International Mother Language Day: भाषाई विविधता का उत्सव, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
International Mother Language Day, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रतिवर्ष 21 फरवरी को विश्वभर में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
International Mother Language Day : भाषाओं का संगम, मातृभाषा की महत्ता
International Mother Language Day, अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रतिवर्ष 21 फरवरी को विश्वभर में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता के संरक्षण और बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। इस वर्ष, 2025 में, यह दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि विभिन्न संगठनों और समुदायों ने मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया।
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस
दिल्ली स्थित आरजेएस पॉजिटिव ब्रॉडकास्टिंग हाउस (आरजेएस पीबीएच) ने 15 फरवरी 2025 को एक वेबिनार आयोजित किया, जिसमें प्रवासी भारतीयों ने भी भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मातृभाषाओं के संरक्षण के लिए तत्काल और बहुआयामी कार्रवाई का आह्वान करना था। आरजेएस पीबीएच के संस्थापक और राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना के संचालन में आयोजित इस वेबिनार में वक्ताओं ने मातृभाषाओं की सांस्कृतिक पहचान और संज्ञानात्मक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। राष्ट्रीय पर्यवेक्षक दीप माथुर ने अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए प्रवासी भारतीयों को सांस्कृतिक राजदूत के रूप में वर्णित किया।
‘मातृभाषा समारोह 2025’
इसके अतिरिक्त, 1 फरवरी 2025 को ‘मातृभाषा समारोह 2025’ का शुभारंभ किया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने हिंदी सहित कम से कम तीन भाषाओं के ज्ञान की आवश्यकता पर बल दिया, जिससे भाषाई समृद्धि और सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा मिले।
संस्कृतियों की सुरक्षा
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुरुआत 21 फरवरी 1952 को ढाका, बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) में भाषा आंदोलन के दौरान हुई घटनाओं की स्मृति में की गई थी, जब बांग्ला भाषा के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे छात्रों पर पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें कई छात्रों की मृत्यु हो गई। इस घटना की स्मृति में, यूनेस्को ने 17 नवंबर 1999 को 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में घोषित किया।
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भारत में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
भारत में, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत मातृभाषा में शिक्षा को प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य करने का प्रस्ताव है, जिससे बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में सुधार हो सके। इसके अलावा, वैज्ञानिक और तकनीकी शब्दावली आयोग (CSTT) क्षेत्रीय भाषाओं में विश्वविद्यालय स्तर की पुस्तकों के प्रकाशन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रकाशन अनुदान प्रदान कर रहा है। केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (CIIL) के माध्यम से राष्ट्रीय अनुवाद मिशन (NTM) भी विभिन्न विषयों की पाठ्य पुस्तकों का अनुवाद आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में कर रहा है।
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