सेहत
‘WHO’ : 1 से 5 साल के बच्चो को रखे मोबाइल और टीवी स्क्रीन से दूर
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से रखे दूर नहीं तो हो सकती है ये बीमारियाँ
वीडियो देखने के लिए या रोते हुए बच्चे को चुप कराने के लिए हम अपना मोबाइल फ़ोन दे देते है जिसे देखते हुए WHO की रिपोर्टके मुताबिक जो आपके बच्चो के स्वास्थ को हमेशा के लिए ख़राब कर सकती है . अपनी रिपोर्ट मे WHO ने कहा है की अगर आपके घर पर 1 साल के उम्र के बच्चे है तो उन्हे कभी भी स्क्रीन के सामने ना आने दे यदि 5 साल के बच्चे है तो केवल 1 घंटे के लिए ही स्क्रीन के आगे रहने दे .
आज के दौर मे स्मार्टफोन केवल गैजेट ही नहीं बल्कि यूज़र्स के लिए उनकी ज़िन्दगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है जिसके बिना वे अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते . लेकिन इस स्मार्टफोन की दुनिया मे हम गहरा फसते चले जा रहे है जहा से हमारा निकलना मुश्किल है , और वही हम आने वाली पीढ़ी को भी इस जाल मे फ़स्ते चले जा रहे है . आज कल के बच्चो को बाहर खेलना पसंद नहीं है बल्कि घर पर आराम से बैठकर फ़ोन चलाना पसंद है . माँ बाप भी अपने बच्चे का मन बहलाने के लिए टीवी मे कार्टून चला कर दे देते है या फिर उनके हाथ मे स्मार्टफोन थमा देते है .
वही WHO ने साफ़ जाहिर किया है की अगर आप अपने बच्चो के स्वस्थ पर ध्यान नहीं देंगे तो पड़ सकता नुक्सान . वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन यानि की WHO ने 1 साल की उम्र से लकर 5 साल तक की उम्र के लिए स्वस्थ्य गाइडलाइन्स जारी की है . इस गाइडलाइन्स मे बताया गया है की कैसे स्मार्टफोन बच्चो के स्वस्थ्य विकास को हमेशा के लिए रोकता है WHO ने कहा है की आज कल के माँ बाप को इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से बच्चो को दूर रखना चाहिए . इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन मतलब टीवी , लैपटॉप , मोबाइल और दूसरी चीज़े .
यदि अगर आपके घर मे 1 साल का बच्चा है तो उन्हे किसी भी स्क्रीन से दूर रखे . साथ ही अगर आपके घर में 5 साल के उम्र का भी बच्चा है तो उसे 1 घंटा से ज्यादा टीवी न देखने दे . क्योंकि ये चीज़ उनके लिए खतरनाक हो सकती है जो कि आपके बच्चे के विकास को रोक सकती है और उनका मोटापा भी बढ़ा सकती है .
इन बच्चो को लेकर ये भी कहा गया है की फिजिकल एक्टिविटी करते रहना चाहिए और अच्छी नींद लेनी चाहिए . जिससे की उनका अच्छा विकास हो सके और डेवलपमेंट भी हो . WHO का कहना है की अगर 1 साल से 5 साल तक के उम्र के बच्चो को स्क्रीन से दूर नहीं रखा गया तो उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी असर पड़ सकता है . वही इन बच्चो को आगे चलकर डाइबिटीज़ , हाइपरटेंशन और कैंसर जैसी बीमारिया का भी सामना करना पड़ सकता है .
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