सार्क सम्मेलन पर मंडरा रहे हैं खतरे के बादल
इस साल भी नहीं हो सकता है सार्क सम्मेलन
पिछली साल की तरह इस साल भी सार्क सम्मेलन नहीं होने की आशंका जताई जा रही है। क्योंकि सभी सार्क सदस्य देशों ने आतंकवाद को लेकर एकजुटता दिखाई है। शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सलाना बैठक के इतर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सार्क देशो को प्रतिनिधियों के साथ मुलाकात की।
इससे पहले यूएन के भाषण के दौरान भारतीय विदेश मंत्री आतंकवाद का मुद्दा उठाया। इसके साथ ही सार्क सम्मेलन को लेकर भारत की उदासीनता स्पष्ट की थी। ऐसे मे इस सम्मेनल का महत्व कम हो रहा है। क्योंकि भारत इसमें अहम रोल निभाता है।
सार्क सम्मेलन में अनिश्चता
भारत और पाकिस्तान के द्विपक्षीय संबंधों का असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ रहा है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सार्क सम्मेलन की अनिश्चितताओं का जिक्र नहीं किया। लेकिन आतंकवाद को खत्म करने की प्राथमिकता पर बल दिया।
अपने भाषण के दौरान सुषमा स्वराज ने कहा था क्षेत्रीय समृद्धि, संपर्क और सहयोग केवल शांति और सुरक्षा के वातावरण में ही हो सकता है। हालांकि दक्षिण एशिया में शांति को जोखिम में डालने वाले खतरे बढ़ रहे हैं। हम सबके लिए यह बेहद जरुरी है कि आतंक के सभी रुपों का खात्मा किया जाए और इसमें कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
पिछले साल नहीं हुई था सार्क सम्मेलन
आपको बता दें इससे पहले पिछले साल पाकिस्तान द्वारा आतंक का समर्थन किया था। जिसके बाद सभी सार्क के देशों ने इसका बहिष्कार किया। और किसी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
हिस्सा न लेने का दूसरी सबसे बड़ी वजह यह थी कि सम्मेलन पाकिस्तान के इस्लामाबाद में होने वाला था। सम्मेलन हर साल की तरह नवंबर में होने वाला था। और उम्मीद की जा रही है इस साल भी इस पर न होने के बादल मंडरा रहे हैं।