Manipur Violence :हाईकोर्ट ने किया निर्देश जारी, मणिपुर के चार जिलों में फिर से इंटरनेट सेवाएं बहाल
मणिपुर हाईकोर्ट के निर्देश दिए जाने पर राज्य सरकार ने ये कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि उखरूल सेनापति चंदेल और तामेंगलोंग जिला मुख्यालयों में परीक्षण के आधार पर इंटरनेट प्रतिबंध हटा लिया गया है। क्योकि ये जिले जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं थे।
Manipur Violence : मैतेई-कुकी संघर्ष मणिपुर में उबाल पर है, जातीय संघर्ष में 175 जानें गईं और 1000 लोग घायल हुए
मणिपुर हाईकोर्ट के निर्देश दिए जाने पर राज्य सरकार ने ये कदम उठाया है। उन्होंने कहा कि उखरूल सेनापति चंदेल और तामेंगलोंग जिला मुख्यालयों में परीक्षण के आधार पर इंटरनेट प्रतिबंध हटा लिया गया है। क्योकि ये जिले जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं थे।
मणिपुर सरकार ने चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट प्रतिबंध को हटा दिया गया है। क्योकि ये जिले जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं हुए थे। उन्होंने ये भी कहा है कि उखरूल, सेनापति, चंदेल और तामेंगलोंग जिला मुख्यालयों में परीक्षण के आधार पर इंटरनेट के प्रतिबंध हटाया गया है। और यह कदम मणिपुर हाईकोर्ट द्वारा राज्य सरकार को उन सभी जिला मुख्यालयों में जो जातीय हिंसा से प्रभावित नहीं थे। इस परीक्षण के आधार पर मोबाइल टावरों को चालू करने का निर्देश दिया गया है। मणिपुर के अधिकारियों ने कहा कि चार पहाड़ी जिला मुख्यालयों में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं मंगलवार को फिर से शुरू कर दी गई है। उखरुल जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा है कि केवल जिला मुख्यालयों में कुछ चुनिंदा मोबाइल टावर चालू किए गए हैं। लेकिन कनेक्टिविटी अभी खराब है।
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मणिपुर में जातीय हिंसा –
सितंबर में कुछ दिनों को छोड़कर मणिपुर में 3 मई से जातीय झड़प होने के बाद से मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा हुआ था। और मई में पहली बार जातीय हिंसा भड़कने के बाद से मणिपुर बार-बार होने वाली हिंसा की चपेट में घिरी हुई है। तब से अब तक 180 से ज्यादा लोग इस हिंसा में मारे जा चुके हैं। कहा तो ये भी जा रहा है कि इस जातीय झड़पें दोनों पक्षों की एक-दूसरे के खिलाफ कई शिकायतों को लेकर हुई हैं, हालांकि इस संकट का मुख्य बिंदु मेइती को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का कदम से हुआ था जिसे बाद में वापस ले लिया गया, और संरक्षित वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों को बाहर करने का प्रयास किया गया था। वैसे मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी भी शामिल हैं,उनकी संख्या लगभग 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
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