लखनऊ के Kisan mahapanchayat में किसानों की मांगे बरकार, राकेश टिकैत ने कहा नकली और बनावटी है सरकार के सुधार
Kisan mahapanchayat से पहले रविवार को किसानों ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिख रखी अन्य मांगे
पिछले एक साल से राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों के लिए शुक्रवार का दिन जीत का दिन साबित हुआ। कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर धरना प्रदर्शन पर बैठे किसानों से पीएम मोदी ने खेतों में वापस जाने की मांग करते हुए तीनों बिल को रद्द करने की बात कही।
किसानों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर रखी अन्य मांग
इस खबर के आने साथ ही पूरे देश में जहां एक ओर खुशी की लहर दौड़ पड़ी। वहीं दूसरी ओर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष समेत अन्य किसानों को कहना था कि जब तक यह कानून संसद से रद्द नहीं होगा। तब तक वह धरना स्थल से वापस जाएंगे नहीं । इसके अलावा शुक्रवार को हुए ऐलान के बाद रविवार को सिंधु बॉर्डर पर हुए संयुक्त किसान मोर्चा की हुई बैठक से पीएम मोदी को पत्र लिखकर किसानों ने अन्य मांगे भी रखी है।
उनका कहना है कि किसानों की सिर्फ तीन कानून रद्द करने की ही मांग नहीं थी। ब्लकि इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य की गांरटी तय की जाए साथ ही इस पर भी कानून बनाया जाए। विद्युत अधिनियम संशोधन विधेयक के ड्राफ्ट को वापस लेने की मांग थी। ये मांगे तो किसान आंदोलन के शुरुआती दौर से ही कर रह हैं।
इन मांगो के अलावा रविवार को हुई बैठक के दौरान किसानों ने अन्य और मांगो के लेकर पीएम मोदी को लिखित पत्र दिया है। जिसमें दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण को कम करने के लिए पराली जलाने के पर किसानों पर लगाए जा रहे सजा के प्रावधान को भी हटाए जाने की मांग की है। इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा, चंडीगंढ और यूपी में आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज केसों को तत्काल वापस लिया जाए।
लखीमपुर खीरी वाली घटना का जिक्र करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने की मांग की है और आखिरी मांग यह है कि पिछले एक साल में आंदोलन के दौरान मरने वाले 700 किसानों को शहीद का दर्जा दिया जाए साथ ही साथ सिंघु बॉर्डर पर जमीन देकर उनके स्मारक बनाया जाए। साथ ही उनके परिवारों को मुआवजा और पुनर्वास की सुविधा दी जाए।
Sanyukta Kisan Morcha (SKM) has spelt 6 demands to Modi Govt. apart from repealing of 3 farm laws for ending farmer protest pic.twitter.com/XafazQqOTT
— Enemy Slayer (@EnemySlayer24_7) November 21, 2021
प्रकाश पर्व के दिन हुए ऐलान के बाद किसानों ने यह सुनिश्चित कर दिया था कि भले ही पीएम ने यह तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया है लेकिन वह अभी धरना स्थल से नहीं जाएंगे। इसके अलावा उनके जो तय काम है वह भी करेंगे। 26 नवंबर को किसान आंदोलन को एकसाल पूरे होने के मौके पर सभी किसान दिल्ली के बॉर्डर पर एकत्र होंगे और 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र शुरु होने वाले दिन संसद के लिए कूच करेंगे। जैसे पहले के सत्रों को दौरान कूच किया था। जिसमें कई किसान नेता और किसान हिस्सा लेंगे।
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इसी बीच मुजफ्फरनगर के बाद आज यूपी की राजधानी लखनऊ में संयुक्त किसान मोर्चा महापंचायत का आयोजन किया गया है। यह आयोजन लखनऊ के इको गार्डन में किया गया है। जहां सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद है। सुबह दस बजे से शुरु हुए इस महांपचायत में राकेश टिकैत के अलावा दर्शनपाल राजेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, योगेंद्र यादव समेत अन्य किसान नेता मौजूद है।
लगभग दोपहर में मंच पर पहुंचाने के बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कि भले ही सरकार ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान कर दिया हो । लेकिन अभी तक सरकार ने एमएसपी(न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कोई ऐलान नहीं किया है। एमएसपी एक बड़ा सवाल है। सरकार इस पर बात कर ही नहीं रही है। एमएसपी पर खरीददारी के लेकर सरकार झठू बोल रही है। और झूठ का कोई इलाज नहीं होता है।
लखीमपुर खीरी वाली घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी को बर्खास्त किया जाए। पिछले एक साल में आंदोलन के दौरान 750 किसानों की मौत हुई है जिसपर सरकार को ध्यान देने की जरुरत है। कृषि के बाद अब दूध पर भी एक नीति आ रही है। उसके भी हम खिलाफ है। बीज कानून भी है। हम इन सब पर बातचीत करना चाहते हैं।
राकेश टिकैत की ट्विट
चलो लखनऊ चलो लखनऊ
MSP अधिकार किसान महापंचायत#LucknowKisanPanchyat @OfficialBKU @PMishra_Journo @PTI_News @bstvlive @AmarUjalaNews @BabaManoranjan @brajeshlive @aajtak @fpjindia @ANINewsUP @BBCHindi pic.twitter.com/IGxeWwAZaX— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 21, 2021
संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत से पहले रविवार को राकेश टिकैत ने लोगों से अपील करते हुए ट्वीट किया “ चलो लखनऊ चलो लखनऊ, एमएसपी अधिकार किसान महापंचायत। साथ ही लिखा है है कि सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है। वह नकली व बनावटी है। उन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है। कृषि व किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा।