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Periods At Early Age : 10 साल की उम्र में ही लड़कियों को क्यों हो रहे हैं पीरियड्स? जानें क्या हैं इसके मुख्य वजह?

Periods At Early Age : कम उम्र में पीरियड्स शुरू होना एक चिंता का विषय है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों के साथ इसे प्रबंधित किया जा सकता है।

Periods At Early Age : क्या लड़कियों में बढ़ते हुआ तनाव या जीवनशैली में बदलाव है इसका मुख्य कारण…


कम उम्र में पीरियड्स शुरू होना एक चिंता का विषय है, लेकिन सही जानकारी और सावधानियों के साथ इसे प्रबंधित किया जा सकता है। Parents को बच्चों के खान-पान, व्यायाम, और मानसिक स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जेनेटिक्स और पर्यावरणीय कारणों को समझते हुए सही कदम उठाना आवश्यक है। इस तरह के मामलों में डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा फायदेमंद होता है, ताकि बच्चे का स्वास्थ्य सही दिशा में बढ़ सके और वे स्वस्थ जीवन जी सकें।

जीवनशैली में बदलाव

आजकल के बच्चें बाहर के खाने पर अधिक निर्भर होते हैं। जंक फूड, फास्ट फूड, और उच्च कैलोरी युक्त भोजन ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। ऐसे आहार में पोषक तत्वों की कमी होती है, जो शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकती है।आजकल के बच्चें बाहर के खाने पर अधिक निर्भर होते हैं। जंक फूड, फास्ट फूड, और उच्च कैलोरी युक्त भोजन ने बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। ऐसे आहार में पोषक तत्वों की कमी होती है, जो शरीर के हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकती है।

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व्यायाम की कमी

अधिकांश बच्चे शारीरिक गतिविधियों से दूर हो चुके हैं। वे कंप्यूटर, टीवी, और मोबाइल फोन पर अधिक समय बिताते हैं। इससे उनकी शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है, जो हार्मोनल बदलावों को तेज कर सकती है। व्यायाम की कमी से जीवन में कई समस्याएँ हो सकती हैं, जैसे:

1. मोटापा

व्यायाम न करने से वजन बढ़ता है, जिससे मोटापा हो सकता है।

2. हृदय रोग

शारीरिक गतिविधि की कमी से हृदय रोग का खतरा बढ़ता है।

3. डायबिटीज

नियमित व्यायाम से रक्त शर्करा स्तर नियंत्रित रहता है, व्यायाम न करने पर डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है।

4. मानसिक तनाव

व्यायाम से मानसिक तनाव और चिंता कम होती है। इसकी कमी से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।

5. मांसपेशियों की कमजोरी

व्यायाम न करने से मांसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं और हड्डियों की मजबूती कम हो सकती है।

6. ऊर्जा की कमी

नियमित व्यायाम से ऊर्जा स्तर ऊँचा रहता है, इसकी कमी से थकान महसूस हो सकती है।

 बढ़ता हुआ तनाव

आजकल बच्चों को छोटी उम्र में ही पढ़ाई और अन्य गतिविधियों का अधिक बोझ उठाना पड़ता है। यह मानसिक तनाव भी हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे कम उम्र में ही Periods शुरू हो जाते हैं। मासिक धर्म के दौरान लड़कियों और महिलाओं में तनाव एक सामान्य समस्या है, जो कई शारीरिक और मानसिक कारणों से उत्पन्न होती है। यहां कुछ मुख्य कारण और उनके प्रभाव का विवरण दिया गया है | हार्मोनल बदलाव मासिक धर्म के दौरान हार्मोन स्तरों में बदलाव होता है, जिससे मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ापन, और चिंता हो सकती है। दर्द और ऐंठन पीरियड्स के दौरान पेट, कमर, और पैरों में दर्द और ऐंठन आम होती है, जिससे असुविधा और तनाव बढ़ सकता है।थकान रक्तस्राव के कारण शरीर में कमजोरी और थकान हो सकती है, जिससे मानसिक तनाव भी बढ़ता है।मूड स्विंग्स हार्मोनल परिवर्तन मूड स्विंग्स का कारण बन सकते हैं, जिससे भावनात्मक तनाव और अस्थिरता होती है। सामाजिक और सांस्कृतिक दबाव ,कई समाजों में मासिक धर्म के बारे में खुलकर बात नहीं की जाती, जिससे लड़कियाँ इसे छिपाने और प्रबंधित करने के दबाव में रहती हैं।

