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World AIDS Day: विश्व एड्स दिवस 2025 की थीम और इतिहास पर एक नजर

World AIDS Day, हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में उनके प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के लिए समर्पित है।

World AIDS Day : विश्व एड्स दिवस पर जानें एड्स से बचाव के उपाय और इसका महत्व

World AIDS Day, हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के रूप में मनाया जाता है। यह दिन एचआईवी/एड्स से पीड़ित लोगों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और समाज में उनके प्रति संवेदनशीलता विकसित करने के लिए समर्पित है। एड्स केवल एक बीमारी नहीं, बल्कि एक वैश्विक चुनौती है जिसने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है। इस दिन का उद्देश्य लोगों को सुरक्षित जीवनशैली अपनाने, संक्रमित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव खत्म करने और रोकथाम के उपायों के बारे में शिक्षित करना है।

विश्व एड्स दिवस का इतिहास

विश्व एड्स दिवस की शुरुआत वर्ष 1988 में हुई थी। इसे पहली बार जेम्स डब्ल्यू. बुन और थॉमस नेटर ने मनाने का विचार रखा था, जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सूचना और जनसंपर्क शाखा में काम करने का अवसर मिला। 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और संयुक्त राष्ट्र (UN) ने मिलकर इस दिन को मनाने की आधिकारिक घोषणा की। इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य था दुनिया भर के लोगों को इस घातक बीमारी के बारे में जागरूक करना, जिससे समय रहते लोग सावधान हो सकें और संक्रमित व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जा सके।

एड्स क्या है?

एड्स (AIDS) का पूरा नाम है Acquired Immuno Deficiency Syndrome। यह बीमारी एचआईवी (HIV – Human Immunodeficiency Virus) नामक वायरस से होती है। यह वायरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (immune system) को कमजोर कर देता है, जिससे व्यक्ति साधारण संक्रमणों या बीमारियों से भी लड़ नहीं पाता। धीरे-धीरे शरीर की इम्यून प्रणाली पूरी तरह नष्ट हो जाती है और व्यक्ति गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाता है।

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एचआईवी फैलने के प्रमुख कारण

एचआईवी वायरस शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। इसके प्रमुख कारण हैं –

  1. असुरक्षित यौन संबंध – बिना सुरक्षा के यौन संबंध बनाना एचआईवी संक्रमण का सबसे बड़ा कारण है।
  2. संक्रमित सुई या ब्लेड का उपयोग – एक ही सुई या रेजर का प्रयोग कई लोगों पर करना संक्रमण फैला सकता है।
  3. संक्रमित रक्त का ट्रांसफ्यूजन – संक्रमित व्यक्ति का खून अगर किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में चढ़ाया जाए, तो वायरस फैल सकता है।
  4. मां से बच्चे में संक्रमण – अगर मां एचआईवी पॉजिटिव है, तो गर्भावस्था, डिलीवरी या स्तनपान के दौरान बच्चा संक्रमित हो सकता है।

एचआईवी के लक्षण

एचआईवी के शुरुआती लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे हो सकते हैं, लेकिन समय के साथ यह गंभीर रूप ले लेते हैं। प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –

  • बार-बार बुखार आना
  • अत्यधिक थकान और कमजोरी
  • वजन का कम होना
  • त्वचा पर लाल दाने या घाव
  • सांस लेने में कठिनाई
  • बार-बार संक्रमण होना

एड्स की रोकथाम के उपाय

एचआईवी/एड्स से बचाव संभव है, यदि कुछ सावधानियां अपनाई जाएं –

  1. सुरक्षित यौन संबंध बनाएं – कंडोम का प्रयोग हमेशा करें।
  2. सुई या ब्लेड साझा न करें – केवल नई और साफ सुई का प्रयोग करें।
  3. रक्तदान से पहले जांच कराएं – रक्तदान या ट्रांसफ्यूजन से पहले एचआईवी टेस्ट अनिवार्य रूप से करवाएं।
  4. एचआईवी टेस्ट करवाएं – समय-समय पर टेस्ट कराना जरूरी है, खासकर अगर जोखिम वाले व्यवहार में शामिल हों।
  5. शिक्षा और जागरूकता फैलाएं – लोगों में एड्स के प्रति सही जानकारी और जागरूकता ही इसका सबसे बड़ा हथियार है।

विश्व एड्स दिवस का महत्व

विश्व एड्स दिवस न केवल इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने का दिन है, बल्कि यह संक्रमित लोगों के प्रति प्रेम और समानता का संदेश भी देता है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति भी समाज का हिस्सा हैं, और उनके साथ भेदभाव या दूरी नहीं, बल्कि सहानुभूति और समर्थन की जरूरत है। हर साल इस दिन रेड रिबन (लाल रिबन) का प्रतीक प्रयोग किया जाता है, जो एड्स के खिलाफ एकजुटता और समर्थन का प्रतीक है। सरकारें, स्वास्थ्य संगठन और एनजीओ इस दिन पर कई जागरूकता अभियान, परामर्श शिविर और सेमिनार आयोजित करते हैं।

विश्व एड्स दिवस 2025 की थीम

हर साल विश्व एड्स दिवस की एक थीम होती है जो उस वर्ष के उद्देश्य को दर्शाती है। वर्ष 2025 के लिए संभावित थीम हो सकती है “Equality in Health: Stop Stigma, End AIDS” (स्वास्थ्य में समानता: भेदभाव खत्म करें, एड्स को समाप्त करें)। इस थीम का उद्देश्य है कि कोई भी व्यक्ति एचआईवी संक्रमण के कारण समाज से अलग-थलग न हो और सभी को समान स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें।

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भारत में एड्स की स्थिति

भारत में नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (NACO) इस बीमारी से निपटने के लिए लगातार काम कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में एड्स से संक्रमित लोगों की संख्या में कमी आई है, लेकिन ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में अभी भी जागरूकता की कमी है।
सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान जैसे “जागरूक भारत, स्वस्थ भारत” और “Red Ribbon Express” ने लोगों में काफी जागरूकता फैलाई है। विश्व एड्स दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एड्स से डरना नहीं, बल्कि इससे लड़ना जरूरी है। इस बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए समाज, सरकार और प्रत्येक व्यक्ति को एकजुट होकर प्रयास करना होगा। एचआईवी/एड्स से पीड़ित व्यक्ति हमारे सम्मान, प्यार और सहयोग के हकदार हैं। अगर हम भेदभाव खत्म करें, सुरक्षित जीवनशैली अपनाएं और समय पर जांच कराएं, तो एड्स-मुक्त दुनिया का सपना जरूर पूरा होगा।

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