Marriage Strike Trends on Twitter: क्या है Marriage Strike और क्यों है पुरुषों को महिलाओं के लिए होने जा रहे इस कानून में बदलाव से दिक्कत?
Marriage Strike Trends on Twitter: शादी एक पवित्र संबंध है या पुरुषो के लिए लाइसेन्स? किस बात से डर रहें है पुरुष?
Highlights:
Marriage Strike Trends on Twitter, What Is It About?: जानिए क्या है इस ट्रेंड के पीछे की वजह।
शादी के बाद या पहले संभोग के वक्त सहमति का होना है बहुत जरूरी।
क्या है धारा 375, जिसके बदलाव पर विरोध कर रहे है पुरुष
Marriage Strike Trends on Twitter: हालही में ट्विटर पर पुरुषों के एक वर्ग द्वारा हैशटैग #MarriageStrike का ट्रेंड चलाया जा रहा है क्योंकि उन्हे लगता है कि कुछ भारतीय कानून महिलाओं के पक्ष में हैं। विवाह को अक्सर पवित्र बंधन कहा जाता है लेकिन ट्विटर पर कुछ पुरुष इसकी निंदा कर रहे हैं। कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर वैवाहिक बलात्कार का मुद्दा गरमा गया है ।
केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह वैवाहिक बलात्कार को आपराधिक बनाने के मुद्दे पर रचनात्मक दृष्टिकोण पर विचार कर रहें है और इस सिलसिले में राज्यों से सुझाव भी मांगा गया है। न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने कहा है कि “जब बलात्कार कानून, यौनकर्मी के साथ जबरन संभोग के मामले में कोई छूट नहीं देता है तो वहीं एक भारतीय पत्नी को कम सशक्त क्यों होना चाहिए।”
https://twitter.com/Ambar_SIFF_MRA/status/1483669330646941697?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1483669330646941697%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fwww.oneindia.com%2Findia%2Fmarriage-strike-trends-on-twitter-as-netizens-oppose-criminalization-of-marital-rape-in-india-3360747.html
केंद्र के इस निर्णय पर पुरुषों का एक वर्ग आपत्ति जता रहा है, उनका कहना है कि इस तरह के कानून से महिलाओं को झूठे मामले दर्ज करने का अधिकार मिलेगा। दहेज के मामलों में महिलाओं का तो पहले से ही दबदबा है और अब वैवाहिक बलात्कार कानून पुरुषों के हितों को और नुकसान पहुंचाएगा। इसलिए सरकार के इस आदेश पर नाराजगी जताते हुए बुधवार को बात इस हद तक पहुंच गई कि पुरुषों के एक वर्ग ने पोस्ट करना शुरू कर दिया कि इस तरह के भेदभावपूर्ण कानूनों वाले देश में शादी न करें तो बेहतर है #MarriageStrike का उपयोग कर।
#MarriageStrike क्या है?
Having Sex with your wife is crime but your wife having sex with someone else is not crime. #MarriageStrike pic.twitter.com/Qbhy90i5DF
— Ashraf Ansari (@ashrafnansari) January 18, 2022
शादी के बाद तलाक और झूठे मामलों से वित्तीय बर्बादी और बेइज्जती के डर से यह हड़ताल युवा पुरुषों द्वारा शादी न करने के आंदोलन को संदर्भित करता है। दरअसल सरकार के निर्देश से नाराज युवको का मानना है की महिलाओ को शादी के बाद झूठे मामले दर्ज करने में आसानी होगी और अपने मन अनुसार वह पैसे ऐंठने के लिए किसी भी हद तक गुज़र सकती है।
अपनी इस अवधारणा की पुष्टि के लिए यह वर्ग उदाहरण के तौर पर 2014 में, दिल्ली महिला आयोग की एक रिपोर्ट प्रकाशित करते रहते है जिसमें इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया है कि अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 के बीच दर्ज किए गए सभी बलात्कार के मामलों में से 53.2% झूठे निकले।
Men tweeting in favour of #marriagestrike are potential rapists. Possible rapists. Previous rapists. Why would any man who is self-respecting not want for marital rape to be criminalised? How can there be legal protection for rape only becauseit happens in a marriage?
— Meena Kandasamy (@meenakandasamy) January 19, 2022
इस आंकड़े को पुरुषों के अधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा उल्लासपूर्वक पोस्ट किया जा रहा है निंदा करने के लिए कि बलात्कार या यौन हिंसा के बारे में बोलने वाली महिलाएं झूठ बोल रही थीं या पुरुषों से बदला ले रही थीं।
जबकि कुछ ऐसे हैं जो भारतीय दंड संहिता की धारा 375 जो उन पुरुषों की रक्षा करता है, जिन्होंने अपनी पत्नियों के गैर-सहमति पर भी जबरदस्ती संभोग किया हो, उसको समाप्त करने के लिए अपनी सहमति दे रहे हैं मगर अन्य सोचते हैं कि यदि महिलाओं को शक्ति दी जाएगी तो पुरुषों पर गलत तरीके से मुकदमा चलाने के लिए और उन्हें सलाखों के पीछे डालने के लिए आजादी मिल जाएगी ।
वहीं कुछ महिलाएं इन पुरुषो को खुद से शादी न करने का मन बनाने के लिए धन्यवाद कह रही है उनका मानना है की ऐसे पुरुषों से दूरी रखना ही बेहतर है।
धारा 375 क्या है?
