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Brain Stroke: क्या डिप्रेशन के कारण बढ़ सकता है ब्रेन स्ट्रोक का खतरा? एक क्लिक में जानें सब कुछ

Brain Stroke: डिप्रेशन उन लोगों के लिए एक आम समस्या है जिन्हें स्ट्रोक हो चुका हो, लेकिन एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि कुछ लोगों में स्ट्रोक से सालों पहले डिप्रेशन के लक्षण नजर आ सकते हैं। जिन लोगों को स्ट्रोक हो चुका है उन लोगों में डिप्रेशन की समस्या इतनी आम है कि इसे पोस्ट-स्ट्रोक डिप्रेशन के तौर पर जाना जाता है।

Brain Stroke: इस वजह से बढ़ता है डिप्रेशन में स्ट्रोक का खतरा

डिप्रेशन उन लोगों के लिए एक आम समस्या है जिन्हें स्ट्रोक हो चुका हो, लेकिन एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि कुछ लोगों में स्ट्रोक से सालों पहले डिप्रेशन के लक्षण नजर आ सकते हैं। जिन लोगों को स्ट्रोक हो चुका है उन लोगों में डिप्रेशन की समस्या इतनी आम है कि इसे पोस्ट-स्ट्रोक डिप्रेशन के तौर पर जाना जाता है। लेकिन डिप्रेशन के लक्षण न सिर्फ स्ट्रोक के बाद बढ़ते हैं बल्कि स्ट्रोक होने से पहले ही लोगों में डिप्रेशन के कुछ लक्षण विकसित हो चुके होते है। आज हम आपको अपने इस लेख में बताएंगे कि डिप्रेशन और स्ट्रोक का क्या कनेक्शन है। आइए जानते हैं विस्तार से-

डिप्रेशन और स्ट्रोक के बीच संबंध

डिप्रेशन एक तरह का मूड डिसऑर्डर है, जिसके लक्षणों में लगातार उदासी, थकान, भूख न लगना, नींद के पैटर्न में बदलाव, माइंड फोकस करने में परेशानी आदि इमोशन शामिल होते हैं। यह बार-बार और लंबे समय तक हो सकता है, जो किसी व्यक्ति के जीवन और काम करने की क्षमता को काफी हद तक खराब कर सकता है। ब्रेन के किसी हिस्से में ब्लड सर्कुलेशन न होने या कम होने से स्ट्रोक हो सकता है।

इमरजेंसी में जल्द इलाज की होती जरूरत Brain Stroke

इससे ब्रेन के टिश्यू को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं। इस स्थिति में ब्रेन के सेल्स कुछ मिनट में डैमेज हो सकते हैं। स्ट्रोक इस्केमिक हो सकता है, जो रक्त के थक्को के कारण होता है। इसके अलावा, ब्रेन में खून बहने (Blood flow in brain) की वजह से भी स्ट्रोक हो सकता है। यह एक इमरजेंसी स्थिति होती है, इसमें जल्द इलाज की जरूरत होती है।

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स्टडी में हुआ खुलासा Brain Stroke

एक स्टडी के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने शुरुआत में 65 साल की औसत उम्र वाले 10,797 लोगों को चुना, जिन्हें स्ट्रोक नहीं हुआ था। इन लोगों की 12 सालों तक निगरानी की गई। इस दौरान 425 लोगों को स्ट्रोक हुआ। फिर उनका मिलान 4,249 ऐसे लोगों से किया गया जिन्हें स्ट्रोक नहीं हुआ था लेकिन उनकी उम्र, जेंडर और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों में वे उनके समान थे। स्टडी में शामिल लोगों का हर दो साल में एक सर्वे किया गया जिसमें पूछा गया कि क्या उन्होंने डिप्रेशन के लक्षणों को महसूस किया, जिसमें अकेलापन महसूस करना, दुखी महसूस करना, अच्छी नींद न आना भी शामिल है। Brain Stroke

जिन प्रतिभागियों में जितने ज्यादा लक्षण दिखे उनका स्कोर उतना ही ज्यादा था। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि स्ट्रोक के समय से छह साल पहले जिन लोगों को बाद में स्ट्रोक हुआ था और जिन्हें नहीं हुआ था उनके स्कोर लगभग समान थे। लगभग 1.6 अंक (पॉइंट)। लेकिन स्ट्रोक से लगभग दो साल पहले स्ट्रोक वाले लोगों के स्कोर में औसतन 0.33 अंकों की वृद्धि देखी गई। Brain Stroke

एक स्ट्रोक के बाद इन लोगों में अवसादग्रस्त लक्षणों में अतिरिक्त 0.23 अंक की वृद्धि हुई, जो कुल मिलाकर लगभग 2.1 अंक तक पहुंच गई और वे स्ट्रोक के बाद 10 सालों तक उस उच्च स्तर पर रहे। इसके विपरीत जिन लोगों को स्ट्रोक नहीं था उनके स्कोर पूरी स्टडी में लगभग समान रहे। यह मूल्यांकन करते समय पाया गया कि क्या लोगों को क्लिनिकली डिप्रेस माना जा सकता है? इसके लिए पैमाने पर तीन अंक या उससे अधिक का स्कोर देखते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि परिणामों का थोड़ा अलग पैटर्न उभरा।

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इस वजह से बढ़ता डिप्रेशन में स्ट्रोक का खतरा

सूजन Brain Stroke

डिप्रेशन की वजह से लंबे समय तक सूजन बनी रह सकती है। इससे नसों के खराब होने की संभावना अधिक होती है, जिसकी वजह से नसों में प्लाक बन सकता है। इससे स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है।

ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम डिसफंक्शन Brain Stroke

डिप्रेशन की वजह से ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम प्रभावित हो सकता है, इससे हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।

बिहेवरियल फैक्टर

डिप्रेशन की वजह से स्मोकिंग, शराब, खाने की गलत आदतें बढ़ जाती हैं। वहीं शारीरिक गतिविधियों में कमी आ सकती है। इसकी वजह से स्ट्रोक का जोखिम बढ़ सकता है।

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vrinda

मैं वृंदा श्रीवास्तव One World News में हिंदी कंटेंट राइटर के पद पर कार्य कर रही हूं। इससे पहले दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और नवभारत टाइम्स न्यूज पेपर में काम कर चुकी हूं। मुझसे vrindaoneworldnews@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
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