Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar: भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में कितना खजाना? आज 46 साल बाद होगा खुलासा, सांपों का झुंड कर रहा जेवराताें की निगरानी
Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar: 46 साल बाद आज महाप्रभु जगन्नाथ का रत्न भंडार खोला जाएगा। रत्न भंडार के अंदर कीमती खजाने की बात कही जाती है। इस खजाने की शिफ्टिंग वीडियोग्राफी में शुभ मुहूर्त में की जाएगी। माना जाता है कि रत्न भंडार में अलग-अलग धातुओं की महंगी मूर्तियां रखी गई हैं।
Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar: एएसआई के सदस्य करेंगे रत्न भंडार का आंकलन, जानें क्या है मंदिर के चार द्वारों का महत्व
पुरी जगन्नाथ धाम में मौजूद जगन्नाथ महाप्रभु के आंतरिक खजाने मे कई दुर्लभ रत्न होने की बात कही जाती है। प्राचीन काल में विभिन्न राज्यों पर विजय प्राप्त करने के पश्चात महाप्रभु को कीमती रत्न, हीरा, जेवरात, मुकुट आदि दान किया जाता था। इसे आंतरिक खजाने में रखा गया है। 1978 के बाद से महाप्रभु का आंतरिक खजाना खुला नहीं है। वहीं, आज यानी गुरुवार को प्रभु के आंतरिक रत्न भंडार खुलने के बाद धीरे-धीरे खजानों के कई रहस्य सामने आएंगे। माना जाता है कि रत्न भंडार में अलग-अलग धातुओं की महंगी मूर्तियां रखी गई हैं। ऐसे में करोड़ों जगन्नाथ भक्तों के साथ देश दुनिया की नजर महाप्रभु के रत्न भंडार के खुलने एवं खजाने के रहस्य पर टिकी हैं। पुरी जगन्नाथ मंदिर का अंदरूनी रत्न भंडार पुन: गुरुवार को खोला जाएगा।
पुरी में स्थित 12वीं शताब्दी के जगन्नाथ मंदिर में भगवान का यह खजाना मरम्मत के लिए 46 साल बाद 14 जुलाई को खोला गया था( एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी, रत्न भंडार की देखरेख के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष बिस्वनाथ रथ, पुरी कलेक्टर सिद्धार्थ शंकर स्वैन और अन्य अधिकारियों की बैठक में 18 जुलाई को फिर से रत्न भंडार खोलने का फैसला लिया गया। एजेंसी के अनुसार, बैठक के बाद विश्वनाथ रथ ने कहा कि हम 18 जुलाई को सुबह 9:51 बजे से दोपहर 12:15 बजे के बीच फिर से ताले खोलेंगे और भीतरी रत्न भंडार में प्रवेश करेंगे।
एएसआई के सदस्य करेंगे आंकलन Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
इसमें मौजूद कीमती सामान को अस्थायी स्टोर रूम में स्थानांतरित किया जाएगा। एएसआई के सदस्य इसका आंकलन करेंगे। पूरे कार्यक्रम की वीडियोग्राफी की जाएगी। इस समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि महाप्रभु की नीति बाधित ना हो। इसके बाद पुन: ताला सील कर दिया जाएगा। ताले को सील करने के बाद चाबी ट्रेजरी में रखी जाएगी। सभी गहनों को अस्थाई रत्न भंडार में स्थानांतरित करने के बाद रत्न भंडार के मरम्मत का काम शुरू होगा। मरम्मत कार्य खत्म होने के बाद गिनती का काम शुरू होगा। प्रत्येक अलमारी की वीडियोग्राफी की जाएगी।
14 जुलाई को खोला गया था रत्न भंडार Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
उल्लेखनीय है कि पिछले रविवार को जगन्नाथ मंदिर के बाहरी रत्न भंडार को खोला जा चुका है। बाहरी रत्न भंडार में रहने वाले रत्न एवं आभूषणों को संदूक में रखकर मंदिर के अंदर ही बनाए गए स्ट्रॉन्ग रूम में रखा गया है। उस दिन आंतरिक रत्न भंडार को भी खोलने का प्रयास किया गया था। हालांकि, ताला नहीं खुल पाया था। जिसके बाद रत्न भंडार कमेटी ने ताला काटकर आंतरिक रत्न भंडार में प्रवेश किया था। कमेटी आंतरिक रत्न भंडार का निरीक्षण करने के बाद वापस लौट आई और रत्न भंडार में नया ताला लगाकर सील कर दिया गया। अब आज आंतरिक रत्न भंडार को फिर से खोला जाएगा और उसमें रखे आभूषण व रत्नों को स्थानांतरित किया जाएगा। इसके बाद रत्न भंडार की मरम्मत की जाएगी।
