सेहत

Gut-Brain Connection: पेट और दिमाग जुड़े हैं, जानें कैसे पाचन प्रभावित करता है मूड?

Gut-Brain Connection, आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में लोग अक्सर मूड स्विंग्स, चिंता और थकान जैसी समस्याओं से जूझते हैं।

Gut-Brain Connection : कैसे पेट की सेहत आपके मूड और भावनाओं को बदल सकती है

Gut-Brain Connection, आज के तनावपूर्ण और व्यस्त जीवन में लोग अक्सर मूड स्विंग्स, चिंता और थकान जैसी समस्याओं से जूझते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मानसिक बदलावों का सीधा संबंध हमारे पाचन तंत्र यानी गट (Gut) से होता है? वैज्ञानिक शोधों ने साबित किया है कि हमारा दिमाग और आंत (Brain-Gut Axis) लगातार एक-दूसरे से संवाद कर रहे हैं। इसे ही Gut-Brain Connection कहा जाता है।

गट-ब्रेन कनेक्शन क्या है?

Gut-Brain Axis एक द्विपक्षीय संचार प्रणाली है, जो हमारे मस्तिष्क और आंत के बीच लगातार संदेश भेजती रहती है।
यह संचार तंत्र नर्वस सिस्टम, हार्मोन्स और इम्यून सिस्टम के माध्यम से होता है। इसका मतलब है कि आंत की सेहत सीधे तौर पर हमारे मूड, ध्यान और भावनाओं को प्रभावित करती है।

आंत और माइंड का लिंक

हमारी आंत में लगभग 100 ट्रिलियन माइक्रोब्स पाए जाते हैं, जिन्हें सामान्यतः गट माइक्रोबायोम (Gut Microbiome) कहा जाता है। ये माइक्रोब्स भोजन को पचाने में मदद करते हैं और साथ ही सेरोटोनिन (Serotonin) और डोपामिन (Dopamine) जैसे न्यूरोट्रांसमीटर का निर्माण करते हैं, जो हमारे मूड और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी हैं। दरअसल, हमारी खुशी का लगभग 70% हिस्सा आंत में बनते सेरोटोनिन पर निर्भर करता है।

पाचन में गड़बड़ी का असर मूड पर

जब हमारी आंत अस्वस्थ होती है, तब न केवल पाचन समस्याएं बढ़ती हैं, बल्कि यह मूड डिसऑर्डर्स जैसे तनाव, चिंता, डिप्रेशन और थकान का कारण बन सकती है।

सामान्य लक्षण:

  1. पेट फूलना, गैस या एसिडिटी
  2. बार-बार दस्त या कब्ज़
  3. भूख में बदलाव या खाने की इच्छा में कमी
  4. मूड में उतार-चढ़ाव, चिड़चिड़ापन
  5. नींद में परेशानी

इससे पता चलता है कि पाचन स्वास्थ्य केवल शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य का भी अहम हिस्सा है।

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Gut-Brain Connection सुधारने के उपाय

1. प्रोबायोटिक्स का सेवन:

दही, छाछ, किमची, सॉरक्राट और केफिर जैसे फूड्स अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाते हैं।
ये बैक्टीरिया आंत में संतुलन बनाए रखते हैं और न्यूरोट्रांसमीटर के निर्माण में मदद करते हैं।

2. फाइबर युक्त आहार:

फल, सब्ज़ियां, दलहन और साबुत अनाज पेट को साफ रखते हैं और गट माइक्रोबायोम को स्वस्थ बनाते हैं।

3. ओमेगा-3 फैटी एसिड:

अंडे, मछली और अलसी के बीज में पाए जाने वाले ओमेगा-3 मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर को सक्रिय करते हैं और मूड को स्थिर रखते हैं।

4. प्रोसेस्ड और शुगर युक्त फूड से दूरी:

ज्यादा शुगर और प्रोसेस्ड फूड से बैक्टीरिया का असंतुलन बढ़ता है और पेट में सूजन, गैस और एसिडिटी की समस्या होती है।

5. हाइड्रेशन और पर्याप्त नींद:

दिन भर पर्याप्त पानी पीने और रात में 7-8 घंटे की नींद लेने से गट और ब्रेन दोनों स्वस्थ रहते हैं।

6. माइंडफुलनेस और स्ट्रेस मैनेजमेंट:

योग, मेडिटेशन और डीप ब्रीदिंग तकनीक स्ट्रेस हार्मोन को कम करती हैं और पाचन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं।

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मानसिक स्वास्थ्य और पाचन का संतुलन

जब हम अपने पेट को हेल्दी रखते हैं, तो हमारे मस्तिष्क को सकारात्मक संदेश मिलते हैं।
इसके परिणामस्वरूप:

  • मूड स्थिर रहता है
  • ध्यान केंद्रित होता है
  • थकान और डिप्रेशन की संभावना कम होती है

दरअसल, “अच्छा पेट = अच्छा मूड” इस सिद्धांत को कई विशेषज्ञ मानते हैं।

बच्चे और बुजुर्गों में गट-ब्रेन कनेक्शन

  • बच्चों में: गट हेल्थ सीधे उनके सिखने और मानसिक विकास से जुड़ी होती है।
  • बुजुर्गों में: पाचन समस्या डिप्रेशन और स्मृति दोष को बढ़ा सकती है।
    इसलिए उम्र के किसी भी चरण में आंत की सेहत पर ध्यान देना जरूरी है।

Gut-Brain Connection यह स्पष्ट करता है कि पाचन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य अलग नहीं हैं। स्वस्थ आंत हमारे मूड, ऊर्जा, नींद और समग्र मानसिक स्थिति पर सीधे असर डालती है। इसलिए अपनी डाइट, जीवनशैली और स्ट्रेस मैनेजमेंट पर ध्यान देकर हम न केवल पेट को स्वस्थ रख सकते हैं, बल्कि खुश और संतुलित मानसिक स्थिति भी बनाए रख सकते हैं।

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