भारत

Caste Based Census: बिहार में जारी हुआ जातिगत सर्वे के आंकड़े, तो पार्टी के नेता ने कहा 2024 चुनाव का अजेंडा सेट

बिहार पहला ऐसा राज्‍य है जिसने जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े सामने रखे हैं। जाति जनगणना रिपोर्ट का दूसरा हिस्सा भी जल्‍द आएगा। इससे देश में सियासी हलचल मच गई है। जाति जनगणना के कारणों पर तमाम सरकारें जो भी दावा करें, हकीकत है कि यह पिछड़े और अति पिछड़े वोट पर हिस्सा पाने की कवायद है। इसी क्रम में सत्ता पक्ष और विपक्ष मंडल राजनीति के बदले स्वरूप में अपना दबदबा हासिल करने के लिए एक के बाद एक सियासी पत्ते खेल रहे हैं। बिहार सरकार ने इसमें आंकड़े जारी कर 2024 से पहले अपना सबसे बड़ा तुरुप का इक्का फेंक दिया। पार्टी नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि 2024 का चुनाव का अजेंडा सेट हो गया है।

Caste Based Census: जानिए कितने हिंदू- कितने मुसलमान? क्या OBC ही तय करेंगे चुनाव के नतीजे?


Caste Based Census: आपको बता दें कि बात सिर्फ बिहार की नहीं है। पिछले कुछ महीने से कांग्रेस समेत कई क्षेत्रीय विपक्षी दल जातीय जनगणना करने का दबाव बनाकर पिछड़ों की राजनीति में पहल लेने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें ज्यादातर क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने 90 के दशक में मंडल के दौर में अपनी स्थिति मजबूत की थी। अब तक कांग्रेस इससे अलग रह रही थी, लेकिन राहुल गांधी की अगुवाई में पिछले कुछ दिनों से जाति जनगणना की मांग पर बहुत आक्रामक तरीके से सामने आई। महिला आरक्षण बिल में भी OBC कोटे की मांग उठी। BJP को काउंटर करने की कोशिश भी मजबूत तरीके से जारी है।

बिहार सरकार ने जारी किए जातिगत सर्वे के आंकड़े

गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार के मुख्य सचिव समेत अन्य अधिकारियों ने यह रिपोर्ट जारी की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने बताया कि जातिगत सर्वे के मुताबिक बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ के करीब है। रिपोर्ट के मुताबिक अति पिछड़ा वर्ग 27.12 प्रतिशत, अत्यन्त पिछड़ा वर्ग 36.01 प्रतिशत, अनुसूचित जाति 19.65 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति 1.68 प्रतिशत और अनारक्षित यानी सवर्ण 15.52 प्रतिशत हैं।

जानिए कितने हिंदू- कितने मुसलमान?

इस जातिगत सर्वे से बिहार में आबादी का धार्मिक आधार भी पता चला है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सर्वाधिक संख्या हिंदुओं की हैं। बिहार में 107192958 लोगों ने अपने आप को हिंदू बताया है। यानी बिहार की कुल आबादी में 81.9 प्रतिशत हिंदू हैं। इनके बाद सबसे बड़ा धार्मिक समूह मुसलमानों का है। राज्य में 23149925 लोगों ने अपने आप को मुसलमान बताया है। तो वहीं इस तरह से बिहार में मुसलमानों की आबादी 17.7 प्रतिशत है। इसके बाद ईसाई 0.05 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.009 प्रतिशत हैं। वहीं 2146 लोगों ने बताया है कि वो किसी धर्म को नहीं मानते हैं।

क्या OBC ही तय करेंगे नतीजे?

सभी दलों का आकलन है कि 2024 में जिस सियासी टीम में जितने मजबूत मुद्दे और OBC खिलाड़ी होंगे उसे उतना ही लाभ मिलेगा और चुनावी पिच पर बेहतर स्कोर कर पाएंगे। विपक्ष का मानना है कि अगर वह OBC वोट में अपनी स्थिति नहीं सुधारती है तो उसके लिए आने वाले दिनों में दिक्कत बढ़ेगी। इसके लिए पार्टी को OBC से जुड़े मजबूत मुद्दे की भी जरूरत होगी। संख्या के लिहाज से भी यह सबसे बड़ा समूह है। साथ ही विपक्षी दलों को अहसास है कि BJP की आक्रामक कमंडल राजनीति को वह मंडल राजनीति से ही काउंटर कर सकती है।

Read More:Bihar Politics: जितन राम मांझी ने बिहार सरकार से समर्थन किया वापस, एनडीए के नेताओं से करेंगे मुलाकात

केंद्र के स्तर पर बहुत कम रिसर्च

लगभग तीन दशक पहले देश में जातियों को जानने के लिए एकमात्र रिसर्च हुई थी। 1991 में तत्कालीन सरकार में संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर एंथ्रोपाॉलिजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने पीपल ऑफ इंडिया नाम से एक सर्वे किया था। इसमें देश के धार्मिक-जातिगत सिस्टम को डिकोड करने की कोशिश हुई थी। पिछले 200 वर्षों में इस तरह की मात्र दो रिसर्च हुई हैं। एक 1870 में और दूसरा 1991 मे। 1991 की रिपोर्ट पर जानकारों का मानना है कि यह देश के सामाजिक ताने-बाने की जटिलता को सामने ताली है जो राजनीति के लिहाज से फिट नहीं बैठती। ऐसे में इन रिपोर्ट को दबाकर रखा गया।

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button