Lal Bahadur Shastri death anniversary 2023-लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि पर जानें कैसे एक गरीब परिवार का बच्चा बना ‘भारत रत्न’
Lal Bahadur Shastri death anniversary 2023: शास्त्री जी के 57वें पुण्यतिथि पर जानें उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें
Highlights –
- भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज यानि कि 11 जनवरी को 57वीं पुण्यतिथि है।
- लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी अंतिम सांस 11 जनवरी, 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में ली थी।
- जानें उनके बारे में कुछ अनसुनी बातें
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की आज यानि की 11 जनवरी को 57वीं पुण्यतिथि है। शास्त्री जी 2 अक्टूबर, 1904 को वाराणसी के शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था। सादगीपूर्ण अपना जीवन जीने वाले लाल बहादुर शास्त्री एक शांत स्वभाव वाले व्यक्ति थे। वह अपने घर के सबसे छोटे थे जिसके कारण उन्हें प्यार से नन्हे बुलाया जाता था। लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी अंतिम सांस 11 जनवरी, 1966 को उज्बेकिस्तान के ताशकंद में ली थी।
11 जनवरी, 1966 को ही लाल बहादुर शास्त्री ने ताशकंद घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किया था। वह भारत के पहले व्यक्ति थे जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया। तो चलिए आज लाल बहादुर शास्त्री के 57वीं पुण्यतिथि पर उनके बारे में कुछ ऐसी बातें जानते हैं जो बहुत कम लोगों को पता है।
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- लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमंत्री थे।
- शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल टीचर थे। लेकिन क्या आपको पता है लाल बहादुर शास्त्री जब डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था।
- लाल बहादुर शास्त्री ने अपने जन्म से ही काफी मुश्किलों का सामना किया था। कई जगह इस बात का भी ज़िक्र किया गया है कि बचपन में पैसे न होने के कारण लाल बहादुर शास्त्
री तैरकर नदी पार किया करते थे।
- बचपन में एक बार लाल बहादुर
शास्त्री अपने दोस्तों के साथ गं गा नदी के पार मेला देखने गए ले किन वापस आते हुए उनके पास नाववाले को देने के लिए पैसे नहीं थे और उन्होंने दोस्तों से पैसे मांगना सही नहीं समझा। इस लिए उन्होंने अपने दोस्तों को नाव से जाने के लिए कह दिया और खुद बाद में नदी तैरकर आये। - लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी शादी में दहेज में एक चरखा
और कुछ कपड़े लिए थे। - लाल बहादुर शास्त्री बचपन से ही जात-पात का विरोध करते थे
। यहां तक कि लाल बहादुर शास्त्री ने अपने जीवन में कभी अपने नाम के आगे भी अपनी जाति का उल्लेख नहीं किया था। - शास्त्री की उपाधि लाल बहादुर शा
स्त्री को काशी विश्वविद्यालय से मिली थी।