Maharishi Dayanand Saraswati: महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती, भारतीय समाज सुधार की अमर ज्योति
Maharishi Dayanand Saraswati: महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 फरवरी 2025 को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
Maharishi Dayanand Saraswati : महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती, वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण का पर्व
Maharishi Dayanand Saraswati, महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती पर, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 फरवरी 2025 को उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा: “महान चिंतक, समाज सुधारक और प्रखर राष्ट्रवादी महर्षि दयानंद सरस्वती जी को उनकी जन्म-जयंती पर कोटि-कोटि नमन। वे जीवनपर्यंत समाज को अज्ञानता, अंधविश्वास और आडंबर के खिलाफ जागरूक करने में जुटे रहे। शिक्षा और महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ भारतीय विरासत और संस्कृति के संरक्षण के लिए उनके प्रयास देशवासियों को सदैव प्रेरित करते रहेंगे।”
वैदिक संस्कृति के पुनर्जागरण का पर्व
महर्षि दयानंद सरस्वती का जन्म 12 फरवरी 1824 को गुजरात के टंकारा में हुआ था। वे 19वीं सदी के प्रमुख समाज सुधारक, दार्शनिक और धार्मिक नेता थे। उन्होंने मूर्ति पूजा, जाति-आधारित भेदभाव, बाल विवाह और लैंगिक असमानता जैसी सामाजिक बुराइयों का विरोध किया। साथ ही, महिला शिक्षा, विधवा पुनर्विवाह और दलित उत्थान के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए। उनकी प्रमुख कृति ‘सत्यार्थ प्रकाश’ में उन्होंने हिंदू धर्म की वास्तविक शिक्षाओं को प्रस्तुत किया और समाज में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की।
भारतीय समाज सुधार की अमर ज्योति
आर्य समाज के संस्थापक के रूप में, महर्षि दयानंद ने वेदों की प्रधानता पर जोर दिया और मूर्ति पूजा, पुरोहिती अनुष्ठानों, पशु बलि, सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वासों का विरोध किया। उन्होंने वैदिक अग्नि अनुष्ठान (हवन/यज्ञ) और संस्कारों को बढ़ावा दिया। साथ ही, महिला शिक्षा, अंतर्जातीय विवाह और विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। उन्होंने स्कूल, अनाथालय और विधवा आश्रम स्थापित किए, और शुद्धि आंदोलन के माध्यम से अन्य धर्मों को अपनाने वाले लोगों को पुनः हिंदू धर्म में लाने का प्रयास किया।
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महर्षि दयानंद सरस्वती जयंती
2025 में, महर्षि दयानंद सरस्वती की जयंती 12 फरवरी को मनाई गई। इस अवसर पर, आर्य समाज के अनुयायियों और अन्य संगठनों ने यज्ञ, हवन, प्रवचन, भजन-कीर्तन और विभिन्न सामाजिक कार्यों का आयोजन किया। उनके सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक सुधार पर जोर दिया गया।
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