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Harivansh Rai Bachchan Birthday: आज मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन की मनाई जा रही बर्थ एनिवर्सरी, जानिए उनके जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

हरिवंश राय बच्चन का जन्म यूपी के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव बाबू पट्टी में हुआ। उनसे पहले उनकी मां ने 2 और संतानों को जन्म दिया था, लेकिन पैदा होते ही उनकी मृत्यु हो गई। हरिवंश राय बच्चन जन्म से तो श्रीवास्तव थे, लेकिन फिर उन्होंने अपना काव्यात्मक नाम बच्चन अपने सरनेम के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और बाद में अमिताभ ने भी अपने पिता के इसी सरनेम को आगे बढ़ाया।

Harivansh Rai Bachchan Birthday: जानिए कैसा था हरिवंश राय बच्चन का जीवन, उनका लेखन – पुरस्कार और भी बहुत कुछ के बारे में


Harivansh Rai Bachchan Birthday: 27 नवंबर को मशहूर कवि और महानायक अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंश राय बच्चन की बर्थ एनिवर्सरी है। हरिवंश राय बच्चन का जन्म 1907 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के बाबू पट्टी गांव में हुआ था। उनके पिता लाला प्रताप नारायण श्रीवस्तव और मां सुरसती देवी थीं। आज अमिताभ बच्चन को हिंदी सिनेमा का महानायक कहा जाता है, लेकिन उनके पिता का भी साहित्य की दुनिया में बहुत बड़ा नाम था। चलिए आज हरिवंश राय बच्चन के जन्मदिवस के अवसर पर आपको उनसे जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से बताते हैं।

हरिवंश राय बच्चन का बचपन

हरिवंश राय बच्चन का जन्म यूपी के प्रतापगढ़ जिले के एक गांव बाबू पट्टी में हुआ। उनसे पहले उनकी मां ने 2 और संतानों को जन्म दिया था, लेकिन पैदा होते ही उनकी मृत्यु हो गई। हरिवंश राय बच्चन जन्म से तो श्रीवास्तव थे, लेकिन फिर उन्होंने अपना काव्यात्मक नाम बच्चन अपने सरनेम के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और बाद में अमिताभ ने भी अपने पिता के इसी सरनेम को आगे बढ़ाया। दरअसल, अमिताभ बच्चन का असली नाम इंकलाब श्रीवास्तव था, लेकिन बाद में उनके पिता ने उनका नाम बदल दिया और जब अमिताभ ने बॉलीवुड में कदम रखा तो अपने पिता के काव्यात्मक सरनेम को अपनी पहचान बना लिया।

1941 में हुई थी हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की शादी

‘पिताजी के दोस्त थोड़ी देर बाद एक माला लेकर माला लेकर आए और उनसे कहा कि इसे उसे पहना दो। बस उसी दिन पिताजी ने तय कर लिया था कि अब वह अपनी आगे की जिंदगी हमारी माताजी के साथ बिताएंगे।’ हरिवंश राय बच्चन ने 1941 में तेजी बच्चन से शादी की थी। इस शादी से दोनों के दो बच्चे हुए, जिनका नाम अमिताभ और अजिताभ बच्चन रखा।

तेजी सूरी से कैसे हुई हरिवंश राय बच्चन की शादी

केबीसी के दौरान ही बिग बी ने अपने माता-पिता की लव स्टोरी का भी जिक्र किया था और बताया था कि ये हरिवंश राय बच्चन की पहली नहीं बल्कि दूसरी शादी थी। उनकी पहली पत्नी का निधन हो गया था, जिसके बाद उन्होंने उनकी मां तेजी बच्चन से शादी की थी।

हरिवंश राय के उल्लेखनीय कार्य, लेखन और पुरस्कार

सन्‌ 1966 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। सन्‌ 1935 में उनकी कविता ‘मधुशाला’ के कारण हरिवंश राय बच्चन ख्यात हुए। यह रचना तब से लेकर आज तक पाठकों के बीच लोकप्रिय है। उनकी अन्य रचनाओं में मधुकाव्य, मधुकलश, खादी के फूल प्रमुख हैं। हरिवंश राय जी ने अपनी आत्मकथा चार खंडों में लिखी। ये खंड सन्‌ 1969 से 1985 की अवधि में प्रकाशित हुए। इनके नाम हैं- ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’ (जन्म 1936 तक), ‘नीड़ का निर्माण फिर’ (1951 तक), ‘बसेरे से दूर’ (1955 तक) और ‘दशद्वार से सोपान तक’ (1985 तक) डॉ. हरिवंश राय बच्चन को साहित्य अकादमी पुरस्कार, प्रथम सरस्वती सम्मान, लोटस पुरस्कार (अफ्रीका-एशिया लेखक संघ कॉन्फ्रेंस का), साहित्य वाचस्पति उपाधि तथा पद्म भूषण सम्मानों से नवाजा जा चुका है।

हरिवंश राय बच्चन की लोकप्रिय कविता

‘मधुशाला’

मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीनेवाला,
‘किस पथ से जाऊं?’
असमंजस में है वह भोलाभाला;
अलग-अलग पथ बतलाते सब
पर मैं यह बतलाता हूं-

‘राह पकड़ तू एक चला चल,
पा जाएगा मधुशाला’।

पौधे आज बने हैं साकी
ले-ले फूलों का प्याला,
भरी हुई है जिनके अंदर
परिमल-मधु-सुरभित हाला,
मांग-मांगकर भ्रमरों के दल
रस की मदिरा पीते हैं,
झूम-झपक मद-झंपित होते,
उपवन क्या है मधुशाला!

एक तरह से सबका स्वागत
करती है साकीबाला,

अज्ञ-विज्ञ में है क्या अंतर
हो जाने पर मतवाला,
रंक-राव में भेद हुआ है
कभी नहीं मदिरालय में,
साम्यवाद की प्रथम प्रचारक
है यह मेरी मधुशाला।

छोटे-से जीवन में कितना
प्यार करूं, पी लूं हाला,
आने के ही साथ जगत में
कहलाया ‘जानेवाला’,
स्वागत के ही साथ विदा की

होती देखी तैयारी,
बंद लगी होने खुलते ही
मेरी जीवन-मधुशाला!

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हरिवंश राय बच्चन का निधन

काफी लंबे समय तक बीमार रहने के बाद 95 वर्ष की उम्र में 18 जनवरी 2003 को मुम्बई (महाराष्ट्र) में हरिवंश राय बच्चन का निधन हुआ था।

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