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Insulin Resistance: क्या Insulin Resistance के कारण नहीं घट रहा आपका वजन? जानें डॉक्टर की सलाह

Insulin Resistance, इंसुलिन एक हार्मोन है जो हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। जब हम खाना खाते हैं, तो ब्लड शुगर बढ़ता है और उसे कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन काम करता है।

Insulin Resistance : डॉक्टर से जानें, Insulin Resistance में कैसे घटाएँ वजन?

Insulin Resistance, इंसुलिन एक हार्मोन है जो हमारे शरीर में ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है। जब हम खाना खाते हैं, तो ब्लड शुगर बढ़ता है और उसे कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन काम करता है। लेकिन इंसुलिन रेज़िस्टेंस (Insulin Resistance) की स्थिति में शरीर की कोशिकाएँ इंसुलिन को सही तरीके से रिस्पॉन्ड नहीं करतीं। इसका मतलब है कि इंसुलिन मौजूद होने के बावजूद शुगर सही से कोशिकाओं में नहीं जाती और खून में बनी रहती है।

वजन कम करना क्यों हो जाता है मुश्किल?

इंसुलिन रेज़िस्टेंस के कारण शरीर में ब्लड शुगर और इंसुलिन लेवल दोनों बढ़े हुए रहते हैं। इसका असर मेटाबॉलिज़्म पर पड़ता है और शरीर अतिरिक्त शुगर को फैट के रूप में स्टोर करने लगता है। नतीजतन,

-पेट और कमर के आसपास फैट जमा होने लगता है।

-भूख जल्दी-जल्दी लगने लगती है।

-थकान और सुस्ती महसूस होती है।

इन्हीं कारणों से ऐसे लोगों के लिए वजन कम करना सामान्य लोगों की तुलना में ज्यादा कठिन हो जाता है।

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इंसुलिन रेज़िस्टेंस और मोटापे का चक्र

यह स्थिति एक तरह का विकराल चक्र (Vicious Cycle) बनाती है। मोटापा इंसुलिन रेज़िस्टेंस को और बढ़ाता है, और इंसुलिन रेज़िस्टेंस मोटापे को बढ़ाता है। यही कारण है कि अगर इसे समय पर नियंत्रित न किया जाए तो यह टाइप-2 डायबिटीज, हाई बीपी और हार्ट प्रॉब्लम्स तक ले जा सकता है।

क्या वजन कम करना असंभव है?

नहीं, वजन कम करना असंभव नहीं है। बस इसके लिए सामान्य डाइट और एक्सरसाइज़ से ज्यादा स्ट्रैटेजिक अप्रोच की जरूरत होती है। सही खान-पान, फिजिकल एक्टिविटी और डॉक्टर की निगरानी में लाइफस्टाइल में बदलाव करके इंसुलिन रेज़िस्टेंस को कंट्रोल किया जा सकता है।

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वजन घटाने के लिए डाइट टिप्स

-लो-कार्ब डाइट अपनाएँ – ज़्यादा कार्बोहाइड्रेट खाने से ब्लड शुगर और इंसुलिन बढ़ता है। इसलिए ब्रेड, चावल, मैदा, मीठी चीज़ें कम करें।

-हाई-फाइबर फूड खाएँ – सब्जियाँ, फल, दालें और ओट्स ब्लड शुगर को नियंत्रित रखते हैं।

-प्रोटीन युक्त आहार लें – अंडा, दाल, पनीर और दही जैसे प्रोटीन से तृप्ति ज्यादा देर तक बनी रहती है।

-हेल्दी फैट्स शामिल करें – नट्स, बीज, ओलिव ऑयल, फ्लैक्ससीड शरीर के लिए अच्छे हैं।

-शुगर और प्रोसेस्ड फूड से दूरी – जूस, कोल्ड ड्रिंक, बिस्किट, पैकेज्ड फूड इंसुलिन रेज़िस्टेंस को और बिगाड़ते हैं।

एक्सरसाइज़ क्यों है ज़रूरी?

डॉक्टरों के अनुसार, रेग्युलर एक्सरसाइज़ इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ाती है।

-कार्डियो एक्सरसाइज़ जैसे वॉकिंग, साइक्लिंग और जॉगिंग ब्लड शुगर को कम करने में मदद करती हैं।

-स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (वजन उठाना या बॉडीवेट एक्सरसाइज़) से मसल्स बनते हैं और मसल्स ग्लूकोज को बेहतर तरीके से इस्तेमाल करते हैं।

-हफ्ते में कम से कम 150 मिनट एक्टिविटी ज़रूरी है।

डॉक्टर से कब करें सलाह?

अगर आपको बार-बार भूख लगना, तेजी से वजन बढ़ना, थकान, ज्यादा प्यास लगना या फैमिली हिस्ट्री में डायबिटीज है, तो डॉक्टर से जरूर मिलें। डॉक्टर ब्लड शुगर टेस्ट, HOMA-IR टेस्ट या फास्टिंग इंसुलिन टेस्ट से आपकी स्थिति जांच सकते हैं।जरूरत पड़ने पर दवाइयाँ जैसे Metformin भी दी जा सकती हैं, जो इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाती हैं।

डॉक्टर क्या सलाह देते हैं?

डॉक्टरों के मुताबिक, इंसुलिन रेज़िस्टेंस को मैनेज करने के लिए तीन चीज़ें बेहद जरूरी हैं:

-नियमित हेल्थ चेकअप – ब्लड शुगर और वजन पर नजर रखना।

-लाइफस्टाइल मैनेजमेंट – संतुलित डाइट और एक्सरसाइज़ को दिनचर्या में शामिल करना।

-स्ट्रेस कंट्रोल और नींद – तनाव और नींद की कमी इंसुलिन रेज़िस्टेंस को बढ़ाते हैं।

इंसुलिन रेज़िस्टेंस होने पर वजन कम करना वाकई मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह नामुमकिन नहीं है। सही डाइट, नियमित व्यायाम, समय पर डॉक्टर की सलाह और लाइफस्टाइल में बदलाव से न सिर्फ वजन कम किया जा सकता है बल्कि डायबिटीज और अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है। अगर आपको लगता है कि आपके लक्षण इंसुलिन रेज़िस्टेंस से मिलते-जुलते हैं, तो बिना देरी किए विशेषज्ञ से परामर्श लेना सबसे बेहतर कदम है।

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