत में थिएटर की परंपरा
भारत में थिएटर का इतिहास हजारों साल पुराना है। संस्कृत नाटकों से लेकर पारसी थिएटर और आधुनिक हिंदी रंगमंच तक, यह कला रूप समय के साथ विकसित हुआ है। भरतमुनि का ‘नाट्यशास्त्र’ दुनिया की पहली रंगमंच संबंधी रचना मानी जाती है, जो नाटक और नृत्य के सिद्धांतों को परिभाषित करती है।
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