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जानें शास्त्रों के अनुसार कौन है छठ मैया, जो लोगों की हर जरुरत को पूरा करती है

आज से शुरु हो रहा है छठ महापर्व


कोरोना के इस दौर में जब सारी दुनिया परेशान है तो ऐसे में त्योहार हमारे जीवन में खुशियों के साथ-साथ सकरात्मकता को भी प्रवाहित करते हैं. दुर्गापूजा और दीपावली के  बाद आज से छठ के महापर्व की शुरुआत हो चुकी है. कोरोना के इस दौर में श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों द्वारा जरुरी गाइडलाइन जारी करते हुए लोगों को लोगों की खुशी को दोगुना कर दिया है. छठ एक ऐसा त्योहार है जिसे आप अकेले अपने घर में परिवार के साथ नहीं मना सकते हैं. ब्लकि यह तो पूरी तरह से प्रकृति से जुड़ा हुआ त्योहार है जहां लोगों से मिलना-जुलना आम है. इसके बिना यह त्योहार अधूरा है. इसलिए जरुरी है त्योहार की खुशी को बरकरार रखने के लिए  गाइडलाइन का पालन करें.
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आज से शुरु हो रहा है छठ महापर्व

1 – नहाय खाय – आज से शुरु हो गया है छठ का महापर्व. आज के दिन व्रती नहाकर कद्दू की सब्जी और अरवा चावल खाती है. इसे कद्दू भात भी कहा जाता है.
2- खरना – दूसरे दिन से शुरु होता है व्रत. जो भी महिला छठ पूजा करती है वह निर्जला व्रत रखती है. जिसके अनुसार वह शाम को सिर्फ गुड़ की बनी खीर को खाती है . ऐसा माना जाता है कि जब व्रती खरना खाती है तो उस वक्त किसी प्रकार का शोर नहीं होना चाहिए. जैसे ही शोर होता है वह अपना खाना वही छोड़ देती है. जिसके बाद वह अगले दो दिन तक निर्जला व्रत रहती है.
3 – पहला अर्घ्य – इस दिन शाम को डूबते हुए को सूर्य  को अर्घ्य दिया जाता है. लोग अपने आसपास की नदी या तालाब में जाकर सूर्य देवत की पूजा करते हैं. व्रती पांच या सात बार  सूर्य देवता को अर्घ्य देती है. उसके बाद घर वापसी के बाद महिलाएं कौशी जलाकर छठ के गीत गाती हैं.
4 – दूसरा अर्घ्य – दूसरा अर्घ्य उगते हुए सूर्य को देने साथ ही व्रती का व्रत सफल हो जाता है. सुबह भोर में उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रती सभी विवाहित महिलाओं को सिंदूर लगती है. उसके बाद घर वापस आने के बाद लोगों को प्रसाद को बांटा जाता है. इसी के साथ चार दिन तक चलने वाला यह त्योहार समाप्त हो जाता है.

 क्यों करते है छठ

माना जाता है कि छठ मैया सूर्यदेव की बहन है. छठ पूजा के दौरान जो लोग सूर्य को जल चढ़ाते हैं. छठ मैया उनसे खुशी होकर उनकी सारी मनोकामनाओं की पूरा करते है. इसलिए लोग बड़ी आस्था के साथ अपने न होने वाले कामों को पूरा करने की आस लिए  पूरी आस्था के साथ पूजा करते हैं. छठ मैया बच्चों की रक्षा करने वाली मैया है. जिसके कारण जिस जोड़े का बच्चा नहीं होता है वह भी यहां आकर आर्शीवाद की कामना करते हैं. मार्कण्डेय पुराण के अनुसार प्रकृति ने अपने आप को छह भागों में  बांटा है. जिसमें छठे अंश को सर्वेश्रेष्ठ मातृ देवी के रुप में माना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री है. ऐसा भी माना जाता है दुर्गा का छठ रुप कात्यायनी ही छठ मैया है.

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