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New order on vehicle: धुआँ घटाने के लिए नया आदेश, गैर-BS-VI वाहनों की दिल्ली एंट्री पर रोक!

New order on vehicle, दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सरकार समय-समय पर सख्त कदम उठाती रही है। सर्दियों के मौसम में हालात और गंभीर हो जाते हैं,

New order on vehicle : ग्रैप-3/4 के दौरान BS-6 मानक से कम वाहनों को दिल्ली में प्रवेश मना!

New order on vehicle, दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सरकार समय-समय पर सख्त कदम उठाती रही है। सर्दियों के मौसम में हालात और गंभीर हो जाते हैं, जब धुंध, धुआं और जहरीली हवा लोगों की सेहत पर सीधा असर डालती है। इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत अब राजधानी में चलने वाली गाड़ियों के लिए नियम और कड़े कर दिए गए हैं। इस आदेश का मकसद सड़कों पर प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों की संख्या कम करना और स्वच्छ हवा की दिशा में ठोस कदम उठाना है।

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नया आदेश क्यों जरूरी था?

दिल्ली की हवा लंबे समय से “गंभीर” और “अत्यंत गंभीर” श्रेणी में पहुंचती रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रदूषण के प्रमुख कारणों में पुराने वाहन, डीजल गाड़ियां, निर्माण कार्य और पराली का धुआं शामिल हैं। खासकर ट्रैफिक से निकलने वाला धुआं शहर की हवा को सबसे ज्यादा खराब करता है। ऐसे में सरकार ने वाहनों पर नियंत्रण को सबसे अहम हथियार माना और नया आदेश लागू किया।

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किस गाड़ी को मिलेगी दिल्ली में एंट्री?

नए नियमों के अनुसार, कम प्रदूषण फैलाने वाली और पर्यावरण मानकों पर खरी उतरने वाली गाड़ियों को ही दिल्ली में चलने की अनुमति दी जाएगी। मुख्य तौर पर इनमें:

  • BS-6 मानक वाली पेट्रोल और डीजल गाड़ियां
  • CNG, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहन
  • PUC (Pollution Under Control) सर्टिफिकेट वैध रखने वाली गाड़ियां
  • आपात सेवाओं से जुड़ी गाड़ियां जैसे एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस वाहन

इन वाहनों को इसलिए राहत दी गई है क्योंकि ये या तो कम प्रदूषण फैलाते हैं या सार्वजनिक सुरक्षा और जरूरी सेवाओं से जुड़े होते हैं।

किन गाड़ियों पर रहेगा बैन?

सरकार के आदेश के मुताबिक, कुछ श्रेणी की गाड़ियों पर पूरी तरह या आंशिक रूप से रोक लगाई गई है। इनमें शामिल हैं:

  • पुरानी BS-3 और उससे नीचे की पेट्रोल गाड़ियां
  • BS-4 या उससे पुरानी डीजल गाड़ियां
  • बिना PUC सर्टिफिकेट के वाहन
  • भारी मालवाहक वाहन, जिनका दिल्ली में प्रवेश सीमित किया गया है
  • दूसरे राज्यों से आने वाले पुराने वाहन, जो प्रदूषण मानकों पर खरे नहीं उतरते

सरकार का मानना है कि पुराने इंजन वाली गाड़ियां आधुनिक वाहनों की तुलना में कई गुना ज्यादा प्रदूषण फैलाती हैं, इसलिए इन्हें सड़कों से हटाना जरूरी है।

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पेट्रोल-डीजल को लेकर क्या बदला?

नए आदेश में पेट्रोल पंपों पर भी सख्ती बढ़ा दी गई है। अब PUC सर्टिफिकेट दिखाए बिना पेट्रोल या डीजल मिलने में दिक्कत हो सकती है। इसका सीधा मकसद यह है कि लोग अपनी गाड़ियों की नियमित जांच कराएं और प्रदूषण मानकों का पालन करें। इससे न सिर्फ नियमों का पालन होगा, बल्कि वाहन मालिकों में जागरूकता भी बढ़ेगी।

आम लोगों पर क्या असर पड़ेगा?

इस आदेश का सबसे बड़ा असर दैनिक यात्रियों और निजी वाहन चालकों पर पड़ेगा। जिन लोगों के पास पुराने वाहन हैं, उन्हें या तो गाड़ी बदलनी होगी या सार्वजनिक परिवहन का सहारा लेना पड़ेगा। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह कदम लोगों की सेहत के लिए जरूरी है। बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारी से जूझ रहे मरीजों को साफ हवा मिल सके, इसके लिए थोड़ी असुविधा जरूरी मानी जा रही है।

जुर्माना और कार्रवाई

नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुर्माना, गाड़ी जब्त करने या चालान काटने की कार्रवाई हो सकती है। ट्रैफिक पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण विभाग मिलकर सड़कों पर जांच अभियान चला रहे हैं। कैमरों और डिजिटल सिस्टम के जरिए भी निगरानी बढ़ाई गई है, ताकि नियम तोड़ने वालों को तुरंत पकड़ा जा सके।

क्या यह आदेश स्थायी है?

फिलहाल यह आदेश प्रदूषण की स्थिति के अनुसार लागू किया गया है। अगर हवा की गुणवत्ता में सुधार होता है तो नियमों में कुछ ढील दी जा सकती है, लेकिन सरकार साफ कर चुकी है कि स्वच्छ हवा से समझौता नहीं होगा। लंबे समय में दिल्ली को प्रदूषण-मुक्त बनाने के लिए ऐसे कदम आगे भी जारी रह सकते हैं। दिल्ली सरकार का यह नया आदेश भले ही कुछ लोगों के लिए असुविधाजनक हो, लेकिन इसका उद्देश्य साफ है—प्रदूषण कम करना और लोगों की सेहत बचाना। यह नियम हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हम किस तरह की गाड़ी चला रहे हैं और पर्यावरण के प्रति कितने जिम्मेदार हैं। अगर सभी नियमों का पालन करें, तो उम्मीद की जा सकती है कि दिल्ली की हवा आने वाले समय में कुछ हद तक साफ हो सकेगी।

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