IndiGo: इंडिगो की 150 से ज्यादा उड़ानें रद्द, क्रू की कमी और खराब मौसम से हजारों यात्री प्रभावित
IndiGo, देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो इस समय गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। बीते कुछ दिनों से देश के कई प्रमुख एयरपोर्ट्स पर इंडिगो की उड़ानों के रद्द होने और घंटों देर से उड़ान भरने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
IndiGo : क्रू शॉर्टेज और मौसम की मार, इंडिगो ने 150 से अधिक उड़ानें रद्द कीं, एयरपोर्ट पर हंगामा
IndiGo, देश की सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन इंडिगो इस समय गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। बीते कुछ दिनों से देश के कई प्रमुख एयरपोर्ट्स पर इंडिगो की उड़ानों के रद्द होने और घंटों देर से उड़ान भरने की घटनाओं में लगातार बढ़ोतरी हुई है। हालात इतने बिगड़ गए हैं कि सिर्फ पिछले दो दिनों में 200 से अधिक फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं। वहीं गुरुवार को ही बंगलुरू, दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद और हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में 150 से ज्यादा उड़ानें कैंसिल या देरी से प्रभावित हुईं। इससे हजारों यात्रियों की यात्रा योजनाएं अस्त-व्यस्त हो गई हैं। इंडिगो के पास 434 विमान, 5456 पायलट और 10,212 केबिन क्रू मौजूद होने के बावजूद कंपनी इस समय स्टाफ की गंभीर कमी से जूझ रही है। एयरलाइन प्रतिदिन 2300 से ज्यादा उड़ानें संचालित करती है और घरेलू विमानन बाजार में इसका हिस्सा 60% से अधिक है। इसके बावजूद फ्लाइट डिले, क्रू शॉर्टेज और रूट रद्द होने जैसी समस्याओं ने इंडिगो की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्यों बढ़ी इंडिगो की मुश्किलें?
इस पूरे संकट की जड़ DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) द्वारा लागू किए गए नए नियामक बदलाव बताए जा रहे हैं। FDTL—Flight Duty Time Limit—के बदले हुए नियमों ने एयरलाइंस को नई रोस्टरिंग व्यवस्था लागू करने के लिए मजबूर किया है। इसका सबसे बड़ा असर इंडिगो पर पड़ा है क्योंकि इसका नेटवर्क सबसे बड़ा है और नियमित संचालन के लिए क्रू की भारी संख्या की जरूरत होती है।
रोस्टर में बदलाव का असर
- मेट्रो शहरों की उड़ानें सबसे ज्यादा प्रभावित
- कई सेक्टर्स पर लगातार कैंसिलेशन
- क्रिसमस-न्यू ईयर ट्रैवल सीजन में दबाव बढ़ा
इंडिगो के दैनिक संचालन में स्टाफ शॉर्टेज का असर साफ दिख रहा है। कई फ्लाइट्स में पायलट और केबिन क्रू की अनुपलब्धता के चलते विमान निर्धारित समय पर उड़ान भर ही नहीं सके।
किन शहरों पर सबसे ज्यादा असर?
गुरुवार को देशभर में इंडिगो की उड़ान सेवाओं में आई गड़बड़ी ने सबसे ज्यादा परेशानी मेट्रो शहरों में पैदा की।
- बेंगलुरु – 42 उड़ानें रद्द
- दिल्ली – 38 उड़ानें कैंसिल
- अहमदाबाद – 25 फ्लाइट्स प्रभावित
- हैदराबाद – 19 उड़ानें रद्द
- इंदौर – 11 उड़ानें कैंसिल
- कोलकाता – 10 फ्लाइट्स नहीं उड़ सकीं
- सूरत – 8 उड़ानें रद्द
इन सात शहरों में ही 150 से अधिक उड़ानें या तो रद्द हुईं या भारी देरी का शिकार हुईं। दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट पर यात्रियों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं। सोशल मीडिया पर यात्रियों के आक्रोश वाले वीडियो लगातार वायरल हो रहे हैं।
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असली वजह: पायलट और क्रू की भारी कमी?
एयरलाइन पायलट एसोसिएशन का दावा है कि इंडिगो वास्तविक स्टाफ संकट को छिपाने की कोशिश कर रही है। एसोसिएशन का आरोप है कि कंपनी के पास पर्याप्त पायलट नहीं हैं, और यही देरी तथा रद्दीकरण का मुख्य कारण है।
एसोसिएशन का आरोप:
- इंडिगो पायलटों की भारी कमी छिपा रही है
- डिले और कैंसिलेशन को आधार बनाकर कंपनी FDTL नियमों में ढील चाहती है
- नए पायलट प्रशिक्षण और भर्ती में देरी
कई सेक्टरों में यात्रियों को देरी का कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया गया, जिससे नाराज़गी और बढ़ी।
किराए में उछाल – दिल्ली-मुंबई रूट में पांच गुना कीमत
इंडिगो संकट का सीधा असर हवाई किराए पर दिखाई दिया है। क्रिसमस और नए साल की भीड़ के बीच उड़ानों के रद्द होने से टिकटों की कीमतों में तेज उछाल देखा गया।
किराए की स्थिति
- सामान्य दिनों में दिल्ली से मुंबई का किराया: ₹4,000–₹5,000
- मौजूदा संकट में किराया बढ़कर: ₹21,000–₹25,000
यानी कीमतें 4-5 गुना तक बढ़ गई हैं। अन्य प्रमुख रूट्स पर भी टिकट अचानक महंगे हो गए, जिससे यात्रियों को आर्थिक बोझ झेलना पड़ रहा है।
इंडिगो की स्थिति चिंताजनक क्यों?
इंडिगो के पास:
- 434 विमान
- 5456 पायलट
- 10,212 केबिन क्रू सदस्य
- 41,000+ कुल कर्मचारी
इसके बावजूद एयरलाइन इतने बड़े संकट से गुजर रही है। यह सवाल उठाता है कि क्या कंपनी के पास पर्याप्त योजना और बैकअप रणनीति है? अथवा तेज विस्तार के बीच कंपनी क्रू प्रबंधन को लेकर ढील बरत रही है? विशेषज्ञों का मानना है कि बड़े बेड़े के साथ रोस्टरिंग और FDTL अनुपालन करना अधिक चुनौतीपूर्ण होता है, और यही इस संकट की जड़ है। इंडिगो का यह संकट केवल एक एयरलाइन की परेशानी नहीं, बल्कि भारत के एविएशन सिस्टम की कमजोरियों का संकेत भी है। क्रू शॉर्टेज, परिचालन चुनौतियां और नए DGCA नियमों ने मिलकर एक ऐसा हालात पैदा कर दिया है जिसमें यात्रियों, एयरलाइन और सरकार तीनों के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।
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