भारत

Ashfaqulla Khan: अशफाक उल्ला खान की पुण्यतिथि, अमर बलिदानी की वीर गाथा

Ashfaqulla Khan, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई ऐसे वीर क्रांतिकारी हुए जिन्होंने मातृभूमि की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

Ashfaqulla Khan : 19 दिसंबर, अशफाक उल्ला खान की शहादत और उनकी अमर विरासत

Ashfaqulla Khan, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कई ऐसे वीर क्रांतिकारी हुए जिन्होंने मातृभूमि की आज़ादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। इन्हीं अमर बलिदानियों में एक नाम बड़े आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है अशफाक उल्ला खान। हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक, अदम्य साहस के धनी और अंग्रेजी हुकूमत से लोहा लेने वाले इस महान क्रांतिकारी की पुण्यतिथि भारत के इतिहास में एक भावुक और प्रेरक दिन के रूप में याद की जाती है।

जीवन परिचय और प्रारंभिक प्रेरणा

अशफाक उल्ला खान का जन्म 22 अक्टूबर 1900 को उत्तर प्रदेश के शाहजहाँपुर में हुआ था। उनका परिवार शिक्षित और धार्मिक विचारों वाला था। बचपन से ही उनमें देशप्रेम की भावना थी। किशोर अवस्था में ही उन्होंने राष्‍ट्रभक्ति के गहरे भाव महसूस किए और अंग्रेजों के दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ने का दृढ़ संकल्प लिया। उनकी मुलाकात रामप्रसाद बिस्मिल से हुई, जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। दोनों के बीच गहरी मित्रता और मजबूत वैचारिक एकता थी। बिस्मिल के माध्यम से उनके मन में क्रांतिकारी आंदोलन से जुड़ने की प्रेरणा और भी मजबूत हुई।

हिंदू-मुस्लिम एकता का आदर्श

अशफाक और बिस्मिल की दोस्ती केवल व्यक्तिगत संबंध नहीं थी, बल्कि यह स्वतंत्रता संग्राम में हिंदू-मुस्लिम एकता का सर्वोत्तम उदाहरण थी। दोनों ने मिलकर “हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (HRA)” को मज़बूत बनाने का काम किया। वे मानते थे कि भारत की आज़ादी केवल आपसी एकता, भाईचारे और साहस से ही संभव है।

काकोरी कांड—साहस की मिसाल

1925 में “काकोरी ट्रेन एक्शन” हुआ, जिसने अंग्रेजी सरकार की नींव हिला दी। इस घटना का उद्देश्य अंग्रेजों के खजाने को लूटकर क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए धन जुटाना था। रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, रोशन सिंह और अन्य साथियों ने इस योजना को अत्यंत साहस और रणनीति के साथ अंजाम दिया। अशफाक उल्ला खान का इसमें महत्वपूर्ण योगदान था। वे न सिर्फ इस कार्रवाई में शामिल थे, बल्कि आगे की योजनाओं को लेकर भी सबसे अधिक प्रतिबद्ध रहे। अंग्रेज सरकार इस घटना से बुरी तरह हिल गई और क्रांतिकारियों की खोज शुरू हुई।

गिरफ्तारी और मुकदमा

काकोरी कांड के बाद अशफाक भूमिगत हो गए। वे देश छोड़कर विदेश जाने की योजना बना रहे थे ताकि वहां से स्वतंत्रता आंदोलन को और मजबूत किया जा सके। लेकिन, विश्वासघात ने उन्हें पकड़वा दिया। दिल्ली में एक करीबी परिचित ने उन्हें अंग्रेजों के हवाले कर दिया। उन्हें शाहजहाँपुर, फिर फैजाबाद जेल लाया गया। मुकदमा चला और अंग्रेज सरकार ने उन्हें “राजद्रोह” का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई।

क्रांतिकारी विचार और दृढ़ संकल्प

जेल में रहने के दौरान अशफाक उल्ला खान ने अनेक क्रांतिकारी लेख और शायरी लिखी। उनके शब्द आज भी युवाओं के दिलों में जोश भरने का काम करते हैं। उनकी प्रसिद्ध पंक्तियाँ“किसी भी क़ौम पर आया नहीं है वक्त ए-कैफियत, जो अपने आप ना होही बर्बाद राम के वास्ते।” उनके विचारों में देशभक्ति, त्याग और आज़ादी की तीव्र आकांक्षा झलकती थी।

Read More: Khatron Ke Khiladi 15: Rohit Shetty ने किया कन्फर्म! 2026 में लौट रहा है Khatron Ke Khiladi 15

19 दिसंबर 1927 — शहादत का दिन

अशफाक उल्ला खान को 19 दिसंबर 1927 की सुबह फैजाबाद जेल में फांसी दी गई। मौत के समय भी वे मुस्कुराते रहे और गर्व से बोले“मेरी नस्ल को कोई मिटा नहीं सकता। मैं अपनी मातृभूमि के लिए मर रहा हूँ और मुझे इस पर गर्व है।” उनकी शहादत ने युवा क्रांतिकारियों में नई ऊर्जा और साहस भर दिया। उनकी मौत अंग्रेजों के लिए एक चेतावनी थी और देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत।

Read More: Sholay Re Release: 50 साल बाद दर्शकों के लिए खुशखबरी, शोले दोबारा सिनेमाघरों में होगी रिलीज

अमर विरासत और प्रेरणा

अशफाक उल्ला खान को आज भी हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक, निडर योद्धा और महान बलिदानी के रूप में याद किया जाता है। भारत के कई शहरों में उनके नाम पर सड़कें, पार्क और स्मारक बने हैं। स्कूलों और कॉलेजों में उनका जीवन पढ़ाया जाता है ताकि आने वाली पीढ़ियों को उनके त्याग और वीरता की समझ हो सके। उनकी पुण्यतिथि पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां उनके जीवन, विचारों और देशप्रेम को श्रद्धांजलि दी जाती है। अशफाक उल्ला खान की शहादत केवल एक वीर गाथा नहीं, बल्कि भारत की आज़ादी की लड़ाई का एक चमकता अध्याय है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि सच्चा देशप्रेम साहस, एकता और नि:स्वार्थ त्याग में निहित है।

We’re now on WhatsApp. Click to join.

अगर आपके पास भी हैं कुछ नई स्टोरीज या विचार, तो आप हमें इस ई-मेल पर भेज सकते हैं info@oneworldnews.com

Back to top button