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Deadliest Diseases for women: ये 5 बीमारियां भारतीय महिलाओं में होती हैं सबसे अधिक, जाती हैं हर साल कई जानें

Deadliest Diseases for women: भारतीय महिलाओं में इन 5 बिमारियों का खतरा है सबसे अधिक, डालें एक नज़ऱ

Highlights –

  • महिलाओं से संबंधित जो एक चिंता अब भी जस का तस बनी हुई है वह है उनका स्वास्थ्य।
  • आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर महिलाएं कार्य-जीवन का संतुलन बनाने में असमर्थ रह जाती हैं।
  •  यही कारण है कि देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कई तरह की बीमारियों का जोखिम काफी अधिक होता है।

Deadliest Diseases for women इस समय हर जगह महिलाओं की बात हो रही है। उनके हर क्षेत्र में दिए गए योगदान की हर जगह तारीफ हो रही हैं। महिलाएं घर के कामकाज से लेकर दफ्तर संभालने के काम को बहुत बेहद बखूबी से निभाती हैं।

हालांकि महिलाओं से संबंधित जो एक चिंता अब भी जस का तस बनी हुई है वह है उनका स्वास्थ्य। आंकड़े बताते हैं कि अधिकतर महिलाएं कार्य-जीवन का संतुलन बनाने में असमर्थ रह जाती हैं। यही कारण है कि देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं में कई तरह की बीमारियों का जोखिम काफी अधिक होता है। चलिए महिलाओं से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दों को लेकर चर्चा करते हैं।

आंकड़ों पर नजर डालें तो देश में 68 फीसदी से अधिक महिलाएं जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से पीड़ित हैं। पचास फीसदी महिलाएं काम के दबाव और समय सीमा के कारण घर के खाने की जगह जंक फूड का अधिक सेवन करती हैं। इसके अलावा शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें और शरीर के पॉश्चर सही न होने जैसे कारक महिलाओं में कई तरह की बीमारियों के खतरे को बढ़ा रहे हैं। आइए आगे की स्लाइडों में जानते हैं कि महिलाओं में किन लाइफस्टाइल बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है।

स्तन कैंसर

पिछले एक-दो दशक में भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं । खासकर शहरी महिलाओं की आबादी में अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण इस कैंसर का खतरा अधिक बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक वैसे तो महिलाओं में इस कैंसर का खतरा अनुवांशिक हो सकता है, पर अल्कोहल का सेवन, बढ़ता वजन, शारीरिक निष्क्रियता और खान-पान में पौष्टिकता की कमी जैसे कारक इस कैंसर के खतरे को बढ़ा रहे हैं। आपको बता दें कि 28 में से एक भारतीय महिला को अपने जीवनकाल में स्तन कैंसर होने की आशंका होती है।तरा अधिक होता है, जिसको लेकर उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस)

महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की समस्या भी काफी तेजी से बढ़ती हुई देखी जा रही है। आमतौर पर प्रजनन आयु वर्ग वाली महिलाओं में इसका खतरा अधिक होता है। यह एक हार्मोनल विकार है जो मासिक धर्म की अनियमितता, मोटापा और बांझपन का कारण बन सकती है। शहरी भारतीय महिलाओं में गतिहीन जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों के कारण मोटापा का खतरा अधिक पाया गया है, जिसे पीसीओएस का प्रमुख जोखिम कारक माना जाता है।

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डिप्रेशन

मानसिक स्वास्थ्य, मौजूदा समय की बड़ी समस्याओं में से एक है। भारतीय महिलाओं में डिप्रेशन के मामलों में भारी उछाल देखा गया है।  इसका मुख्य कारण लंबे समय तक काम करते रहना, सामाजिक-व्यावहारिक कारक और खुद के लिए समय न निकाल पाना माना जाता है।

हृदय रोग और डायबिटीज

अध्ययन में पाया गया कि गतिहीन जीवनशैली के कारण 5 में से 3 महिलाओं में 35 वर्ष की आयु में ही हृदय रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। अस्वास्थ्यकर भोजन की आदतें, शारीरिक निष्क्रियता, अनुचित शारीरिक मुद्रा जैसे कारक हृदय रोग के साथ डायबिटीज के जोखिमों को भी बढ़ा देते हैं।

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