सिंधु जल संधि के रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या होगा असर…
सिंधु जल संधि के रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या होगा असर…
सिंधु जल संधि के रद्द होने से पाकिस्तान पर क्या होगा असर…:- उरी में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान पर मुसीबतों के बादल जल्द ही मंडराने वाले हैं। भारत 1960 साल में साइन की गई ‘सिंधु जल संधि’ को रद्द करने की योजना बना रहा है।
रद्द कर सकते है सिंधु जल संधि
साल 1947 में देश के आजाद होने के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और 1999 में युद्ध हुआ थे। इन युद्धों के बाद भी ‘सिंधु जल संधि’ पर कोई असर नहीं पड़ा। लेकिन अब बार-बार हो रहे आतंकियों हमलों को देखते हुए भारत सरकार इसे रद्द करने का प्लान बना रही है।
गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने संकेतों में जाहिर किया कि भारत 56 साल पुरानी सिंधु जल संधि को रद्द करने का विकल्प बना रहा है। साथ ही कहा है ‘आपसी विश्वास व सहयोग से कोई समझौता चलता है वैसे ही इस समझौते में भी साख की खास अहमियत है।’
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उमा भारती ने बुलाई बैठक
शुक्रवार को जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने एक बैठक बुलाई थी। बैठक में जल संसाधन सचिव शशि शेखर विशेष सचिव अमरजीत सिंह और सिंधु आयुक्त शामिल थे।
सूत्रों की माने तो जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने अपने आधिकारियों को आदेश दिया है कि वह जब से यह समझौता लागू हुआ है तब से लेकर अब तक की समीक्षात्मक रिपोर्ट तैयार करें।
साथ ही कहा है कि इस संधि को रद्द करना इतना आसान नहीं है। यह एक बड़ा समझौता है। इस पर कोई निर्णय लेने से पहले यह विचार करना होगा कि भारत पर इसका क्या नकरात्मक असर पड़ेगा। सिंधु नदी सदावाहिनी नदी है उसका जल रोका नहीं जा सकता है।
क्या है सिंधु समझौता
साल 1960 में दोनों देशों के बीच ‘सिंधु जल संधि’ पर समझौता हुआ था। इस समझौता के अनुसार सिंधु की पांच सहायक नदियां व्यास झेलम चिनाव सतलज रावी को दो भागों में बांट दिया गया। ‘तीन पूर्वी नदियां’ व्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत बिना किसी रोक-टोक के इस्तेमाल कर सकता है। वहीं ‘पश्चिमी नदियां’ चिनाव और झेलम पाकिस्तान को आवंटित की गई थी। हालंकि भारत भी इन पश्चिमी नदियां का जल अपने घरेलू कामों सिंचाई और पनबिजली के लिए इस्तेमाल कर सकता है।
क्या होगा इसका असर
अगर भारत पाकिस्तान को जल आपूर्ति बंद कर देता है तो इसका सीधा असर पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा। पानी बंद कर देने से पाकिस्तान की खेती पर इसका बुरा असर पड़ेगा। उसकी खेती पूरी तरह से नष्ट हो जाएंगी क्योंकि भारत के पश्चिम में अरावली पर्वत के कारण पाकिस्तान में बारिश कम होती है। खेतों में पानी के लिए वह सिंधु से निकालने वाली नदियां और नहरों पर निर्भर है। सिंधु हिमालय के निकलकर भारत से होकर पाकिस्तान में प्रवेश करती है। इसका ज्यादातर मैदानी हिस्सा पाकिस्तान में पड़ता है।