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Subhash Chandra Bose jayanti 2024: क्या सुभाष चंद्र बोस ही थे गुमनामी बाबा? ये रोचक समानताएं आपको हैरान कर देंगी

सुभाष चंद्र बोस जी का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावती देवी के यहां हुआ। 18 अगस्त 1945 को उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था परंतु उनके अवशेष नहीं पाए गए तभी से यह कयास लगाए जाते रहे हैं कि वे मरे नहीं थे जिंदा है।

Subhash Chandra Bose jayanti 2024: जानिए नेता जी से जुड़े ऐसे रहस्य, जिससे आज तक हर कोई अनजान है

Subhash Chandra Bose: विश्व इतिहास में 23 जनवरी 1897 का दिन स्वर्णाक्षरों में अंकित है। इसी दिन स्वतंत्रता आंदोलन के महानायक सुभाषचंद्र बोस का जन्म हुआ था। सुभाष जी का जन्म कटक के प्रसिद्ध वकील जानकीनाथ तथा प्रभावती देवी के यहां हुआ। 18 अगस्त 1945 को उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था परंतु उनके अवशेष नहीं पाए गए तभी से यह कयास लगाए जाते रहे हैं कि वे मरे नहीं थे जिंदा है। यह सवाल आज भी जिंदा है। कहते हैं कि नेताजी जिंदा थे परंतु वे लोगों के सामने इसीलिए नहीं आ सके क्योंकि उन्हें अंग्रेज सरकार ढूंढ रही थी।

कई लोगों का मानना था कि नेताजी गुमनामी बाबा के नाम से यूपी में 1985 तक रह रहे थे। नेताजी पर शोध करने वाले बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाषचंद्र बोस थे। परंतु इसकी पुष्टि अभी तक न तो राज्य सरकार ने की और न ही केंद्र सरकार ने और ना ही कोई ठोस प्रमाण दिया गया।

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आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के ताशकंद दौरे की एक फोटो के जरिए ब्रिटेन के एक्सपर्ट ने दावा किया है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस उस वक्त वहां में मौजूद थे। 1966 में ली गई इस फोटो में एक्सपर्ट ने फेस मैपिंग करने के बाद नेताजी के बारे में नया खुलासा किया है। आपको बता रहा है कि यह पहला मौका नहीं है, जब नेताजी के जिंदा होने की बात कही गई।

इसके पहले यूपी के फैजाबाद में रहने वाले भगवानजी उर्फ गुमनामी बाबा के बारे में ऐसा दावा था कि वह नेताजी बोस ही थे। जो गुमनामी की जिंदगी बिता रहे थे। वहीं, एक बार महात्मा गांधी ने भी बंगाल की एक सभा में नेताजी के जिंदा होने की बात कहकर सनसनी फैला दी थी।

क्या गुमनामी बाबा ही थे नेताजी?

यूपी के फैजाबाद जिले में रहने वाले भगवानजी उर्फ गुमनामी बाबा के बारे में कहा जाता है कि वे नेताजी ही थे। 1955 में लखनऊ के आलमबाग के श्रृंगार नगर इलाके में गुमनामी बाबा पहुंचे थे। वह दो साल तक श्रृंगार नगर में रिश्तेदार के यहां किराए के घर में रहे। इसके बाद वह भारत-नेपाल सीमा पर स्थित नीमसार चले गए। पहली बार अप्रैल, 1962 में नेताजी के सहयोगी रहे अतुल सेन ने गुमनामी बाबा से मुलाकात की और उन्हें पहचाना। आपको बता दें कि 17 सितंबर, 1985 को फैजाबाद में गुमनामी बाबा की मौत मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार सरयू नदी के किनारे किया गया। जहां उनकी समाधि बनी हुई है।

बाबा के पास मिली थीं नेताजी की कई चीजें

नेताजी की भतीजी लतिका बोस की याचिका पर जांच के दौरान गुमनामी बाबा के घर की तलाशी ली गई। जिसमें नेताजी और आजाद हिंद फौज से जुड़ी कई चीजें और साहित्य मिले थे। इस दौरान घर से नेताजी के कई फैमिली फोटो और उनकी मौत के लिए बने जांच आयोग की रिपोर्ट्स भी मिली थीं। यूपी सरकार गुमनामी बाबा से जुड़ी चीजों को सहेजने के लिए एक म्यूजियम बना रही है। कोर्ट ने गुमनामी बाबा की पहचान की जांच के लिए आयोग बनाने को भी कहा है।

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क्या है नेताजी की मौत से जुड़ा विवाद?

22 अगस्त, 1945 को टोक्यो रेडियो ने इस बात का एलान किया था कि नेताजी 18 अगस्त को जापान के कब्‍जे वाले फोरमोसा (ताइवान) में प्लेन क्रैश का शिकार हो गए। एक सीक्रेट फाइल में कहा गया कि 18 अगस्त, 1945 को ताइवान के कथित प्लेन क्रैश में नेताजी की मौत हो गई। लेकिन इस पर हमेशा से विवाद रहा है। इसकी जांच के लिए बने मुखर्जी आयोग ने भी रिपोर्ट में ताइवान में नेताजी की मौत होने की बात को खारिज किया था। नेताजी के भाई सुरेश चंद्र बोस ने 1966 में दावा किया था कि जल्द ही सुभाष चंद्र बोस देश की जनता के सामने आएंगे।

सुभाष चंद्र बोस और गुमनामी बाबा को लेकर समानताएं क्यों?

1. साल 1985 में जब गुमनामी बाबा का निधन हुआ, तब सुभाष चंद्र बोस से उनकी समानताओं को लेकर होने वाली चर्चाओं ने, एक बार फिर तूल पकड़ लिया।

2. फैजाबाद के सिविल लाइन्स में गुमनामी बाबा का घर था। उनका गोल चश्मा और सुभाष चंद्र बोस के चश्में में समानताएं थी।

3. गुमनामी बाबा के निधन के बाद जब उनके घर से जो चीजें बरामद की गईं उससे यह साफ जाहिर होता था कि वह कोई साधारण बाबा नहीं थे।

4. गुमनामी बाबा नाम रखे जाने की पीछे वजह ये थी कि उनकी हर चीजें गोपनीय थीं। जब उनका आखिरी वक्त निकट आया, तब भी बहुत कम लोग इससे अवगत थे।

5. उनके घर से कई किताबें और अखबार मिले। कई रिपोर्ट में यह दर्ज है कि गुमनामी बाबा फर्राटेदार अंग्रेजी और जर्मन बोलते थे। सुभाष चंद्र बोस भी भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान जर्मनी गए थे।

6. कई रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि गुपचुप तरीके से 23 जनवरी को उनसे मुलाकात के लिए कई लोग उनके घर आया करते थे। ये सारी बातें इशारा कर रही है कि कहीं गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस तो नहीं थे।

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