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Government’s big decision: कफ सिरप की बिक्री पर सरकार का नया आदेश, बच्चों की सुरक्षा को बनाया प्राथमिकता

Government's big decision, केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कफ सिरप की बिक्री पर सख्त नियम लागू किया है। अब दवा की दुकानों से कोई भी कफ सिरप बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं खरीदा जा सकेगा।

Government’s big decision : डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य, बच्चों के लिए कफ सिरप पर नया नियम लागू

Government’s big decision, केंद्र सरकार ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कफ सिरप की बिक्री पर सख्त नियम लागू किया है। अब दवा की दुकानों से कोई भी कफ सिरप बिना डॉक्टर की पर्ची के नहीं खरीदा जा सकेगा। यह कदम हाल के वर्षों में बच्चों में कफ सिरप के दुष्प्रभाव और जानलेवा मामलों को देखते हुए उठाया गया है।

कफ सिरप से बच्चों की मौतें और गंभीर दुष्प्रभाव

पिछले कुछ वर्षों में कफ सिरप के गलत इस्तेमाल और उसमें घातक रसायन पाए जाने की घटनाओं ने स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है। कुछ कफ सिरपों में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और एथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे जहरीले पदार्थ पाए गए। इन रसायनों के सेवन से न केवल बच्चों की किडनी और लीवर पर असर पड़ता है, बल्कि कई देशों में इसकी वजह से बच्चों की मौतें भी हुई हैं। मध्य प्रदेश में हाल ही में दर्जनों बच्चों की मौत और विदेशों में रिपोर्ट हुए मामले (जैसे गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून) ने इस दिशा में सरकार को कड़े कदम उठाने के लिए मजबूर किया।

डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य

सरकार की शीर्ष नियामक औषध परामर्श समिति ने कफ सिरप को उस शेड्यूल से हटाने की मंजूरी दी, जिससे यह पहले लाइसेंसिंग और निगरानी नियमों से छूट पाया करता था। अब कफ सिरप खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी। साथ ही दवा विक्रेताओं को प्रत्येक पर्ची का रिकॉर्ड रखना होगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है। डॉक्टर की पर्ची के बिना कफ सिरप की बिक्री रोकने से गलत दवा सेवन और इसके संभावित दुष्प्रभावों को रोका जा सकेगा।”

नशे और गलत इस्तेमाल पर भी नियंत्रण

अधिकारी ने यह भी बताया कि कुछ लोग कफ सिरप का नशे के लिए दुरुपयोग कर रहे हैं, जबकि कई माता-पिता बिना डॉक्टर से पूछे अपने बच्चों को यह सिरप दे रहे हैं। इस कदम से न केवल दवा के गलत उपयोग पर रोक लगेगी, बल्कि बच्चों की स्वास्थ्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

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औषध परामर्श समिति की सिफारिश

समिति के एक सदस्य ने बताया कि प्रस्ताव इसलिए लाया गया क्योंकि पिछले तीन वर्षों में भारत से निर्यात किए गए कई कफ सिरपों में जहरीले रसायन पाए गए। समिति ने जोर देकर कहा कि सामान्य खांसी-जुकाम जैसी बीमारियों में भी लोग डॉक्टर की सलाह लें। “यह कदम बच्चों और आम लोगों दोनों के लिए सुरक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण है,” समिति के सदस्य ने कहा।

दवा दुकानों के लिए नए नियम

अब दवा दुकानों को अनिवार्य रूप से यह सुनिश्चित करना होगा कि कफ सिरप केवल पर्ची के आधार पर ही दिया जाए। दुकानों को प्रत्येक बिक्री का रिकॉर्ड रखना होगा और कफ सिरप की गुणवत्ता पर कड़ी निगरानी रखनी होगी। साथ ही, दवा विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि ग्राहकों को किसी भी तरह की गलत जानकारी न दी जाए और न ही बच्चों को अनजाने में जहरीला सिरप दिया जाए।

बच्चों की सुरक्षा सर्वोच्च

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, “बच्चों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। इस फैसले से न केवल दुष्प्रभाव और मौतों को रोका जा सकेगा, बल्कि बच्चों में दवा की गलत खुराक देने की घटनाओं पर भी रोक लगेगी।” उन्होंने माता-पिता से भी अपील की कि बच्चे को किसी भी दवा के सेवन से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।

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विदेशों में भी देखा गया गंभीर प्रभाव

सरकार के कदम के पीछे भारत और विदेशों में हुई मौतें एक बड़ी वजह हैं। भारत से कई देशों में निर्यात किए गए कफ सिरपों में जहरीले रसायन पाए गए थे। इनमें गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून शामिल हैं, जहां बच्चों की मौतें हुईं। इसी कारण औषध परामर्श समिति ने कफ सिरप को अब विशेष निगरानी वाले शेड्यूल में शामिल करने का प्रस्ताव पास किया।

माता-पिता और दवा दुकानों को चेतावनी

अधिकारी ने कहा कि कुछ लोग बिना डॉक्टर से पूछे बच्चों को कफ सिरप दे रहे हैं। “यह बिल्कुल गलत है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अब दवा दुकानों को भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी कफ सिरप बिना पर्ची के न बिका,” अधिकारी ने कहा। साथ ही उन्होंने माता-पिता से अपील की कि बच्चों को सिर्फ डॉक्टर की सलाह के बाद ही सिरप दिया जाए। केंद्र सरकार का यह कदम बच्चों की सुरक्षा और दवा के गलत इस्तेमाल पर रोक लगाने की दिशा में एक अहम कदम है। अब कफ सिरप खरीदने के लिए डॉक्टर की पर्ची अनिवार्य होगी, विक्रेताओं को रिकॉर्ड रखना होगा और गुणवत्ता मानकों का पालन करना होगा। यह न केवल बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करेगा, बल्कि दवा के दुरुपयोग और संभावित खतरनाक दुष्प्रभावों को भी कम करेगा।

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