We vote for #MarriageStrike solve the problem not the system . pic.twitter.com/BekQnR01zj
— Hope SOS Men (@newsvision007) January 19, 2022
भारत में बलात्कार एक अपराध है, लेकिन वैवाहिक जीवन में होने वाले बलात्कार, सटीक शब्दों में अपराध नहीं है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद के तहत, कानून कहता है की, “अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती का यौन संभोग करना, अगर पत्नी की उम्र पंद्रह वर्ष से कम नहीं है तो वह बलात्कार नहीं है।”
न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ वैवाहिक बलात्कार अपवाद को पलटने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे है। इस सुनवाई को लेकर कोर्ट के बाहर आम नागरिकों, खासकर सोशल मीडिया पर अपनी राय रखने वालों के बीच बवाल मचा हुआ है।
भारत में पवित्र माना जाने वाला विवाह, कई लोगों के लिए, एक लाइसेन्स की तरह है। मतलब शादी होते ही पति को अपने पत्नी के तन पर बुनियादी हक मिल जाता है। वह जब चाहे अपने मन अनुसार पत्नी के मन का हाल जाने बगैर संभोग करने के लिए तैयार होते है, फिर चाहे उसमे महिला की सहमति हो या न हो उससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। यह ऐसा है जैसे महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि शादी होते ही वह अपने शरीर पर अपना अधिकार छोड़ दें और अपने पति को सौंप दे जैसे मानो वह कोई इंसान नहीं कोई वस्तु हो।
विवाह लाइसेंस के तहत, पुरुष ‘संभोग के मूड’ में होने पर बेडरूम में अपनी पत्नियों पर खुद को जबरदस्ती करने के लिए जारी रख सकते हैं और कई महिलाएं इसका पालन करती हैं क्योंकि उनके पास इसके अलावा कोई और चारा नहीं होता।
अब तक ऐसी महिलाओ के पास साहस जुटाने और अपमानजनक विवाह से बाहर निकलने के लिए संसाधन नहीं थे मगर अब दिल्ली उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की बेंच भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 375 के अपवाद के लिए एक संवैधानिक चुनौती पर सुनवाई कर रही है, जिसे आमतौर पर “वैवाहिक बलात्कार अपराध” के रूप में जाना जाता है।
जब इस धारा को अधिनियमित किया गया था तब एक प्रचलित धारणा थी कि वैवाहिक संबंध इसके साथ कई तरह के दायित्वों को निभाते हैं जिसमें यौन दायित्व भी शामिल हैं जो महिलाओं की इच्छा या सहमति से स्वतंत्र थे। 19वीं सदी के इस धारा में रूढ़िवादी और पिछड़ी सोच साफ साफ झलकती है।
जैसा कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर नोट किया है, समानता के लिए हमें उन मानदंडों और कानूनों को अस्वीकार करने की आवश्यकता है जो लैंगिक रूढ़ियों पर आधारित हैं। महिलाओं के प्रति हानिकारक और भेदभावपूर्ण होने के अलावा, वैवाहिक बलात्कार अपवाद भी पूरी तरह से मनमाना है।
सुनवाई के दौरान वकील ने बताया, अगर शादी की औपचारिकता से पांच मिनट पहले यौन बिना मर्जी के किया जाये तो वह बलात्कार होता है लेकिन पांच मिनट बाद इसको दोहराया जाये तो वह बलात्कार नहीं होता।
जबर्दस्ती संभोग का करना बलात्कार होता है यदि वह लिव-इन रिश्ते के संदर्भ में किया जाये, या किसी अन्य स्थिति में अगर वैवाहिक जीवन में इस जबर्दस्ती को बलात्कार न कहना विवाहित महिलाओं के एक वर्ग को उस गारंटी से इनकार करता है जो कहता है की कानून सबके लिए समान है।
Conclusion:
भारत में वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण के बारे में चर्चा के आलोक में ट्विटर पर शादी की हड़ताल की घोषणा करने वाले पुरुष एक बात स्पष्ट करते हैं की हमारे देश में कई लोगों के लिए ‘सहमति’ अभी भी एक खोई हुई अवधारणा है। इस लेख के माध्यम से हमने आपको सोश्ल मीडिया में चल रहे #MarriageStrike के ट्रेंड से जुड़ी बातों को बताने का और धारा 375 को आसान भाषा में समझने का प्रयास किया है। एसे ही ख़बरो को विस्तार से जानने के लिए बने रहिए Oneworldnews के साथ।