Lampi virus: Shocking ! लंपी वायरस से 67 हज़ार से अधिक गाय – भैंस की मौत, क्या इन्सानों के लिए भी है ये खतरा ?
Lampi virus :उत्तर भारत में लंपी वायरस का कहर ! 67 हज़ार से अधिक गाय भैंस इस वायरस के चपेट में
Highlights –
. उत्तर भारत के कई राज्यों में लम्पी वायरस के कहर ने किसानों की हालत गंभीर कर दी है।
. लंपी वायरस से अब तक देश में लगभग 67 हज़ार मवेशियों की मौत हो चुकी है।
. राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में इस वायरस का कहर सबसे अधिक देखने को मिल रहा है।
Lampi virus : देश ने अभी तक कोरोना वायरस और मंकी पॉक्स से निजात नहीं पाई थी कि एक और नई बीमारी ने भारत को डरा कर रख दिया है। उत्तर भारत के कई राज्यों में लम्पी वायरस के कहर ने किसानों की हालत गंभीर कर दी है। दरअसल, इस वायरस से अब तक देश में लगभग 67 हज़ार मवेशियों की मौत हो चुकी है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में इस वायरस का कहर सबसे अधिक देखने को मिल रहा है।
हांलांकि डेयरी विभाग की ओर से इसके रोकथाम के लिए टीका आ चुका है। लेकिन अस वायरस की चपेट में आए गाय – भैंस बुरी तरह से अपनी जान गंवा रहे हैं।
यहां सबसे बड़ा सवाल और डर यह बन रहा है कि क्या यह वायरस इंसानों के लिए भी खतरा है ? इस आर्टिकल में हम आपको लम्पी वायरस से जुड़ी सारी जानकारियां देंगे और साथ ही ये भी बताएंगे की इस वायरस से इंसान को कोई खतरा है या नहीं।
So heartbreaking 💔#Rajasthan #lampivirus pic.twitter.com/FtH870KY1i
— Karishma Sachdev (@suchdevkarishma) September 12, 2022
एक्सपर्ट्स के मुताबिक लम्पी एक वायरल डिजीज है, जो संक्रमित पशुओं से अन्य पशुओं में बेहद तेजी से फैलती है। लंपी वायरस खून चूसने वाले कीड़ों , मच्छरों की कुछ प्रजातियां और पशुओं के कीड़ों के काटने से फैलता है।
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत के अनुसार लंपी वायरस की वजह से जानवरों की स्किन पर जगह – जगह निशान बन जाते हैं और इनकी सही समय पर इलाज न मिलने पर पशु मर जाते हैं।
सबसे पहले लंपी बीमारी 1929 में अफ्रीका में फैली । भारत में पशु वैज्ञानिकों ने अगस्त 2019 में लंपी वायरस की पहली बार पहचान ओडिशा में की थी। डॉ. सोलंकी ने बताया कि यह बीमारी विषाणु वायरस से फैल रही है। यह केप्री पॉक्स की फैमिली का वायरस है। यह बीमारी एक संक्रमित मवेशी से दूसरे मवेशी में फैल जाती है, इसलिए उन्होंने निर्देश दिये है कि पशुपालक मवेशियों में शारीरिक दूरी बनाए रखे तथा पशुओं को समूह में चराने के लिए न ले जाएँ।
लंपी वायरस संक्रमण के इन उपायों को फॉलो कर मवेशियों को बचाया जा सकता है।
लंपी के संक्रमण से पशुओं को बचाने के लिए एक संक्रमित पशु को दूसरे स्वस्थ पशु से अलग रखना चाहिए उनके बीच शारीरिक दूरी बना कर रखें। इससे वायरस बचाया जा सकता है।
अगर किसी पशु में संक्रमण की जानकारी मिलती है, तो स्वस्थ पशु को उससे अलग रखें।
गोशाला में कीटों की संख्या पर काबू करने के उपाय किये जाने चाहिए। मुख्य रूप से मच्छर, मक्खी का उचित प्रबंध किया जाना चाहिए।
संक्रमित पशुओं की जांच और इलाज में प्रयोग हुए सामान को खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
संक्रमित पशु की मृत्यु हो जाने के बाद उसे खुले में नहीं फेंकना चाहिए।
गोशाला में या अन्य किसी स्थान पर अगर आपको संक्रमित पशु की जानकारी मिलती है तो आप तुरन्त नजदीकी पशु अस्पताल में इसकी सूचना दें।
पशुपालकों को अपने शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए।
पशुओं को इकट्ठा नहीं बांधना चाहिए तथा उनको चारा एवं पानी भी एक साथ नहीं देना चाहिए।
पशुपालकों को इकट्ठा चराने के लिए नहीं लिया जाना चाहिए।
क्या इंसानों को भी है खतरा ?
अभी तक लंपी वायरस से किसानों को संक्रमण होने का कोई मामला सामने नहीं आया है. यह वायरस पशुओं के लिए घातक होता है, लेकिन इंसानों को इसका खतरा न के बराबर होता है। हालांकि लोगों को संक्रमित पशुओं से थोड़ी दूरी बरतनी चाहिए।
लंपी वायरस से संक्रमित होने वाले पशुओं को दूसरे पशुओं से अलग कर दें और इनकी देखभाल करने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह साबुन से धोएं। आप अपने हाथों को सैनिटाइज भी कर सकते हैं। कोशिश करें कि आप अपने हाथों को पशुओं की स्किन पर न लगाएं। वेटरनरी डॉक्टर की सलाह पर सभी पशुओं का वैक्सीनेशन करा सकते हैं। इससे यह बीमारी फैलने का खतरा कम हो जाएगा और पशुओं के साथ उनके आसपास रहने वाले लोग भी पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे। समय रहते पशुओं की देखभाल की जाए तो इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।