Eldest Daughter Syndrome: क्या आपकी बड़ी बेटी भी मानसिक दबाव में है? समझें Eldest Daughter Syndrome
Eldest Daughter Syndrome: परिवार में बड़ी बेटी होना जितना गर्व की बात मानी जाती है, उतनी ही यह जिम्मेदारियों से भरी भूमिका भी होती है।A
Eldest Daughter Syndrome : परफेक्शन का बोझ उठाती बड़ी बेटी? जानिए इसके पीछे की सच्चाई
Eldest Daughter Syndrome, परिवार में बड़ी बेटी होना जितना गर्व की बात मानी जाती है, उतनी ही यह जिम्मेदारियों से भरी भूमिका भी होती है। अक्सर देखा गया है कि सबसे बड़ी बेटी को बचपन से ही एक ‘छोटे मां-बाप’ जैसी भूमिका में डाल दिया जाता है। वो न सिर्फ अपने छोटे भाई-बहनों की देखभाल करती है बल्कि घर के काम, पढ़ाई और खुद की जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती है। इसी प्रक्रिया में कई बार वह “Eldest Daughter Syndrome” का शिकार हो जाती है। आइए समझते हैं कि यह सिंड्रोम क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे निपटने के उपाय क्या हैं।
क्या होता है Eldest Daughter Syndrome?
Eldest Daughter Syndrome कोई मेडिकल टर्म नहीं है, लेकिन यह एक सामाजिक और मानसिक स्थिति है, जिसमें सबसे बड़ी बेटी पर उम्र से ज्यादा जिम्मेदारियों का दबाव आ जाता है। वह खुद को हमेशा ‘परफेक्ट’ साबित करने की कोशिश में लगी रहती है, दूसरों की मदद करना उसकी आदत बन जाती है और वो खुद की जरूरतों को हमेशा पीछे रख देती है। धीरे-धीरे यह मानसिक थकावट, तनाव और आत्म-ग्लानि का कारण बन जाता है।
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बड़ी बेटी सिंड्रोम के मुख्य लक्षण
1. हमेशा परफेक्ट बनने की चाह
सबसे बड़ी बेटियां खुद से हमेशा 100% परफेक्ट रहने की उम्मीद करती हैं। गलती की कोई जगह नहीं होती, और गलती हो भी जाए तो खुद को दोषी मानती हैं।
2. ज्यादा जिम्मेदारी उठाना
घर के छोटे-छोटे कामों से लेकर भाई-बहनों की पढ़ाई तक, हर जगह वो खुद को जिम्मेदार मानती हैं।
3. इमोशनल बर्नआउट
दूसरों के लिए हमेशा खड़ा रहने के कारण खुद की मानसिक और भावनात्मक थकान महसूस करने लगती हैं।
4. ना कहना मुश्किल
वो दूसरों को ‘ना’ नहीं कह पातीं, जिससे लोग उनका फायदा उठाने लगते हैं।
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बड़ी बेटी सिंड्रोम के कारण
माता-पिता अनजाने में ही सबसे बड़ी बेटी से अधिक उम्मीदें रखने लगते हैं। उसे छोटे भाई-बहनों के लिए आदर्श बनने का बोझ दिया जाता है। भारतीय संस्कृति में लड़कियों को पहले से ही जिम्मेदार और सहयोगी बनाना सिखाया जाता है।
कैसे करें Eldest Daughter Syndrome को मैनेज
सबसे जरूरी है कि बड़ी बेटियां खुद को भी उतना ही महत्व दें, जितना दूसरों को देती हैं। Self-care कोई स्वार्थ नहीं है, बल्कि ज़रूरत है। “ना” कहना बुरा नहीं होता। अपनी सीमाओं को पहचानें और जहां जरूरी हो, वहां विनम्रता से मना करना सीखें। दुख, थकान या गुस्से को दबाने की बजाय अपनों से साझा करें। इससे मानसिक तनाव कम होता है। अपने माता-पिता और भाई-बहनों से खुलकर बात करें कि आप क्या महसूस कर रही हैं। जरूरी नहीं कि उन्हें यह एहसास हो कि आप पर कितना दबाव है। अगर स्थिति गंभीर हो जाए, तो काउंसलर या मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात करने में झिझक न करें।
माता-पिता क्या करें?
ऐसा न हो कि बड़ी बेटी सिर्फ सहयोगी बनकर रह जाए और उसके व्यक्तिगत अनुभवों को नजरअंदाज कर दिया जाए। बड़ी बेटी के प्रयासों की सराहना करें, लेकिन उसे यह न महसूस कराएं कि उसका प्यार सिर्फ उसकी उपयोगिता पर निर्भर है। बड़ी बेटी होना गौरव की बात है, लेकिन उसे बोझ नहीं बनाना चाहिए। Eldest Daughter Syndrome का इलाज तभी संभव है जब परिवार समझे कि हर बेटी का भी एक बचपन होता है, उसे भी थकान होती है, और उसे भी उतना ही प्यार, देखभाल और स्वतंत्रता चाहिए जितनी घर के बाकी बच्चों को मिलती है।
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