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जानें करनाल के मिनी सचिवायल के बाहर किसानों ने क्यों धरना प्रदर्शन

बुधवार को किसानों को मिनी सचिवायल में जाने से रोका गया

पिछले साल से शुरु हुए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को अब नौ महीने हो गए हैं। इस दौरान इस आंदोलन में कई तरह की घटना हुई। हाल ही में मुजफ्फरपुर में किसान महापंचायत का आयोजन किया गया। जिसमें लाखों किसानों ने हिस्सा लिया। सबकुछ ठीक चल रहा था। लेकिन अब अचानक से किसानों का धरना स्थल बदल गया है। किसान आंदोलन की शुरुआत दिल्ली को बॉर्डर से हुई थी और अब यह करनाल के मिनी सचिवायल तक पहुंच गया। क्या है पूरा मामला आपको बताते हैं।

पिछले महीने में 28 अगस्त को हरियाणा में किसानों ने तीन कृषि कानूनों खिलाफ रैली निकाली इस दौरान पुलिस ने किसानों पर लाठीचार्ज कर दी। जिसमें एक किसान की मौत हो गई और कुछ घायल हो गए। इस घटना के बाद किसान संगठन लगातार जांच की मांग करते हुए दोषियों को सजा देने की अपील कर रहे थे। लेकिन बात  नहीं बनी। जिसका नतीजा यह धरना प्रदर्शन है।

मिनी सचिवायल

अब गुरुवार को हरियाणा प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवा का बंद कर दिया है। ताकि किसी तरह की अफवाह न फैलाई जा सके।

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इससे पहले बुधवार को किसान नेता और जिला प्रशासन के बीच बातचीत नाकाम रही। इस दौरान लगभग 3.30 घंटे तक दो दौर की वार्ता हुई। जिसमें पहले दौर की वार्ता में डीसी निशांत यादव व एसपी गंगाराम पूनिया ने प्रशासनिक टीम का नेतृत्व किया और दूसरे फेज में कमिश्नर की अगुवाई मे बात हुई।

इस बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि प्रशासनिक टीम ने हर आधे घंटे बाद चंडीगढ़ बात की मगर ऐसा कोई सुझाव या प्रस्ताव नहीं आया, जिस पर सहमति बन सके।

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वहीं दूसरी ओर किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि आयुष सिन्हा ने जो कुछ भी वह निदंनीय है। उनके खिलाफ केस दर्ज  होना चाहिए। मगर सरकार उसका बचाव कर रही है।

आपको बता दें कि प्रशासन द्वारा दिए गए निमंत्रण के बाद राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, गुरनाम चढूनी समेत अन्य 12 किसान नेता इस वार्ता में शामिल हुए। इससे पहले बुधवार को किसानों को मिनी सचिवालय में प्रवेश न करने से रोका गया।

किसानों की मांग

किसान अपनी मांग को लेकर अड़े हुए है। करनाल में मिनी सचिवालय के बाहर तंबू लगाकर बैठे है। किसानों को कहना है कि आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा को निलंबित किया जाए। इसके साथ ही मृतक किसान के परिवार को 25 लाख रुपए का मुआवजा दिया है। किसानों की यह मांग अभी तक पूरी नही हुई है।

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क्या हुआ था 27 अगस्त को

आपको बता दें 28 अगस्त को करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान उन पर हरियाणा पुलिस द्वारा लाठीचार्ज कर दिया गया। जिसमें करनाल के रायपुर जाटान गांव के सुशील काजल की मौत हो गई थी। जिसके विरोध में 7 सितंबर को करनाल मंडी में महापंचायत की। जिसमें प्रशासन द्वारा उनकी बात नहीं माने जाने पर किसानों ने मिनी सचिवालय के बाहर धरना प्रशासन शुरु कर दिया।

इससे पहले 28 अगस्त को हुए लाठीचार्ज से पहली की एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई जिसमें यह साफ दिख रहा था कि एसडीएम आयुष सिंहा पुलिस वालों को यह निर्देश दे रहे थे कि वह प्रदर्शनकारियों को रोकने क्रम में उन पर लाठीचार्ज करें।

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