जानें डॉ कलाम के बचपन के बारे में….(श्रदांजलि)
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एक साधारण व्यक्तित्व से लोगों के दिलों पर राज करने वाले मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने पिछले साल शिलांग के एक कॉलेज में लेचर देते वक्त आखिरी सांस ली। अपने प्रेरणादायक शब्दों से लोगों का जीवन बदलने वाले कलाम साहब की आज पहली पुण्यतिथि है। एक साधारण से परिवार से ताल्लुक रखने वाले डॉ कलाम ने जीवन में वह मुकाम हासिल किया जिसे पूरा करने का सपना तो हर कोई देखता है लेकिन पूरा कोई-कोई कर सकता है।
तमिलनाडू के रामेश्वर में पैदा हुए डॉ कलाम ने जीवन में इतना बड़ा मुकाम इतनी आसानी से नहीं प्राप्त नहीं कर लिया। मछुवारे का बेटे होने के बावजूद उन्होंने जिदंगी में हार नहीं मानी और अपने परिवार का नाम रौशन किया।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
बचपन से ही डॉ कलाम का जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। लेकिन पढाई के प्रति उनकी रुचि कभी कम नहीं हुई है। बचपन में वह सुबह 4 बजे उठकर गणित का ट्यूशन पढ़ने जाया करते थे। जिस आचार्य के पास वह ट्यूशन पढ़ने जाया करते थे। उनका नियम था कि वह बिना नहाए बच्चों को ट्यूशन नहीं पढ़ाते थे। इसलिए डॉ कलाम की मां उन्हें सुबह चार बजे नहलाकर और नास्ता करवाकर ट्यूशन भेजा करती थी। वहां से पांच बजे लौटने के बाद अपने पिता के साथ नमाज पढ़ते। उसके बाद घर से तीन किलोमीटर दूर धनुषकोड़ी रेलवे स्टेशन से अखबार लाते और पैदल घूम-घूमकर बेचते। आठ बजे अखबार बेचकर घर आते है और उसके बाद स्कूल जाया करते थे। स्कूल से लौटाने के बाद शाम को अखबार के पैसों की वसूली के लिए निकल जाते। इस प्रकार वह जीवन ने आगे बढ़ते गए और उस मुकाम तक पहुंचे जहां पहुंचने का उन्होंने सपना देखा था।