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DeepFake: फेक वेबसाइट्स से खतरे में यूजर्स, साइबर क्रिमिनल्स की नई चाल
भारत

DeepFake: फेक वेबसाइट्स से खतरे में यूजर्स, साइबर क्रिमिनल्स की नई चाल

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बैठक में चार मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई थी। पहला मुद्दा था - डीपफेक का पता कैसे लगाया जा सकता है; इसे कैसे रोका जा सकता है कि लोग डीपफेक पोस्ट न करें और ऐसा कंटेंट वायरल न हो?

DeepFake: डीपफेक से बढ़ी सोशल मीडिया प्रमुखों की चिंता, सरकार ने बुलाई बैठक

DeepFake: ‘डीपफेक’ इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ समय पहले रश्मिका का कैटरीना के साथ डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद रश्मिका ने इस पर अपनी नाराजगी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शेयर की थी। उनके उस वीडियो में एक महिला को दिखाया गया है जो बिल्कुल रश्मिका की तरह ही दिखती थी।  इसी के चलते अब केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डीप फेक को लेकर सोशल मीडिया प्रमुख के साथ बैठक की है इस बैठक में उन्होंने बताया की है। 

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बैठक में चार मुख्य मुद्दों पर चर्चा हुई थी। पहला मुद्दा था – डीपफेक का पता कैसे लगाया जा सकता है; इसे कैसे रोका जा सकता है कि लोग डीपफेक पोस्ट न करें और ऐसा कंटेंट वायरल न हो? साथ ही, इस बात पर भी चर्चा की गई कि रिपोर्टिंग तंत्र को कैसे लागू किया जा सकता है ताकि उपयोगकर्ताओं, प्लेटफार्मों और अधिकारियों को किसी ऐप या वेबसाइट पर डीपफेक के बारे में सतर्क किया जा सके, ताकि इसके खिलाफ कार्रवाई की जा सके। जनता को इस बारे में जागरूक करने के लिए सरकार, उद्योग और मीडिया को मिलकर काम करना होगा।

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इसके साथ ही डीपफेक के साथ क्लीयरफेक भी इन दिनों सुर्खियां बटोर रहा है। आपको बता दें कि क्लियरफेक और डीपफेक दोनों एक जैसे हैं जिनका उद्देश्य लोगों को गुमराह करना और उनसे गलत सूचना, फर्जी वीडियो, फोटो और अन्य मैलवेयर फैलाना है।  इस साल की शुरुआत में, रिसर्चर्स ने एक नए साइबर खतरे, “एटॉमिक macOS स्टीलर,” की खोज की है, जो खासकर एप्पल उपयोगकर्ताओं को लक्षित करता है। यह मैलवेयर एक बार जब इंस्टॉल हो जाता है, तो यूजर की व्यक्तिगत जानकारी जैसे iCloud पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड विवरण, और क्रिप्टो वॉलेट चोरी करता है।

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क्लियरफेक का उपयोग करके लोग अब फेक वेबसाइट बना रहे हैं और उन्हें यूजर्स से ब्राउज़र को अपडेट करने के लिए कह रहे हैं। इन वेबसाइट्स को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि यूजर्स को लगता है कि वे असली हैं और वे गलत जावास्क्रिप्ट कोड वाले कम्प्रोमाइज़ ब्राउज़र को इंस्टॉल कर लेते हैं। इसके बाद, एटॉमिक macOS स्टीलर इंस्टॉल होता है और यह व्यक्तिगत जानकारी चोरी करना शुरू कर देता है, जिससे यूजर्स की प्राइवेसी को खतरे में डालता है। इस जानकारी का उपयोग ठग लोग विभिन्न तरीकों से यूजर्स को धोखा देने के लिए करते हैं।

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