आखिर क्या है रत्न भंडार Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार भी है। कहा जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं जगन्नाथ, बालभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे। उन सभी को रत्न भंडार में रखा जाता है। इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत बेशकीमती बताई जाती है। हालांकि आज तक इन जेवरातों का मूल्यांकन नहीं किया गया है। यह ऐतिहासिक भंडार जगन्नाथ मंदिर के जगमोहन के उत्तरी किनारे पर मौजूद है।
दो भागों में बंटा है रत्न भंडार Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
आपको बता दें कि पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1952 के तहत तैयार किए गए अधिकारों के रिकॉर्ड में भगवान जगन्नाथ के आभूषणों की एक सूची शामिल है। जगन्नाथ मंदिर का यह रत्न भंडार दो भागों में बंटा हुआ है। जिसे भीतरी भंडार और बाहरी भंडार कहा जाता है। बाहरी भंडार में भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले जेवरात रखे जाते हैं। वहीं जो जेवरात उपयोग में नहीं लाए जाते हैं, उन्हें भीतरी भंडार में रखा जाता है। रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला है, लेकिन भीतरी भंडार की चाभी पिछले छह साल से गायब है।
रत्न भंडार में रखें हैं इतने जेवरात
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में दिए गए हलफनामे के अनुसार, रत्न भंडार में तीन कक्ष हैं। 25 गुणा 40 वर्ग फुट के आंतरिक कक्ष में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है। हालांकि इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ। बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है। इन्हें त्योहार पर निकाला जाता है। वहीं, वर्तमान कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है। दैनिक अनुष्ठान के लिए इन्हीं का उपयोग होता है।
1985 में खुला था रत्न भंडार Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख अरविंद पाढी ने बताया कि इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी। रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था। उस समय इसकी मरम्मत करके इसे बंद कर दिया गया था। इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला और उसकी चाभी भी गायब है। भंडार की चाभी खोने की बात तब पता चली, जब सरकार ने मंदिर की संरचना की भौतिक जांच की कोशिश की।
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2018 में खो गई थी चाभी Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
चार अप्रैल 2018 को बताया गया कि रत्न भंडार की चाबियां खो गईं हैं। हो-हल्ला होने के बाद, नवीन पटनायक ने मामले की न्यायिक जांच का आदेश दिया और नवंबर 2018 में आयोग ने 324 पेज की रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट के कुछ दिनों बाद, पुरी के तत्कालीन जिला कलेक्टर को रहस्यमय तरीके से एक लिफाफा मिला, जिसमें लिखा था कि आंतरिक रत्न भंडार की नकली चाभियां, जिसने लंबे समय से चल रहे विवाद को और हवा दे दी थी। इस मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया।
विधानसभा चुनाव में रत्न भंडार खोलना था बड़ा मुद्दा Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले को उठाया था। 20 मई 2024 को पीएम मोदी उड़ीसा में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का प्रचार करने गए थे। पुरी में जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने रत्न भंडार का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि जगन्नाथ मंदिर सुरक्षित नहीं है। मंदिर के रत्न भंडार की चाभी पिछले 6 साल से गायब है। 1978 के बाद से मंदिर के पास कितनी संपत्ति आई, इसका कोई अंदाजा नहीं है। हाल ही में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में रत्न भंडार खोला जाना बड़ा मुद्दा था।
नई उच्च स्तरीय समिति का गठन
