Gyanvapi Ownership Case: ज्ञानवापी मस्जिद में मिलेगा पूजा का अधिकार ?
Gyanvapi Ownership Case: अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1991 के मुकदमें के ट्रायल को मंजूरी दे दी है।
Gyanvapi Case: मुस्लिम पक्ष को ज्ञानवापी केस में मिला झटका, हाई कोर्ट ने खारिज की सभी 5 याचिकाएं
Gyanvapi Case : वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर के बीच स्वामित्व को लेकर सुनवाई में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की याचिकाएं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज खारिज कर दीं हैं। आपको बता दे की अपने फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 1991 के मुकदमें के ट्रायल को मंजूरी दे दी है। इतना ही नहीं इसके अलावा हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट को निर्देश दिया है कि वो 6 महीने के अंदर मामले की सुनवाई पूरी करे।
Gyanvapi dispute: Allahabad HC rejects Muslim side’s plea challenging Hindu worshippers’ 1991 suit
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— ANI Digital (@ani_digital) December 19, 2023
Gyanvapi Ownership Case: क्या है पूरा मामला?
दरअसल कोर्ट में ज्ञानवापी मामले को लेकर कुल 5 याचिकाएं दाखिल की गई हैं। जिसमे 1991 में दाखिल मुकदमे में के अनुसार विवादित ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग की गई है। इतना ही नहीं 1991 की इस याचिका में पूजा अर्चना की इजाजत भी मांगी गई है।
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आदि विश्वेश्वर महादेव मंदिर को तोड़कर किया गया था मस्जिद का निर्माण
बता दे की इस मामले को सोमनाथ व्यास-रामनारायण शर्मा और हरिहर पांडेय की ओर से 1991 में ही दाखिल किया गया था। जिसमे कहा गया था कि आदि विश्वेश्वर महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। इसलिए, इसे हिंदुओं को वापस दे दिया जाए। लेकिन हाईकोर्ट को अपने फैसले में मुख्य रूप से ये तय करना है कि वाराणसी की अदालत इस मुकदमे को सुन सकती है या नहीं।
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क्या है प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991?
Places of Worship Act 1991 कहता है की 15 अगस्त 1947 के पहले पूजा स्थलों की जो और जैसी स्थिति थी, वही रहेगाी। और सुप्रीम कोर्ट में पूजा स्थल के इसी अधिनियम यानि Places of Worship Act 1991 को चुनौती देते हुए कई याचिकाएं अब तक दायर की जा चुकी हैं। जिन याचिकाओं में इस Places of Worship Act 1991 अधिनियम की वैधता पर सवाल उठाया गया है। और कहा गया है कि यह कानून देश पर आक्रमण करने वालों द्वारा अवैध रूप से निर्मित किए गए पूजा स्थलों को मान रहा है। इसलिए इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया जाए।
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