Abortion laws in India: अमेरिका में गर्भपात को लेकर बवाल, जानें भारत में क्या हैं अबॉर्शन के नियम – कानून
Abortion laws in India: भारत में इन परिस्थितियों में ही कर सकते हैं गर्भपात?
Highlights-
- अमेरिका में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। कारण है गर्भपात यानी अबॉशन।
- दरअसल अमेरिका में पोलिटिको नाम के एक जर्नल ने एक रिपोर्ट पेश कर यह दावा किया है कि उसके पास सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का ड्राफ्ट है।
Abortion laws in India: अमेरिका में लोग सड़कों पर हैं। अमेरिका में इन दिनों बवाल मचा हुआ है। कारण है गर्भपात यानी अबॉशन। दरअसल अमेरिका में पोलिटिको नाम के एक जर्नल ने एक रिपोर्ट पेश कर यह दावा किया है कि उसके पास सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का ड्राफ्ट है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट गर्भपात पर 1973 के रो बनाम वेड फैसले को बदलने जा रहा है। यानी अमेरिका में भी गर्भपात करना अब बैन हो जाएगा। हालांकि औपचारिक तौर पर कुछ कहा नहीं गया है।
गर्भपात एक नाजुक विषय है जिस पर खुलकर बात करने की बहुत आवश्यकता है। अमेरिका में उठे इस बवाल से एक बार फिर सबकी नज़र भारत में बने गर्भपात के नियम – कानून पर है। हम सबके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि हमारा संविधान गर्भपात यानी अबॉर्शन के बारे में क्या कहता है।
इस आर्टिकल में भारत में गर्भपात से संबंधित सारे नियम – कानूनों पर बात की जाएगी।
भारत में गर्भपात के नियम कानून-
गर्भपात यानी अबॉर्शन का अर्थ है जानबूझकर गर्भावस्था को समाप्त कर लेना। जो गर्भावस्था के पहले 20 सप्ताह के दौरान किया जाता है। भारत एक ऐसा देश है, जहा गरीबी और अशिक्षा है और भारत जैसे देश में गर्भपात जैसे विषय को और गंभीरता से लेने की ज़रूरत है।
This is my baby. He had no brain. 100% incompatible with life. I had a choice, I made a decision. My mental health mattered. #abortionrights #AbortionIsHealthcare pic.twitter.com/nveMkt1PPJ
— Blue Lotus (@LavenderH2O) May 3, 2022
आपको भारत में गर्भपात के नियम कानून के बारे में बता दें कि 1971 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी यानी एम. टी. पी. एक्ट को अपनाने के बाद से भारत में गर्भपात केवल कुछ निश्चित प्रावधानों के तहत ही किया जा सकता है। इसके साथ ही भारत गर्भपात को वैध बनाने वाले पहले कुछ देशों में से एक बन चुका है।
इस अधिनियम के माध्यम से गर्भपात को वैध बनाने का मुख्य उद्देश्य प्रत्येक महिला को गर्भावस्था को समाप्त करने के दौरान स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना है, सुरक्षित समाप्ति सेवाओं को प्रदान करना है और सामर्थ्य को बढ़ावा देना है। आइये गर्भपात के कानून को संक्षेप में समझाते हैं।
https://twitter.com/sharkyrae/status/1521507340251508741?s=20&t=yhRZggAVtyBDMpe-0iuNpA
भारत में गर्भपात के क्या कानून है?
- जब एक महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य के लिए जान या जोखिम का खतरा हो तो गर्भपात देश में वैध है
- जब गर्भावस्था के दौरान एक महिला के जीवन के लिए खतरा अधिक हो जाता है,तब महिला को गर्भपात की अनुमति मिलती है।
- जब एक महिला मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य की परेशानी से जूझ रही हो।
- जब गर्भावस्था की निरंतरता में परेशानी हो, तो बच्चे और माँ के बेहतर स्वास्थ्य के लिए गर्भपात कराना महत्वपूर्ण हो जाता है।\जब काफी जोखिम हो जाता है, कि बच्चा शारीरिक या मानसिक असामान्यताओं के साथ पैदा हो सकता है, तब गर्भपात वैध है।
- जब एक महिला के जीवन को बचाना तब गर्भपात जरूरी है।
गर्भपात पर सुप्रीम कोर्ट –
They are NOT pro-life, they are pro-pregnancy 💔💔💔
R vs W is the just the beginning of who they are coming after 💀 Too many didn’t take 2016 seriously and here we are….
VOTE to be heard & to protect the rights of others ♥️♥️♥️#SCOTUS #abortionrights #AbortionIsHealthcare pic.twitter.com/zJyFsqgDXW— Cathy 🕊️ (@boco20) May 3, 2022
घटना 2017 की है। जब अदालत ने 2017 में एक किशोर बलात्कार पीड़िता को उसकी 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी थी।
2016 में भी कुछ ऐसा ही हुआ। अदालत ने 2016 में एक महिला को 24 सप्ताह के भ्रूण को समाप्त करने की अनुमति दी, जो स्वीकार्य 20 सप्ताह के समय – सीमा के खिलाफ था। अदालत ने कहा कि कई गंभीर असामान्यता वाले भ्रूण को जारी रखना भ्रूण और मां दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है और इसलिए मां को जटिलताओं से बचाने के लिए गर्भपात की अनुमति दी गई।
भारत में गर्भपात कब नहीं किया जा सकता है –
अधिनियम के धारा – 3 के तहत एक नाबालिग गर्भवती लड़की उसके कानूनी अभिभावक की लिखित सहमति के बिना अपना भ्रूण समाप्त नहीं कर सकती है।