MS Swaminathan: एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित करेगी मोदी सरकार, पीएम ने ट्वीट कर बोला- मैं करीब से जानता था
MS Swaminathan: राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में डॉ. स्वामीनाथन ने किसानों की परेशानियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिन्हें अब भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है।
MS Swaminathan: मोदी सरकार ने एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित करने का किया ऐलान
भारत में ‘हरित क्रांति’ के जनक माने जाने वाले दिवंगत कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 फरवरी) को यह घोषणा की है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एमएस स्वामीनाथन के साथ एक तस्वीर भी शेयर की है।
आपको बता दें कि एमएस स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु में हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था। 1972 और 1979 के बीच डॉ. स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक और भारत सरकार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव के रूप में काम किया था। एमएस स्वामीनाथन का पिछले साल सितंबर में 98 साल की उम्र में निधन हो गया था।
पद्मश्री व पद्म विभूषण से भी हो चुका है सम्मान
कृषि जगत में उनके अहम योगदान के चलते उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है। जिनमें 1971 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1987 में विश्व खाद्य पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें 1967 में पद्म श्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। अब उन्हें भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की गई है।
We’re now on WhatsApp. Click to join.
पीएम बोले- मैं करीब से जानता था
एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “यह बेहद खुशी की बात है कि भारत सरकार कृषि और किसानों के कल्याण में हमारे देश में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है। उन्होंने चुनौतीपूर्ण समय के दौरान भारत को कृषि में आत्मनिर्भरता हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय कृषि को आधुनिक बनाने की दिशा में उत्कृष्ट प्रयास किए।
इसके अलावा उन्होंने लिखा कि हम एक अन्वेषक और संरक्षक के रूप में और कई छात्रों के बीच सीखने और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने वाले उनके अमूल्य काम को भी पहचानते हैं। डॉ. स्वामीनाथन के दूरदर्शी नेतृत्व ने न केवल भारतीय कृषि को बदल दिया है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा और समृद्धि भी सुनिश्चित की है। वह ऐसे व्यक्ति थे, जिन्हें मैं करीब से जानता था और मैं हमेशा उनकी अंतर्दृष्टि और इनपुट को महत्व देता था।”
Read More:- Time Management: 8-8-8 रूल अपनाएं, खत्म हो जाएंगी लाइफ की सभी परेशानियां, पढ़ें ये नियम…
भारतीय हरित क्रांति के जनक की मिली उपाधि
कृषि और गेहूं की खेती सहित अन्य विशिष्ट क्षेत्रों में स्वामीनाथन के काम से गेहूं उत्पादन में बेतहाशा वृद्धि हुई और इसने भारत को भोजन की कमी वाले देश से आत्मनिर्भर राष्ट्र में तब्दील कर दिया। जिसके चलते उन्हें ‘भारतीय हरित क्रांति के जनक’ की उपाधि दी गई।
किसानों की परेशानियों को किया था दूर
राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में डॉ. स्वामीनाथन ने किसानों की परेशानियों को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए उन्होंने किसानों को फसल की औसत लागत से कम से कम 50 प्रतिशत अधिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) निर्धारित करने की सिफारिश की थी। जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट कहा गया।
अकाल संकट से बचाने में दिया अहम योगदान
डॉ. स्वामीनाथन ने भारतीय कृषि क्षेत्र में कई बड़ा योगदान दिया, जिससे उन्हें “फादर ऑफ इकोलॉजी” की उपाधि दी गई। हरित क्रांति के ग्लोबल लीडर के रूप में स्वामीनाथन ने 1960 के दशक में भारत को अकाल जैसी स्थितियों से बचाने के लिए गेहूं और चावल की उच्च उपज वाली किस्मों को पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
2007-2013 के बीच राज्यसभा सांसद के रूप में नामित
इसके अलावा डॉ. स्वामीनाथन ने चेन्नई में एमएस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन में इको टेक्नोलॉजी में यूनेस्को की कुर्सी संभाली। जहां उनका काम सस्टेनेबल एग्रीकल्चरल प्रैक्टिसेस को जारी रखना था। उन्हें 2007 और 2013 के बीच सांसद के रूप में राज्यसभा के लिए नामित किया गया था।
अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com