Surdas Jayanti: ब्रज की माटी से जन्मे सूर के सच्चे भक्त, सूरदास जयंती 2025
Surdas Jayanti, सूरदास जयंती हर वर्ष उस दिन मनाई जाती है जिस दिन महान संत-कवि सूरदास जी का जन्म हुआ था। सूरदास जी हिंदी साहित्य के भक्ति काल के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं।
Surdas Jayanti : भक्ति के परम उपासक: सूरदास जी को नमन
Surdas Jayanti, सूरदास जयंती हर वर्ष उस दिन मनाई जाती है जिस दिन महान संत-कवि सूरदास जी का जन्म हुआ था। सूरदास जी हिंदी साहित्य के भक्ति काल के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और भक्ति भाव को इतनी मधुरता से चित्रित किया कि आज भी उनके पदों में भक्तों को अध्यात्म और प्रेम की अनुभूति होती है।
सूरदास जी का जीवन परिचय
सूरदास जयंती हर साल वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2025 में यह तिथि 3 मई, शनिवार को पड़ रही है। सूरदास जी का जन्म 15वीं शताब्दी में माना जाता है। कुछ विद्वान उनका जन्म वर्ष 1478 तो कुछ 1479 मानते हैं। उनके जन्म स्थान को लेकर भी मतभेद हैं, कुछ का मानना है कि वह उत्तर प्रदेश के रुनकता गांव (आगरा के पास) में जन्मे थे, जबकि कुछ उनका जन्म स्थान दिल्ली के निकट सीही गांव बताते हैं। कहा जाता है कि सूरदास जी जन्म से ही नेत्रहीन थे, लेकिन उन्होंने जो भावनात्मक सौंदर्य अपने काव्य में रचा, वह चमत्कारी है। उन्होंने श्रीवल्लभाचार्य जी से दीक्षा ली और पुष्टिमार्ग के अनुयायी बन गए।
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साहित्यिक योगदान
सूरदास जी की रचनाएं ‘सूरसागर’, ‘सूरसारावली’, और ‘साहित्य लहरी’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। इनमें से ‘सूरसागर’ सबसे अधिक प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं, रास लीलाओं और गोपियों के प्रेम को अत्यंत भावुकता और भक्ति भाव से चित्रित किया है।
उनकी भाषा ब्रजभाषा है, जो उस समय की लोकप्रिय लोकभाषा थी। सूरदास जी के काव्य में भक्तिरस, श्रृंगार रस और वात्सल्य रस का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है।
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