भारत

Polyhouse Farming : खेती का नया अध्याय, कैसे पॉली हाउस फार्मिंग ने जम्मू-कश्मीर के किसानों को बनाया आत्मनिर्भर?

Polyhouse Farming, जम्मू-कश्मीर में कृषि को लंबे समय से ठंडे मौसम, ऊंचाई और सीमित कृषि योग्य भूमि की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

Polyhouse Farming : जम्मू-कश्मीर में कृषि क्रांति, जानिए पॉली हाउस फार्मिंग का योगदान

Polyhouse Farming, जम्मू-कश्मीर में कृषि को लंबे समय से ठंडे मौसम, ऊंचाई और सीमित कृषि योग्य भूमि की वजह से चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, यहां के किसानों ने खेती के नए और उन्नत तरीकों को अपनाकर अपनी जिंदगी और कमाई का तरीका बदल दिया है। इनमें से एक तरीका है पॉली हाउस फार्मिंग, जिसने क्षेत्र में किसानों की तस्वीर और तकदीर बदलने का काम किया है।

पॉली हाउस फार्मिंग क्या है?

पॉली हाउस एक संरक्षित खेती प्रणाली है, जिसमें फसलों को एक विशेष प्रकार के ढांचे के अंदर उगाया जाता है। यह ढांचा पॉलीथीन की परत से ढका होता है, जो फसलों को मौसम की अनियमितताओं, कीड़ों और बीमारियों से बचाने में मदद करता है। इस प्रणाली में तापमान, नमी और अन्य पर्यावरणीय कारकों को नियंत्रित किया जाता है, जिससे फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है।

जम्मू-कश्मीर में पॉली हाउस फार्मिंग की शुरुआत

पॉली हाउस फार्मिंग की शुरुआत जम्मू-कश्मीर में 2010 के आसपास हुई, जब सरकार और कृषि विभाग ने इसे बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान की। राज्य के ठंडे मौसम और अस्थिर जलवायु को देखते हुए, पॉली हाउस को यहां एक आदर्श समाधान के रूप में देखा गया। धीरे-धीरे, किसानों ने इसे अपनाना शुरू किया और इसके फायदे देखे।

किसानों के लिए फायदे

1. मौसम से सुरक्षा

जम्मू-कश्मीर में अत्यधिक ठंड, बर्फबारी और बारिश जैसी समस्याओं के कारण पारंपरिक खेती मुश्किल होती है। पॉली हाउस में फसलें इन प्राकृतिक बाधाओं से बची रहती हैं।

2. उच्च गुणवत्ता वाली फसलें

पॉली हाउस में उगाई गई फसलें न केवल स्वस्थ होती हैं बल्कि बाजार में उनकी मांग और कीमत भी अधिक होती है। उदाहरण के लिए, टमाटर, खीरा, शिमला मिर्च, और फूलों की खेती पॉली हाउस में बेहद सफल रही है।

3. सालभर उत्पादन

पॉली हाउस के अंदर तापमान और नमी को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे किसान पूरे साल फसलें उगा सकते हैं, भले ही बाहर का मौसम अनुकूल न हो।

4. कम संसाधनों में अधिक लाभ

पॉली हाउस में पानी और उर्वरकों की खपत कम होती है, जिससे संसाधनों की बचत होती है। इसके अलावा, कीटनाशकों की जरूरत भी बहुत कम होती है।

5. रोजगार के अवसर

पॉली हाउस फार्मिंग ने न केवल किसानों को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि यह ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार का एक नया जरिया भी बन रहा है।

Read More: Hindi News Today: अंतरिक्ष में 6 महीने से फंसी हैं सुनीता विलियम्स, मेक इन इंडिया के मुरीद हुए पुतिन

सरकार की पहल?

जम्मू-कश्मीर में पॉली हाउस फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है:

1. सब्सिडी: किसानों को पॉली हाउस निर्माण पर 50-70% तक सब्सिडी दी जाती है।

2. प्रशिक्षण कार्यक्रम: किसानों को पॉली हाउस फार्मिंग के बारे में प्रशिक्षित किया जाता है।

3. सस्ती तकनीक उपलब्ध कराना: पॉली हाउस के लिए जरूरी उपकरण और तकनीक कम कीमत पर उपलब्ध कराई जाती है।

4. ऋण सहायता: किसानों को बैंक से आसानी से कर्ज दिलाने की सुविधा दी जाती है।

Read More : Hindi News Today: मणिपुर में सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच हुई मुठभेड़, स्कूल बस में घुसकर चालक-परिचालक की पिटाई

पॉली हाउस फार्मिंग से जुड़ी चुनौतियां

1. उच्च प्रारंभिक लागत

हालांकि सरकार सब्सिडी देती है, लेकिन पॉली हाउस लगाने की शुरुआती लागत फिर भी कई किसानों के लिए बड़ी चुनौती है।

2. तकनीकी ज्ञान की कमी

ग्रामीण इलाकों में कई किसानों को पॉली हाउस तकनीक की सही जानकारी नहीं है।

3. बाजार तक पहुंच

फसलों की अच्छी उपज के बावजूद, कई किसानों को अपने उत्पाद को बड़े बाजारों तक पहुंचाने में दिक्कत होती है।

उन्नत तरीकों का उपयोग

हाइड्रोपोनिक्स और एरोपोनिक्स जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग पॉली हाउस में फसल उत्पादकता को और बढ़ा सकता है। डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स के जरिए किसानों को उनके उत्पादों के लिए व्यापक बाजार उपलब्ध कराया जा सकता है।पॉली हाउस फार्मिंग जम्मू-कश्मीर में खेती के क्षेत्र में क्रांति ला रही है। अगर सरकार और किसान मिलकर काम करें, तो यह क्षेत्र न केवल आत्मनिर्भर हो सकता है, बल्कि कृषि उत्पादों का प्रमुख निर्यातक भी बन सकता है।

We’re now on WhatsApp. Click to join.
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button