क्या सीख मिलती है रणवीर सिंह की फिल्मों से
रणवीर सिंह की फिल्मों से क्या सीखे?
रणवीर सिंह आज की तारीख में सबसे पसंदीदा कलाकार है। लोगो के बीच उनकी दीवानगी का अंदाज़ा हम सभी को है। कुछ ही समय में रणवीर सिंह ने इस फिल्म की दुनिया में जो जगह बनाई है वो बेशक तारीफ के काबिल है। हाल ही में आयी उनकी नयी मूवी बेफिक्रे आज की पीढ़ी को बहुत पसंद आ रही है। देखा जाए तो हम हर चीज़ से कुछ ना कुछ ज़रूर सीखते हैं। रणवीर के बिंदास अंदाज़ और हर वक़्त खुश रहने की आदत से वह वैसे ही सभी लोगो को प्रेरित करते आ रहे है।
उसी प्रकार इनकी मूवी से भी हम बहुत कुछ सीखते है। जानते है कि आज तक आई उनकी हर मूवी से हमने क्या सीखा:-
- बैंड बाजा बारात (2010)
इस मूवी से हम टीम वर्क का महत्व समझते है। आप अकेले सब कुछ नहीं संभाल सकते। कुछ भी करने के लिए आपको किसी न किसी के साथ की ज़रूरत होती हैं। आपका काम छोटा हो या बड़ा आपको हमेशा अपनी टीम को सपोर्ट करना चाहिए और उनकी इज़्ज़त करनी चाहिए।
- लेडीज़ वर्सेज रिकी बहल (2011)
इस मूवी में हम लड़कियो को किस प्रकार खुश किया जाए ये सीख सकते है। जिस प्रकार रणवीर लड़कियो पर अपना जादू चलाते है वो शायद हर कोई नहीं कर सकता। ये बात सही है कि रणवीर ने उन लड़कियो के साथ जो किया वो गलत था और उसे असल ज़िन्दगी में नहीं अपनाना चाहिए।
- लूटेरा (2013)
प्रेम कहानियां आज की ज़माने की बात नहीं है। जब किसी से प्यार होता है तब वो इंसान हमे पूरी तरह से बदल देता गई। हम में जो भी बुरा होता है वो खत्म हो जाता है और जो अच्छा होता है वो और भी बेहतर हो जाता है। प्यार की ताकत ही कुछ ऐसी है।
- रामलीला (2013)
इस फिल्म से हम सीखते है कि प्यार कोई सीमाएं नहीं जानता। प्यार कभी भी किसी से भी हो सकता है। प्यार बंदिशों में और भेद भाव में यकीन ही नहीं करता। हमे हमारे बड़े बुज़ुर्ग ही प्यार करना सिखाते है पर जब हम किसी से प्यार करते है तो वही लोग जात के आधार पर उसे खत्म करने को कहते है। पर प्यार थोड़ी ना जानता है ये सब।
- गुंडे (2014)
इस मूवी में अर्जुन और रणवीर की दोस्ती हम सभी को बहुत पसंद आयी थी। वैसे ये मूवी लोगो की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी थी और लोगो को ये बहुत पसंद नहीं आई पर इस मूवी के बाद से लोगों को रणवीर और अर्जुन जैसी दोस्ती ही चाहिए थी। उनकी दोस्ती ही सबसे ख़ास चीज़ थी जिसके बारे में और जिसके माध्यम से हमने दोस्ती की अहमियत जानी।
- किल दिल (2014)
जैसा की लेडीज़ वर्सेज रिकी बहल में था, उसी तरह इस मूवी में भी प्यार की ताकत को किसी भी गुंडे की ताकत से ज़्यादा बताया है। प्यार में इतनी ताकत हिती है कि वो किसी भी इंसान को बदल सकता है। उसके अंदर के नफरत और गुस्से को भी खत्म कर सकता है।
- दिल धड़कने दो (2015)
चाहे कुछ भी हो जाए परिवार कभी आपका साथ नहीं छोड़ता। ये बात इस फिल्म से साफ़ होती है। मॉडर्न ज़माने में भी जब परिवार के लोगो के पास एक दूसरे के लिए समय नहीं है, तब भी मुसीबत के समय में परिवार ही काम आता हैं।
- बाजीराव मस्तानी (2015)
आप चाहे जिस भी प्रतिस्पर्धा में हो, अपना जज़्बा और जोश कभी कम ना होने दे। दिल और दिमाग दोनों को संतुलित कर के ही हर फैसला ले। अपने काम और अपने प्यार के लिए हमेशा आवेशपूर्ण रहे।
- बेफिक्रे (2016)
इस मूवी से हम सीखते है कि हमे वो करना चाहिए जो हमें सही लगे। अपने दिल की सुननी चाहिए और बिना किसी की परवाह किए अपने चुने हुए राह पर चलना चाहिए। जब तक आपको संतुष्टि ना हो किसी भी चीज़ का फैसला नहीं लेना चाहिए।