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Mood Swing: मूड स्विंग से निपटने के आसान तरीके, जानें इसकी पहचान और कारण

Mood Swing, Mood Swing यानी मूड स्विंग का मतलब है किसी व्यक्ति के मनोदशा या भावनाओं में अचानक और अक्सर तीव्र बदलाव आना।

Mood Swing : अचानक मूड बदलना खतरे की घंटी, जानें Mood Swing के लक्षण और कारण

Mood Swing, Mood Swing यानी मूड स्विंग का मतलब है किसी व्यक्ति के मनोदशा या भावनाओं में अचानक और अक्सर तीव्र बदलाव आना। कभी खुशी, उत्साह या शांति का अनुभव होता है, तो अचानक गुस्सा, उदासी या बेचैनी महसूस होने लगती है। ये बदलाव सामान्य से अधिक तीव्र और बार-बार होते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। मूड स्विंग न केवल आपके मानसिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए इसे समझना और समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है।

मूड स्विंग के लक्षण (Symptoms of Mood Swing):

भावनाओं में अचानक बदलाव:
एक वक्त में खुशी या उत्साह महसूस करना और दूसरे ही पल गुस्सा या निराशा में डूब जाना।

चिड़चिड़ापन और गुस्सा:
बिना किसी स्पष्ट कारण के छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना या चिड़चिड़ापन महसूस होना।

उदासी और निराशा:
लगातार उदास रहना, किसी भी काम में रुचि न लेना या निराश महसूस करना।

चिंता और तनाव:
अत्यधिक चिंता, डर या तनाव महसूस करना।

ऊर्जा में उतार-चढ़ाव:
कभी अत्यधिक ऊर्जा महसूस करना और कभी थकान या सुस्ती।

सामाजिक दूरी बनाना:
दोस्तों या परिवार से दूर रहना या बातचीत से कतराना।

नींद में बदलाव:
अत्यधिक सोना या नींद न आना।

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Mood Swing के कारण (Causes of Mood Swing):

हार्मोनल बदलाव:
शरीर में हार्मोन का असंतुलन मूड स्विंग का सबसे बड़ा कारण होता है। खासकर किशोरावस्था, प्रेग्नेंसी, मासिक धर्म या मेनोपॉज के दौरान हार्मोन में उतार-चढ़ाव होते हैं।

तनाव और मानसिक दबाव:
ज्यादा तनाव, डिप्रेशन, एंग्जायटी या कोई मानसिक समस्या होने पर भी मूड स्विंग बढ़ सकता है।

नींद की कमी:
पर्याप्त नींद न लेना या नींद का सही समय न होना मूड स्विंग को बढ़ावा देता है।

जीवनशैली में बदलाव:
खराब खान-पान, शारीरिक गतिविधि की कमी, या शराब और ड्रग्स का सेवन भी मूड स्विंग का कारण हो सकता है।

स्वास्थ्य समस्याएं:
कुछ शारीरिक बीमारियां जैसे थायराइड, डायबिटीज, या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर मूड में बदलाव ला सकते हैं।

दवाओं का साइड इफेक्ट:
कुछ दवाओं के सेवन से भी मूड स्विंग हो सकते हैं।

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Mood Swing से कैसे बचें? (Prevention and Management):

-सही खान-पान और नियमित व्यायाम:
स्वस्थ भोजन और रोजाना व्यायाम से शरीर और दिमाग दोनों तंदरुस्त रहते हैं।

-नींद का ध्यान रखें:
रात को कम से कम 7-8 घंटे की अच्छी नींद लें।

-तनाव कम करने के उपाय करें:
योग, मेडिटेशन और ध्यान से तनाव कम होता है।

-समय-समय पर डॉक्टर से सलाह लें:
अगर मूड स्विंग बार-बार हो रहा हो तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें।

-सकारात्मक सोच बनाए रखें:
नकारात्मक विचारों को पहचानें और उन्हें सकारात्मक सोच से बदलने की कोशिश करें। Mood Swing या मूड स्विंग आपकी मानसिक सेहत के लिए खतरा हो सकता है, लेकिन सही समझ और समय पर इलाज से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। अपनी भावनाओं को समझना, जीवनशैली में बदलाव करना और जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ की मदद लेना जरूरी है। मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि शारीरिक स्वास्थ्य का। अगर आप या आपके आसपास कोई व्यक्ति बार-बार मूड स्विंग का सामना कर रहा है, तो उसे नजरअंदाज न करें। सही समय पर सहायता मिलने से यह स्थिति बेहतर हो सकती है और जीवन खुशहाल बनाया जा सकता है।

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