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MiG-21 fighter jet: ‘Flying Coffin’ MiG-21 को अलविदा, भारत की वायुसेना में 6 दशकों का साथ खत्म

MiG-21 fighter jet, भारत की वायुसेना में दशकों तक रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करने वाला MiG-21 फाइटर जेट आखिरकार सेवा से बाहर किया जा रहा है।

MiG-21 fighter jet : MiG-21 की विदाई, एक युग का अंत या नई शुरुआत?

MiG-21 fighter jet, भारत की वायुसेना में दशकों तक रीढ़ की हड्डी के रूप में काम करने वाला MiG-21 फाइटर जेट आखिरकार सेवा से बाहर किया जा रहा है। 62 वर्षों की लंबी और शानदार सेवा के बाद यह ऐतिहासिक विमान अब अपने आखिरी मिशन की ओर बढ़ रहा है। लेकिन जहां एक ओर इसकी बहादुरी और उपलब्धियों को याद किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसे “उड़ता हुआ ताबूत” (Flying Coffin) कहे जाने के पीछे की चिंताजनक सच्चाई को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

MiG-21: एक ऐतिहासिक झलक

MiG-21 एक सोवियत यूनियन द्वारा विकसित सुपरसोनिक फाइटर एयरक्राफ्ट है, जिसे 1963 में भारत ने अपनी वायुसेना में शामिल किया था। इसे “Type 77” के नाम से भी जाना गया और यह भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट बना। भारत ने इसे न केवल खरीदा, बल्कि देश में इसे बनाने की तकनीक भी हासिल की। 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में इस विमान ने बड़ी भूमिका निभाई थी। कई दुश्मन विमानों को मार गिराने और सफल मिशनों को अंजाम देने में MiG-21 का अहम योगदान रहा है।

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क्यों कहा जाता है इसे “उड़ता हुआ ताबूत”?

MiG-21 को यह उपनाम इसलिए मिला क्योंकि:

-उच्च दुर्घटना दर: पिछले कई दशकों में भारत में MiG-21 की दुर्घटनाओं की संख्या बहुत अधिक रही। रिपोर्ट्स के अनुसार, 400 से अधिक विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए और इनमें 200 से ज्यादा पायलटों की जान गई।

-पुरानी तकनीक: समय के साथ जहां दुनिया के अन्य देश नई तकनीकों वाले जेट्स में अपग्रेड हो चुके हैं, वहीं भारत में MiG-21 लंबे समय तक उपयोग में रहा, जिससे इसकी सुरक्षा पर सवाल उठते रहे।

-कम सुरक्षा फीचर्स: यह जेट आज की आधुनिक वायु तकनीक के मुकाबले सुरक्षा और नियंत्रण के लिहाज़ से काफी पीछे रह गया है।

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वायुसेना की योजना और विदाई कार्यक्रम

भारतीय वायुसेना ने MiG-21 को चरणबद्ध तरीके से रिटायर करने की योजना बनाई थी। अब आखिरी स्क्वाड्रन जुलाई 2025 तक पूरी तरह सेवा से हट जाएगी। इस फेज-आउट की प्रक्रिया में MiG-21 की जगह अब तेजस, Su-30MKI, Rafale जैसे आधुनिक विमान ले रहे हैं। वायुसेना के अनुसार, “MiG-21 ने लंबे समय तक देश की रक्षा की है, लेकिन अब समय है कि उसे सम्मानपूर्वक अलविदा कहा जाए।” MiG-21 एक ऐसा विमान रहा है, जिसने भारत की सुरक्षा में निर्णायक भूमिका निभाई है। लेकिन इसके साथ जुड़ी दुर्घटनाओं और तकनीकी सीमाओं ने इसे विवादास्पद भी बना दिया। “उड़ता हुआ ताबूत” कहे जाने के बावजूद, इसकी सेवाओं को भुलाया नहीं जा सकता। भारत की रक्षा इतिहास में यह विमान हमेशा एक महत्वपूर्ण अध्याय बना रहेगा।

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