जेनेटिक्स

यदि किसी लड़की की माँ या दादी का पीरियड्स कम उम्र में ही शुरू हुआ था, तो संभावना है कि लड़की का भी पीरियड्स कम उम्र में ही शुरू होगा। जेनेटिक्स एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महिलाओं के जीवन में मासिक धर्म एक सामान्य जैविक प्रक्रिया है, लेकिन कभी-कभी इसमें कुछ समस्याएँ और कठिनाइयाँ भी हो सकती हैं, जिन्हें जेनेटिक या वंशानुगत समस्याओं के रूप में देखा जा सकता है। ये समस्याएँ आमतौर पर परिवार में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो सकती हैं। इनमें शामिल कुछ महिलाओं को अनियमित मासिक धर्म का सामना करना पड़ता है, जिसमें पीरियड्स का समय और अवधि हर महीने अलग-अलग हो सकती है। यह समस्या अक्सर वंशानुगत होती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक दर्द और ऐंठन होती है। अगर परिवार में किसी महिला को यह समस्या है, तो यह अगली पीढ़ी में भी हो सकती है। यह एक हार्मोनल विकार है जो महिलाओं में मासिक धर्म के चक्र को प्रभावित कर सकता है। पीसीओएस वंशानुगत हो सकता है और इसे परिवार में देखा जा सकता है। इस स्थिति में, गर्भाशय की आंतरिक परत की कोशिकाएँ गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगती हैं, जिससे दर्द और अन्य समस्याएँ होती हैं।

बढ़ता हुआ तनाव

आजकल बच्चों को छोटी उम्र में ही पढ़ाई और अन्य गतिविधियों का अधिक बोझ उठाना पड़ता है। यह मानसिक तनाव भी हार्मोनल संतुलन को बिगाड़ सकता है, जिससे कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। बढ़ता हुआ तनाव आज के समय में एक गंभीर समस्या बन गया है। आधुनिक जीवनशैली, काम का दबाव, आर्थिक चिंताएँ, और व्यक्तिगत रिश्तों में समस्याएँ तनाव के प्रमुख कारण हैं। तकनीकी प्रगति के साथ, लोग हर समय जुड़े रहते हैं और एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते रहते हैं, जिससे मानसिक थकान बढ़ती है। तनाव के कारण नींद में कमी, भूख की कमी या अधिकता, चिड़चिड़ापन, और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। यह समस्या केवल वयस्कों तक सीमित नहीं है। बच्चे और किशोर भी बढ़ते शैक्षणिक दबाव और सामाजिक अपेक्षाओं के कारण तनाव का अनुभव करते हैं। तनाव को कम करने के लिए नियमित व्यायाम, ध्यान, और समय-समय पर ब्रेक लेना आवश्यक है। इसके अलावा, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना और Positive सोच बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है। बढ़ते हुए तनाव को समय रहते पहचानकर और उसका प्रबंधन करके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।

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पर्यावरणीय कारण

आजकल के पर्यावरण में कई प्रकार के Chemicals प्रदूषक पाए जाते हैं, जो हार्मोनल संतुलन को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें प्लास्टिक उत्पाद, कंजर्वेटिव्स, और कीटनाशक शामिल हैं | भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, सूखा और तूफान जैसी आपदाएँ पर्यावरण पर गहरा प्रभाव डालती हैं। प्राकृतिक रूप से होने वाले जलवायु परिवर्तन, जैसे कि हिमयुग और ग्लोबल वार्मिंग के चक्र, पर्यावरण को प्रभावित करते हैं। उद्योगों, वाहनों और अन्य स्रोतों से निकलने वाले हानिकारक गैसें और कण वायुमंडल को प्रदूषित करते हैं।

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