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India Middle East Economic Corridor: जानिए भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने से क्या होंगे फायदें?

भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर को भारत की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

India Middle East Economic Corridor: इतने परसेंट घट जाएगा शिपिंग टाइम, ऐसा होगा ये कॉरिडोर


भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर को भारत की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। इकनॉमिक कॉरिडोर का यह प्रोजेक्ट भारत, UAE, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय यूनियन सहित कुल 8 देशों का है, जिसका फायदा इस्राइल और जॉर्डन को भी मिलेगा।
India Middle East Economic Corridor: भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर को भारत की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। अमेरिका ने भारत को पश्चिम एशिया होते हुए यूरोप से जोड़ने वाले इस गलियारे को सराहा है। अमेरिका ने कहा है कि यह आर्थिक गलियारा यूरोप से एशिया तक दोनों महाद्वीपों में आर्थिक विकास को बढ़ाएगा। इससे यूरोप से एशिया तक संपर्क के नए युग की शुरुआत होगी। लेकिन तुर्किये इस कॉरिडोर से परेशान है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोऑन ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि तुर्किये के बिना कोई कॉरिडोर नहीं बन सकता है। पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले किसी भी ट्रैफिक को तुर्किये से होकर गुजरना होगा।

तुर्किये को क्या है परेशानी?

इकनॉमिक कॉरिडोर का यह प्रोजेक्ट भारत, UAE, सऊदी अरब, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय यूनियन सहित कुल 8 देशों का है, जिसका फायदा इस्राइल और जॉर्डन को भी मिलेगा। लेकिन यह गलियारा तुर्किये को बायपास करता है। भारत से लौटकर पत्रकारों से बातचीत में एर्दोऑन ने कहा, हम कहते हैं कि तुर्किये के बिना कोई गलियारा नहीं हो सकता। तुर्किये उत्पादन और व्यापार का महत्वपूर्ण आधार है।

भारत से सामान जाएगा यूरोप

इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर में भारत से सामान शिप के जरिए यूएई जाएगा। प्रोजेक्ट में यूएई, सऊदी अरब, जॉर्डन और इस्राइल को एक रेल लाइन से जोड़ा जाना है। इस्राइल के बंदरगाह हाइफा से शिपिंग लाइन से भूमध्य-सागर के रास्ते ग्रीस पहुंचा जाएगा। इस तरह रेल लाइन के जरिये इन देशों से होता हुआ सामान हाइफा पहुंचेगा, जहां शिप के जरिये वह ग्रीस पहुंचेगा। चूंकी तुर्किये जमीन के जरिये यूरोप से जुड़ा है, इस कारण एर्दोऑन मानकर चल रहे हैं कि उनके बिना यूरोप तक नहीं जाया जा सकता।

भारत को क्या होगा फायदा?

सबसे बड़ा फायदा तो यही होगा कि भारत का एक्सपोर्ट बढ़ेगा। प्राचीन काल में सिल्क रूट और स्पाइस रूट के जरिए भारत कपड़ों और मसालों का कारोबार करता था। यही वजह थी क कि उस समय भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हुआ करता था। ऐसा माना जा रहा है कि इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर बनने से भारत का एक्सपोर्ट कई गुना तक बढ़ सकता है। इसलिए इस डील को ऐतिहासिक बताया जा रहा है।

इतने परसेंट घट जाएगा शिपिंग टाइम

इस गलियारे के MoU पर यूरोपीय संघ, भारत, सऊदी अरब, यूएई, अमेरिका, इटली और अन्य देशों ने नई दिल्ली में दस्तखत किए हैं। इस प्रोजेक्ट का प्रमुख लक्ष्य शिपिंग टाइम को 40% कम करना, तेल और पैसे की बचत करना है।

ऐसा होगा ये कॉरिडोर

इस कॉरिडोर के दो हिस्से होंगे। पहला- ईस्टर्न कॉरिडोर, जो भारत को खाड़ी देशों से जोड़ेगा। दूसरा- नॉर्दर्न कॉरिडोर, जो खाड़ी देशों को यूरोप से जोड़ेगा। इस कॉरिडोर में रेलवे लाइन के साथ-साथ इलेक्ट्रिसिटी केबल, हाइड्रोजन पाइपलाइन और एक हाई-स्पीड डेटा केबल भी होगी
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