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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या नगरी किसने बसायी थी ? क्या है इसका इतिहास आइए जानते हैं

Ayodhya Ram Mandir: धार्मिक ग्रंथों की माने तो अयोध्या की स्थापना विवस्वान यानी सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी।

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या नगरी का इतिहास क्या कहता है? क्या आपको पता है? अगर नही तो पढ़िए यहां

Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में राम मंदिर के अलावा अयोध्या में राम की पैड़ी, हनुमान गढ़ी, नागेश्वर नाथ मंदिर आदि का भी अपना काफी धार्मिक महत्व हैं, लेकिन क्या आप जानते है कि अयोध्या नगरी कब और किसने बसायी थी? तो आइये आज हम आपको प्राचीन नगरी अयोध्या के बारे में कुछ ख़ास बाते बताते है …

अयोध्या एक प्राचीन नगरी है, भगवान श्रीराम की नगरी के रूप में मशहूर अयोध्या हिंदुओ के लिए खास महत्व रखता है। इसे भगवान राम की नगरी होने के कारण एक धार्मिक नगरी भी माना जाता है। भगवान राम के प्रति श्रद्धा रखने वालो के लिए अयोध्या सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक स्थानों में से एक है।

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धार्मिक ग्रंथों की माने तो अयोध्या की स्थापना विवस्वान यानी सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी। ग्रंथो के अनुसार ब्रह्माजी के पुत्र मरीचि थे और मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के पुत्र विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे। माना जाता है की लगभग 6673 ईसा पूर्व वैवस्वत मनु का जन्म हुआ था. तो चलिए अब इसे विस्तार से समझतें है।

अयोध्या का प्राचीन इतिहास क्या कहता है?

पौराणिक ग्रंथ रामायण के अनुसार, अयोध्या की स्थापना सूर्य के पुत्र वैवस्वत मनु ने की थी। वैवस्वत मनु के 10 पुत्र थे. जिनके नाम
इल,
इक्ष्वाकु,
कुशनाम,
अरिष्ट,
धृष्ट,
नरिष्यन्त,
करुष,
महाबली,
शर्याति और
पृषध थे
माना जाता है कि इन सब पुत्रो में सिर्फ इक्ष्वाकु के कुल का ही ज्यादा विस्तार हुआ। बता दे की अयोध्या पर इक्ष्वाकु कुल का ही शासन चलता था। इक्ष्वाकु कुल में ही बाद में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ।

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गौरतलब है की मनु के पुत्र इक्ष्वाकु से अयोध्या पर शासन करना आरंभ हुआ था। माना जाता है भगवान राम के पिता राजा दशरथ अयोध्या के 63 वें राजा थे। राजा दशरथ के बाद ही अयोध्या का शासन भगवान श्रीराम को मिला। क्या आपको पता है, श्रीराम के पुत्र कुश ने अयोध्या का पुन: निर्माण करवाया था, इसलिए अयोध्या का इतिहास धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ा हुआ है।

अयोध्या जैन तीर्थ स्थल भी है

हिन्दू ही नहीं अयोध्या जैन मत से जुड़े लोगों के लिए भी खास महत्व रखता है। बता दे की जैन मत के अनुसार, 24 तीर्थंकरों में से 5 तीर्थंकरों का जन्म अयोध्या में हुआ था। पहले तीर्थंकर ऋषभदेव जी, दूसरे अजितनाथ जी, चौथे अभिनंदननाथ जी, पांचवें सुमतिनाथ और 14वें तीर्थंकर अनंतनाथ जी का जन्म अयोध्या में ही हुआ माना जाता है।

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