Hindi News Today: गयाजी जंक्शन पर इंसानियत की मिसाल, सेना के स्वदेशी ड्रोन और सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
जहां गयाजी जंक्शन की घटना ने इंसानियत और सहयोग की मिसाल पेश की, वहीं भारतीय सेना के स्वदेशी ड्रोन देश की सुरक्षा को नई मजबूती देने की दिशा में अहम कदम हैं। दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट का फैसला संस्थान में पारदर्शिता और निष्पक्षता की दिशा में बड़ा संदेश देता है।
Hindi News Today: सेना के स्वदेशी ड्रोन और सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
Hindi News Today: बिहार के गयाजी जंक्शन पर उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक महिला अचानक प्रसव पीड़ा से कराहने लगी। प्लेटफॉर्म पर मौजूद लोग पहले तो घबरा गए, लेकिन हालात को समझते हुए तुरंत मदद के लिए आगे आए। आनन-फानन में कपड़ों से अस्थायी दीवार बनाई गई, ताकि महिला को निजता मिल सके। आसपास मौजूद कुछ महिलाओं ने साहस दिखाते हुए प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला की मदद की। थोड़ी ही देर में महिला ने गयाजी जंक्शन के प्लेटफॉर्म नंबर दो और तीन के बीच बने फुट ओवर ब्रिज के पास एक बच्ची को जन्म दिया। राहत की बात यह रही कि मां और नवजात दोनों पूरी तरह सुरक्षित हैं। इस पूरी घटना में यात्रियों और रेलवे कर्मियों की तत्परता ने इंसानियत की एक खूबसूरत मिसाल पेश की।
‘मेरी सहेली’ टीम बनी सहारा
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे सुरक्षा बल (RPF) के जवान मौके पर पहुंचे। ऑन ड्यूटी आरक्षी धर्मेंद्र कुमार ने तत्काल सहायक उप निरीक्षक पवन कुमार को जानकारी दी। इसके बाद ‘मेरी सहेली’ टीम में तैनात महिला आरक्षी सोनिका कुमारी को मौके पर बुलाया गया। स्टेशन मास्टर को भी सूचित कर मेडिकल सहायता की व्यवस्था की गई। महिला आरक्षी सोनिका कुमारी ने गर्भवती महिला ममता देवी को ढांढस बंधाया और प्रसव के दौरान हर संभव मदद की। कुछ ही देर बाद रेलवे मंडल अस्पताल के डॉक्टर रवि कुमार पांडेय अपनी टीम के साथ पहुंचे और मां-बेटी का प्राथमिक उपचार किया।
प्लेटफॉर्म पर जन्मी बेटी, दोनों स्वस्थ
प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला की पहचान ममता देवी के रूप में हुई है, जो पिपरा गांव, थाना बेला की रहने वाली हैं। उन्होंने एक स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। डॉक्टरों के अनुसार जच्चा और बच्चा दोनों खतरे से बाहर हैं। महिला की सास कारी देवी ने बताया कि वे लोग बेला मेडिकल अस्पताल जा रहे थे, जहां आगे का इलाज परिजनों की देखरेख में कराया जाएगा।
भारतीय सेना का बड़ा कदम: 5,000 करोड़ के स्वदेशी ड्रोन
देश की सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए भारतीय सेना करीब 5,000 करोड़ रुपये के स्वदेशी ड्रोन खरीदने जा रही है। ये ड्रोन दुश्मन की ओर से की जाने वाली स्पूफिंग और जैमिंग जैसी तकनीकों से निपटने में सक्षम होंगे। खरीद से पहले इन ड्रोनों की कड़ी टेस्टिंग की गई, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर जैसी परिस्थितियों को रीक्रिएट किया गया।
दुश्मन से तीन तरह से निपटेंगे ड्रोन
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सेना जिन ड्रोनों को खरीद रही है, वे तीन अलग-अलग भूमिकाओं में काम करेंगे। पहले प्रकार के ड्रोन शॉर्ट रेंज कामिकेज स्ट्राइक के लिए होंगे, जो लक्ष्य को नष्ट करने के साथ खुद भी खत्म हो जाते हैं। दूसरे प्रकार के ड्रोन लंबी दूरी तक जाकर सटीक हमले करने और वापस लौटने में सक्षम होंगे। तीसरे प्रकार के यूएवी जासूसी और निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे। इन सभी ड्रोनों को बेहद कठिन परिस्थितियों में परखा गया है, खासकर यह सुनिश्चित किया गया कि इनमें किसी भी तरह के चीनी पार्ट्स का इस्तेमाल न हो।
सरकारी और निजी कंपनियों को मिला फायदा
परीक्षणों के बाद म्यूनिशन्स इंडिया लिमिटेड ने लोइटरिंग म्यूनिशन्स के लिए करीब 500 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया। वहीं निजी क्षेत्र में न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज, एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड, आइडियाफोर्ज और जेएसडब्ल्यू जैसी कंपनियों को भी बड़े ठेके मिले हैं। यह ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।
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सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला: अतिरिक्त इंक्रीमेंट पर रोक
सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों के वेतन को लेकर एक बड़ा और अहम फैसला लिया गया है। पहले की व्यवस्था में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) अपने कार्यकाल के दौरान कुछ कर्मचारियों को मनमाने तरीके से अतिरिक्त इंक्रीमेंट दे देते थे। पिछले चार वर्षों में करीब 2,000 कर्मचारियों को दो से छह तक अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिले थे, जिससे उनका वेतन सामान्य से काफी बढ़ गया था।
सुप्रीम कोर्ट कोई राजशाही नहीं
इस गड़बड़ी को सुधारने के लिए पूर्व CJI बी.आर. गवई ने फुल कोर्ट मीटिंग बुलाई। बैठक में जजों ने साफ कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोई राजशाही नहीं है और CJI कोई राजा नहीं हैं जो अपनी मर्जी से इंक्रीमेंट बांट सकें। इसके बाद इस प्रथा को पूरी तरह खत्म करने और पिछले वर्षों में दिए गए अतिरिक्त इंक्रीमेंट वापस लेने का फैसला किया गया।
कर्मचारियों को लगा झटका
इस फैसले के बाद जिन कर्मचारियों को अतिरिक्त इंक्रीमेंट मिले थे, उनके वेतन में अचानक भारी कटौती हो गई। कई कर्मचारियों का कहना है कि उनका मासिक वेतन 30 से 40 हजार रुपये तक कम हो गया है, जबकि उन्होंने बढ़े हुए वेतन को ध्यान में रखकर लोन और अन्य खर्च तय कर लिए थे। कर्मचारियों ने यह भी मांग की कि इन इंक्रीमेंट को भविष्य की सालाना बढ़ोतरी में समायोजित किया जाना चाहिए था, ताकि अचानक आर्थिक झटका न लगे।
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