North East Tourism: मौसम ने बिगाड़ी पूर्वोत्तर की सैर! टूरिस्ट ढूंढ रहे नए ठिकाने
North East Tourism: भारत के पूर्वोत्तर राज्य प्राकृतिक सौंदर्य, विविध संस्कृति और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध हैं।
North East Tourism : भारी बारिश और बाढ़ से बेहाल टूरिज्म! नॉर्थ ईस्ट में घटा पर्यटकों का रुझान
North East Tourism: भारत के पूर्वोत्तर राज्य प्राकृतिक सौंदर्य, विविध संस्कृति और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध हैं। असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा और सिक्किम जैसे राज्यों में हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक आते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में मौसम के बिगड़ते मिज़ाज ने इस क्षेत्र के पर्यटन सेक्टर को भारी नुकसान पहुंचाया है।
मौसम का बदलता रूप बना परेशानी
हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों में लगातार हो रही भारी बारिश, भूस्खलन, बाढ़ और तूफान ने न सिर्फ स्थानीय लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है, बल्कि पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट आई है। जून के शुरुआती सप्ताह में ही असम और मेघालय में रिकॉर्ड तोड़ बारिश ने सड़क और रेल मार्गों को बाधित कर दिया, जिससे कई पर्यटक फंसे रह गए और यात्रा रद्द करनी पड़ी।
पर्यटन स्थलों पर पड़ा असर
शिलांग, यहां के मशहूर झरने जैसे एलीफैंटा फॉल्स और चेरापूंजी की घाटियां अक्सर बारिश में जलमग्न हो जाती हैं। भारी बारिश के चलते पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग और अन्य एडवेंचर एक्टिविटीज़ असुरक्षित हो जाती हैं। तवांग, भारी बर्फबारी और सड़कें बंद होने के कारण कई बार यह इलाका पर्यटकों के लिए अनुपलब्ध रहता है।असम, मानसून के दौरान ब्रह्मपुत्र नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण पार्क का बड़ा हिस्सा डूब जाता है, जिससे सफारी बंद करनी पड़ती है।
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नए ऑप्शन की तलाश में पर्यटक
इन समस्याओं को देखते हुए अब पर्यटक ऐसे स्थानों की ओर रुख कर रहे हैं जो अपेक्षाकृत सुरक्षित, मौसम के असर से कम प्रभावित और सुविधाजनक हों। सिक्किम, जहां अब तक सीमित संख्या में लोग जाते थे, अब एक उभरता हुआ विकल्प बन गया है। इसी तरह, नागालैंड और मिजोरम में कुछ नए अज्ञात स्थल सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगे हैं, जो पर्यटकों का ध्यान खींच रहे हैं।
सरकार और पर्यटन विभाग की चुनौती
पूर्वोत्तर में पर्यटन को फिर से पटरी पर लाने के लिए राज्यों की सरकारों को बेहतर बुनियादी ढांचे, मौसम आधारित अलर्ट सिस्टम और आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने की जरूरत है। स्थानीय गाइड्स और होटलों को प्रशिक्षित कर पर्यटकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। साथ ही, मानसून के समय वैकल्पिक टूर पैकेज और ऑफ-सीजन डिस्काउंट भी पर्यटकों को आकर्षित कर सकते हैं। मौसम की मार ने North East Tourism भारत के पर्यटन को अस्थायी झटका जरूर दिया है, लेकिन अगर सरकार और स्थानीय प्रशासन मिलकर तरीके से काम करें, तो यह क्षेत्र फिर से पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है।
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