भाजपा ने वादा किया था कि उड़ीसा में सरकार बनती है तो खजाना खोला जाएगा। मालूम हो, इससे पहले 2011 में तिरुवनंतपुरम के पद्मनाभ स्वामी के मंदिर के खजाने को खोला गया था। तब 1.32 लाख करोड़ रुपये का खजाना मिला था। उड़ीसा सरकार ने पुरी में जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार को दोबारा खोलने की प्रक्रिया की निगरानी के लिए एक नई उच्च स्तरीय समिति गठित की है, ताकि उसमें रखी कीमती वस्तुओं की सूची तैयार की जा सके।
कानून मंत्री ने दिया निर्देश Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
उड़ीसा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि इस संबंध में उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार समिति का गठन किया गया है। इस साल मार्च में पूर्ववर्ती बीजू जनता दल सरकार ने रत्न भंडार में रखे आभूषणों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं की सूची की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत की अध्यक्षता में 12 सदस्यीय समिति का गठन किया था। भाजपा सरकार ने न्यायमूर्ति पसायत के नेतृत्व वाली समिति को भंग कर दिया है और नई समिति गठित कर दी है।
ये लोग रहेंगे मौजूद Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
पृथ्वीराज हरिचंदन ने बताया कि रत्न भंडार का आंतरिक कक्ष खोलने की प्रक्रिया रविवार से शुरू होगी। श्रीमंदिर ने एक कमेटी गठित की है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए मंदिर परिचालन कमेटी के सदस्यों के साथ रिजर्व बैंक और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे। रत्न भंडार की सभी चीजों का डिजिटल डॉक्यूमेंट बनाया जाएगा। वहीं, उच्च स्तरीय समिति के चेयरमैन बिश्वनाथ रथ के मुताबिक, रत्न भंडार शुभ समय में दोपहर एक बजे से डेढ़ बजे के बीच खोला जाएगा।
सांप कर रहे रक्षा Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
ऐसा बताया जाता है कि आंतरिक रत्न भंडार से अक्सर फुफकारने की आवाजें आती रहती हैं। यह भी मान्यता है कि सांपों का एक समूह भंडार में रखे रत्नों की रक्षा करता है। इसलिए रत्न भंडार को खोले जाने से पहले मंदिर समिति ने भुवनेश्वर से सांप पकड़ने में निपुण दो व्यक्तियों को पुरी बुलाया है, ताकि किसी भी अप्रिय स्थिति में रत पड़ने पर वे तैयार रहें। आपातकालीन स्थिति से निपटने की जरूरत के लिए डॉक्टरों की एक टीम भी मौजूद रहेगी।
जगन्नाथ मंदिर के चार द्वार कौन-कौन से? Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
जगन्नाथ मंदिर के बाहरी दीवार पर पूर्वी, पश्चिमी, उत्तरी और दक्षिणी चार द्वार हैं। पहले द्वार का नाम सिंह द्वार (शेर का द्वार), दूसरे द्वार का नाम व्याघ्र द्वार (बाघ का द्वार), तीसरे द्वार का नाम हस्ति द्वार (हाथी का द्वार) और चौथे द्वारा का नाम अश्व द्वार (घोड़े का द्वार) है। इन सभी को धर्म, ज्ञान, वैराग्य और ऐश्वर्य का प्रतीक माना जाता है। सिंह द्वार जगन्नाथ मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार है। इस द्वार पर झुकी हुई मुद्रा में दो शेरों की प्रतिमाएं हैं। माना जाता है कि इस द्वार से मंदिर में प्रवेश करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।
क्या है इन द्वारों का महत्व? Shri Jagannath Puri Ratna Bhandar
व्याघ्र द्वार पर बाघ की प्रतिमा मौजूद है। यह हर पल धर्म के पालन करने की शिक्षा देता है। बाघ को इच्छा का प्रतीक भी माना जाता है। विशेष भक्त और संत इसी द्वार से मंदिर में प्रवेश करते हैं। हस्ति द्वार के दोनों तरफ हाथियों की प्रतिमाएं लगी हैं। हाथी को माता लक्ष्मी का वाहन माना जाता है। कहा जाता है कि मुगलों ने आक्रमण कर हाथी की इन मूर्तियों को क्षति-विकृत कर दिया था। बाद में इनकी मरम्मत कर मूर्तियों को मंदिर उत्तरी द्वार पर रख दिया गया। कहा जाता है कि ये द्वार ऋषियों के प्रवेश के लिए है। अश्व द्वार के दोनों तरफ घोड़ों की मूर्तियां लगी हुईं हैं। खास बात यह है कि घोड़ों की पीठ पर भगवान जगन्नाथ और बालभद्र युद्ध की महिमा में सवार हैं। इस द्वार को विजय के रूप में जाना जाता है।
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