Street dogs digital monitoring: दिल्ली में 10 लाख स्ट्रीट डॉग्स की डिजिटल मॉनिटरिंग के लिए माइक्रोचिप लगना अनिवार्य, पेट शॉप्स का पंजीकरण भी जरूरी
Street dogs digital monitoring, दिल्ली सचिवालय में वर्षों बाद पशु कल्याण से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया।
Street dogs digital monitoring : दिल्ली में स्ट्रीट डॉग्स के लिए माइक्रोचिप योजना लागू, पेट शॉप्स का रजिस्ट्रेशन करना होगा अनिवार्य
Street dogs digital monitoring, दिल्ली सचिवालय में वर्षों बाद पशु कल्याण से जुड़ी एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में कई अहम फैसलों पर सहमति बनी, जो शहर में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए ऐतिहासिक साबित होंगे। खासतौर पर दिल्ली में लगभग 10 लाख स्ट्रीट डॉग्स को डिजिटल मॉनिटरिंग के तहत माइक्रोचिप लगाने का निर्णय लिया गया है। इस पहल का मकसद न केवल पशुओं के स्वास्थ्य का ख्याल रखना है, बल्कि रेबीज जैसी बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण भी स्थापित करना है।
माइक्रोचिपिंग योजना का उद्देश्य
बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिल्ली सरकार में कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि यह योजना यूएनडीपी (United Nations Development Programme) के सहयोग से अगले दो वर्षों में लागू की जाएगी। मंत्री ने स्पष्ट किया कि माइक्रोचिपिंग के माध्यम से दिल्ली के स्ट्रीट डॉग्स की पूरी डिजिटल मॉनिटरिंग होगी। इससे डॉग पॉपुलेशन मैनेजमेंट को मजबूती मिलेगी और रेबीज के खिलाफ दिल्ली स्टेट एक्शन प्लान भी प्रभावी रूप से लागू किया जा सकेगा।
मिश्रा ने कहा, “हर जिले में एनिमल वेलफेयर कमेटी गठित की जाएगी, ताकि निगरानी बेहतर तरीके से की जा सके। साथ ही शिक्षा विभाग के साथ मिलकर जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा, जिससे लोगों में पशु कल्याण को लेकर जागरूकता बढ़े।”
एनिमल वेलफेयर के लिए समुचित फंड की घोषणा
कैबिनेट मंत्री कपिल मिश्रा ने यह भी स्पष्ट किया कि पशु कल्याण कार्यों के लिए समुचित फंड की व्यवस्था की जाएगी। यह फंड खासतौर पर स्ट्रीट डॉग्स की सेहत, उनके टीकाकरण, माइक्रोचिपिंग, और अन्य संबंधित कार्यों में खर्च किया जाएगा।
उन्होंने कहा, “पशु कल्याण हमारे समाज की ज़िम्मेदारी है। इसलिए सरकार आवारा पशुओं की भलाई के लिए पर्याप्त बजट उपलब्ध कराएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर आवारा कुत्ता सुरक्षित और स्वस्थ रहे।”
पेट शॉप्स का पंजीकरण अनिवार्य
इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। अब से दिल्ली में सभी पेट शॉप्स का पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। इस पंजीकरण का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि सभी पेट शॉप्स मानक नियमों के तहत काम करें और पशुओं के साथ क्रूरता न हो। पेट शॉप्स की निगरानी के लिए एक विशेष समिति बनाई जाएगी, जो समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। इस तरह से न केवल अवैध पेट शॉप्स पर रोक लगेगी, बल्कि उन पर प्रभावी निगरानी भी संभव होगी। इससे पशु तस्करी और गलत प्रथाओं पर अंकुश लगाया जा सकेगा।
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डॉग बाइट्स पर व्यापक चर्चा
बैठक के दौरान आवारा कुत्तों के काटने के मामलों पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की गई। कपिल मिश्रा ने बताया कि इस दिशा में व्यापक चर्चा हुई। डॉग बाइट रोकने के लिए विशेष रणनीति बनाई जाएगी। इसके तहत पशु टीकाकरण पर विशेष जोर दिया जाएगा। मंत्री ने कहा, “डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम को और अधिक प्रभावी बनाया जाएगा ताकि हर पशु की सेहत, स्थिति और इतिहास का ट्रैक रखा जा सके। इससे डॉग बाइट्स की घटनाओं में कमी आएगी। सभी आवारा कुत्तों को समय पर वैक्सीन और मेडिकल चेकअप सुनिश्चित किया जाएगा।”
दीर्घकालिक लक्ष्य
इस योजना का दीर्घकालिक उद्देश्य न केवल दिल्ली में आवारा कुत्तों की सेहत और कल्याण सुनिश्चित करना है, बल्कि उन्हें समाज के प्रति सुरक्षित और संतुलित बनाना भी है। डिजिटल मॉनिटरिंग के जरिए सरकार का लक्ष्य है प्रत्येक पशु की पहचान रखना, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या को रोका जा सके। इसके अलावा, जागरूकता अभियान के तहत आम जनता को भी इसके प्रति सजग किया जाएगा। ताकि वे भी इस दिशा में सक्रिय भागीदार बनें। दिल्ली सरकार का यह कदम न केवल सराहनीय है, बल्कि आने वाले समय में पशु कल्याण क्षेत्र में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। 10 लाख स्ट्रीट डॉग्स की डिजिटल मॉनिटरिंग से न केवल रेबीज नियंत्रण में मदद मिलेगी, बल्कि उनके संरक्षण और उचित प्रबंधन की दिशा में भी मजबूत कार्यवाही होगी। पेट शॉप्स के पंजीकरण से अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण आएगा और एक पारदर्शिता भी स्थापित होगी। इसके साथ-साथ डॉग बाइट रोकने के लिए बनाई गई रणनीतियां नागरिकों की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करेंगी। इस पहल से न केवल आवारा पशुओं की जिंदगी बेहतर होगी, बल्कि पूरे समाज में पशु प्रेम और जागरूकता का संचार भी होगा।
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