Shaheed Udham Singh: उधम सिंह, एक बदले की आग से पैदा हुआ क्रांतिकारी
Shaheed Udham Singh, शहीद उधम सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन वीर सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
Shaheed Udham Singh : जलियांवाला बाग के बदले का वीर, उधम सिंह की शहादत
Shaheed Udham Singh, शहीद उधम सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन वीर सेनानियों में से एक थे, जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनका नाम जलियांवाला बाग हत्याकांड के बदले के प्रतीक के रूप में इतिहास में अमर हो गया। हर वर्ष 31 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि पर देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
जीवन परिचय
उधम सिंह का जन्म 26 दिसंबर 1899 को पंजाब के संगरूर ज़िले के सुनाम गांव में हुआ था। बचपन में ही उन्होंने अपने माता-पिता को खो दिया और अमृतसर के एक अनाथालय में पले-बढ़े। वह बचपन से ही क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित थे। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।
जलियांवाला बाग हत्याकांड का प्रभाव
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में जनरल डायर के आदेश पर हजारों निहत्थे लोगों पर गोलियां चलाई गईं। हजारों निर्दोषों की जान गई। उस समय उधम सिंह स्वयं वहां मौजूद थे और उन्होंने यह वीभत्स दृश्य अपनी आंखों से देखा था। यही घटना उनके क्रांतिकारी बनने की प्रेरणा बनी। उन्होंने तभी प्रण लिया कि इस अत्याचार का बदला जरूर लेंगे।
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बदले की तैयारी
उधम सिंह ने अपना जीवन ब्रिटिश शासन के विरुद्ध समर्पित कर दिया। वह कई क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल रहे और 1934 में इंग्लैंड पहुंचे। उन्होंने धैर्यपूर्वक 6 वर्षों तक मौका तलाशा और अंततः 13 मार्च 1940 को लंदन में “इंडिया हाउस” में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने पंजाब के पूर्व गवर्नर माइकल ओ’डायर को गोली मार दी। यह वही व्यक्ति था जिसने जलियांवाला बाग हत्याकांड में जनरल डायर को पूर्ण समर्थन दिया था।
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गिरफ्तारी और मुकदमा
हत्या के तुरंत बाद उधम सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया। उन्होंने अदालत में बड़े गर्व से कहा, “मैंने यह काम भारत के लोगों की ओर से किया है।” उनके आत्मविश्वास और साहस ने ब्रिटिश अदालत को भी हिला दिया। उन्होंने अपने नाम के आगे “राम मोहम्मद सिंह आज़ाद” लिखकर भारत की एकता का प्रतीक भी प्रस्तुत किया।
फांसी और बलिदान
31 जुलाई 1940 को उधम सिंह को लंदन के पेंटनविल जेल में फांसी दे दी गई। उन्होंने निडर होकर फांसी का सामना किया और हंसते-हंसते देश के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उधम सिंह का बलिदान आज भी युवाओं को प्रेरणा देता है। उन्होंने बदले की भावना में भी न्याय और देशभक्ति को सर्वोपरि रखा। उनकी पुण्यतिथि पर हम सबका कर्तव्य है कि उनके बलिदान को याद रखें और उनके सपनों का भारत बनाने का संकल्प लें।
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