सेहत
मानसून में अस्थमा के मरीज यूं बरते सावधानी
यूं तो किसी भी बिमारी को छोटा या नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन अस्थमा यानि कि दमा एक ऐसी बिमारी है जिसका रोग लगते ही व्यक्ति मौत को भी खुशी-खुशी गले लगाने को तैयार हो जाता है।
ऐसे में मानसून को देखते इन मरीजों को और अधिक अपना ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि मानसून की शुरुआती बारिश में भीगना अस्थमा के मरीजों के लिए काफी बुरा साबित हो सकता है।
भीगने से अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कतें और अटैक के अधिक समस्या सामने आती है।
मौसम में अस्थमा के मरीज इन उपायों को अपनाकर स्वस्थ रह सकते हैं…
- बारिश या फिर ठंड के मौसम में अस्थमा के मरीजों को मुंह के बजाय नाक से सांस लेनी चाहिए। इसका कारण यह है कि मुंह से सांस लेने पर ठंड भीतर जाती है। जबकि नाक से सांस लेने पर हवा फेफड़ों तक पहुंचने से पहले गर्म हो जाती है।
- अस्थमा का मरीज जिस वातावरण में रहे वह साफ-सुथरा हो।
- अस्थमा व दमा के मरीज को हमेशा शांत रहना चाहिए और नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए।
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