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Vaccine-Derived Polio : मेघालय में पोलियो का नया मामला, जानिए Vaccine-Derived Polio के पीछे की सच्चाई
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Vaccine-Derived Polio : मेघालय में पोलियो का नया मामला, जानिए Vaccine-Derived Polio के पीछे की सच्चाई

Vaccine-Derived Polio, मेघालय में दो साल के बच्चे में Vaccine-Derived Polio का मामला दर्शाता है कि पोलियो के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।

Vaccine-Derived Polio : पोलियो की वापसी, मेघालय में कैसे हुआ बच्चा संक्रमित? 

Vaccine-Derived Polio: हाल ही में, मेघालय में एक दो साल का बच्चा पोलियो का शिकार हुआ है, और यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह “Vaccine-Derived Polio” का मामला है। आइए विस्तार से समझते हैं कि Vaccine-Derived Polio क्या है, यह कैसे होता है, और इसके कारण क्या हैं।

Vaccine-Derived Polio
Vaccine-Derived Polio

पोलियो और इसका टीकाकरण

पोलियो एक वायरल बीमारी है जो पोलियोवायरस के कारण होती है। यह मुख्य रूप से बच्चों को प्रभावित करती है और गंभीर मामलों में यह लकवा (पैरालिसिस) का कारण बन सकती है। पोलियो का कोई इलाज नहीं है, और इसका केवल बचाव ही संभव है। टीकाकरण (वैक्सीनेशन) इस बीमारी के खिलाफ सबसे प्रभावी बचाव है। पोलियो के टीके दो प्रकार के होते हैं,

1. ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) : यह एक जीवित, कमजोर वायरस वाला टीका है जिसे मुंह के माध्यम से दिया जाता है।

2. इनएक्टिवेटेड पोलियो वैक्सीन (IPV) : यह एक मारे गए (इनएक्टिवेटेड) वायरस वाला टीका है जिसे इंजेक्शन के माध्यम से दिया जाता है।

Vaccine-Derived Polio क्या है?

Vaccine-Derived Polio (VDPV) तब होता है जब OPV के कमजोर वायरस बच्चों की आंत में बढ़ते हैं और समय के साथ बदलाव (म्यूटेशन) कर लेते हैं, जिससे वे फिर से जंगली (वाइल्ड) पोलियो वायरस की तरह बन जाते हैं। ऐसे मामलों में, यह कमजोर वायरस पोलियो का कारण बन सकता है।

Vaccine-Derived Polio के कारण

VDPV के मामले आमतौर पर तब होते हैं जब OPV के कमजोर वायरस लंबे समय तक फैलने का मौका पाते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

1. कम टीकाकरण कवरेज : अगर किसी समुदाय में पोलियो टीकाकरण का स्तर कम है, तो VDPV के फैलने का जोखिम बढ़ जाता है। कमजोर वायरस लंबे समय तक फैल सकते हैं और म्यूटेट कर सकते हैं।

2. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी : जिन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं सीमित हैं, वहां टीकाकरण का स्तर कम होता है, और कमजोर वायरस के फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

3. हाइजीन और स्वच्छता की कमी : उन क्षेत्रों में जहां स्वच्छता की स्थिति खराब होती है, वायरस का फैलना आसान हो जाता है, जिससे VDPV का खतरा बढ़ता है।

4. OPV का उपयोग : OPV का उपयोग विकासशील देशों में व्यापक रूप से किया जाता है क्योंकि यह सस्ता है और उपयोग में आसान है। हालांकि, OPV का उपयोग VDPV के मामलों के बढ़ने का कारण बन सकता है, खासकर जब यह कमजोर वायरस लंबे समय तक समुदाय में फैलता है।

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Vaccine-Derived Polio
Vaccine-Derived Polio

मेघालय का मामला

मेघालय में सामने आए इस नए मामले ने सभी का ध्यान खींचा है क्योंकि यह VDPV का मामला है। यह घटना दर्शाती है कि कुछ क्षेत्रों में अभी भी टीकाकरण का कवरेज पर्याप्त नहीं है, और यहां OPV का उपयोग किया जा रहा है, जिससे VDPV का खतरा बढ़ रहा है।इस मामले में, बच्चे को OPV के माध्यम से पोलियो वायरस मिला होगा, और यह कमजोर वायरस बच्चे की आंत में बढ़ा और म्यूटेट होकर अधिक खतरनाक वायरस में बदल गया। इसके बाद वायरस ने बच्चे को संक्रमित किया और पोलियो का कारण बना।

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VDPV से बचाव के उपाय

VDPV को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं,

1. टीकाकरण का विस्तार : सभी क्षेत्रों में पोलियो टीकाकरण का स्तर बढ़ाना आवश्यक है, ताकि वायरस के फैलने की संभावना कम हो सके।

2. स्वास्थ्य सेवाओं का सुधार : स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और पहुंच को बढ़ाना जरूरी है ताकि हर बच्चे को समय पर टीकाकरण मिल सके।

3. हाइजीन और स्वच्छता का सुधार : स्वच्छता की स्थिति को सुधारना और लोगों को साफ-सफाई के महत्व के बारे में जागरूक करना आवश्यक है।

4. IPV का अधिक उपयोग : IPV का उपयोग OPV के स्थान पर बढ़ाना चाहिए, क्योंकि IPV वायरस को म्यूटेट होने का मौका नहीं देता और यह VDPV का कारण नहीं बनता।

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