Malnutrition Awareness Week: विश्व स्तर पर मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक का महत्व और उद्देश्य
Malnutrition Awareness Week, मैलन्यूट्रिशन (Malnutrition) यानि कुपोषण आज एक ऐसी समस्या बन चुकी है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में स्वास्थ्य और सामाजिक समृद्धि के लिए एक गंभीर चुनौती है।
Malnutrition Awareness Week : स्वस्थ भारत का संकल्प, मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक पर जरूरी बातें
Malnutrition Awareness Week, मैलन्यूट्रिशन (Malnutrition) यानि कुपोषण आज एक ऐसी समस्या बन चुकी है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में स्वास्थ्य और सामाजिक समृद्धि के लिए एक गंभीर चुनौती है। भारत में हर साल लाखों बच्चे, महिलाएं और वयस्क कुपोषण से ग्रस्त होते हैं, जिसके कारण उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में बाधाएं आती हैं। इसी समस्या को उजागर करने और लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक (Malnutrition Awareness Week) मनाया जाता है। आइए विस्तार से समझते हैं इसके उद्देश्य, महत्व और इससे जुड़ी आवश्यक जानकारियां।
मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक क्या है?
मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक हर साल सितंबर माह में मनाया जाता है। यह सप्ताह पूरी दुनिया में कुपोषण की गंभीरता को समझने, उसके कारणों को पहचानने और इसे रोकने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए समर्पित होता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पोषण के महत्व से अवगत कराना और स्वास्थ्य संबंधी गलत धारणाओं को दूर करना है। इस दौरान सरकारी और गैर-सरकारी संगठन मिलकर विभिन्न कार्यक्रम, अभियान और सेमिनार आयोजित करते हैं ताकि समाज के हर वर्ग तक सही पोषण संबंधी जानकारी पहुंचाई जा सके।
कुपोषण (Malnutrition) क्या है?
कुपोषण का अर्थ होता है शरीर को आवश्यक पोषक तत्व (nutrients) की कमी होना। यह सिर्फ भूख या कम खाना खाने की समस्या नहीं है, बल्कि पोषण की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है। कुपोषण के दो प्रमुख प्रकार होते हैं:
-अंडरन्यूट्रिशन (Under-nutrition) – आवश्यक कैलोरी, प्रोटीन, विटामिन या मिनरल्स की कमी के कारण शरीर का कमजोर होना।
-ओवरन्यूट्रिशन (Over-nutrition) – जरूरत से ज्यादा भोजन या अस्वस्थ आहार के कारण मोटापा, डायबिटीज़ आदि स्वास्थ्य समस्याएं होना।
भारत में अंडरन्यूट्रिशन का प्रतिशत ज्यादा देखने को मिलता है, खासकर बच्चों और गर्भवती महिलाओं में। यह स्थिति उनके शारीरिक और मानसिक विकास में बाधा डालती है।
मैलन्यूट्रिशन के प्रमुख कारण
कुपोषण के पीछे कई कारण होते हैं, जिनमें मुख्य हैं:
-आर्थिक तंगी और गरीबी के कारण पर्याप्त और संतुलित आहार का अभाव।
-स्वास्थ्य संबंधी गलत धारणाएं और पोषण के प्रति जागरूकता की कमी।
-गर्भवती महिलाओं में सही पोषण न मिलना।
-बच्चों में समय पर टीकाकरण न होना और सही पोषण न देना।
-दूषित जल और अस्वच्छ वातावरण।
-सामाजिक भेदभाव, विशेष रूप से लड़कियों को कम भोजन देना।
मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक के उद्देश्य
मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक के माध्यम से कई महत्वपूर्ण उद्देश्य पूरे किए जाते हैं:
-कुपोषण की समस्या को सार्वजनिक रूप से उजागर करना।
-लोगों को संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
-गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों में पोषण का महत्व समझाना।
-सरकारी योजनाओं और चैरिटी प्रोग्राम्स के बारे में जागरूकता फैलाना।
-डॉक्टर, पोषण विशेषज्ञ और स्वास्थ्यकर्मियों के माध्यम से सही जानकारी देना।
-समुदाय स्तर पर पोषण से जुड़ी गलतफहमियों को दूर करना।
मैलन्यूट्रिशन से बचाव के उपाय
कुपोषण से बचाव के लिए कुछ आसान लेकिन महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं:
-संतुलित आहार का सेवन करें जिसमें सभी आवश्यक विटामिन, मिनरल्स, प्रोटीन, कैल्शियम आदि शामिल हों।
-बच्चों को समय पर टीकाकरण करवाएं और नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं।
-गर्भवती महिलाओं को आयरन, फोलिक एसिड और प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
-स्वच्छ जल का उपयोग करें और शारीरिक स्वच्छता का ध्यान रखें।
-परिवार और समाज में पोषण से जुड़ी जागरूकता फैलाएं।
-सरकारी पोषण योजनाओं जैसे ‘मिड-डे मील स्कीम’, ‘आयुष्मान भारत योजना’, ‘प्रसव सहायता योजना’ आदि का लाभ उठाएं।
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वैश्विक परिप्रेक्ष्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ (UNICEF) जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थान भी मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक के दौरान कई कार्यक्रम आयोजित करते हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से यह प्रयास किया जाता है कि सभी देशों में पोषण से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दिया जाए और एक स्वस्थ भविष्य की ओर कदम बढ़ाया जाए। विशेष रूप से विकासशील देशों में कुपोषण पर नियंत्रण पाने के लिए कई सामाजिक और आर्थिक उपाय लागू किए जाते हैं। मैलन्यूट्रिशन अवेयरनेस वीक केवल एक अभियान नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी है। यह हमें याद दिलाता है कि पोषण केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मामला नहीं, बल्कि देश की तरक्की और सामूहिक स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। हमें व्यक्तिगत स्तर पर भी यह जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि हम अपने परिवार और समाज में संतुलित पोषण के महत्व को समझाएं और इसे लागू करें। इस अवेयरनेस वीक पर हर व्यक्ति को संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने आसपास के कमजोर वर्ग की मदद करेगा, ताकि कुपोषण की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सके। सही पोषण से ही स्वस्थ शरीर, स्वस्थ समाज और स्वस्थ देश संभव है।
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