Warren Hastings : एक अंग्रेज अफसर के प्रेम प्रसंग का भारत पर पड़ा असर, जानिए जलकुंभी की भारत पहुंचने की अनोखी कहानी
जलकुंभी पानी में उगने वाला एक ऐसा पौधा है जिसे नदियों, तालाबों, बांधों, झीलों आदि के लिए खतरनाक होता है। वैसे तो यह साधारण जलीय पौधा मीठे पानी के स्रोतों में ऑक्सीजन कम करके उन्हें बर्बाद कर देता है। इस समस्या से भारत जूझ रहा है।
Warren Hastings : जानिए जलीय पौधा जलकुंभी और वॉरेन हेस्टिंग्स के बीच का क्या है संबंध
जलकुंभी पानी में उगने वाला एक ऐसा पौधा है जिसे नदियों, तालाबों, बांधों, झीलों आदि के लिए खतरनाक होता है। वैसे तो यह साधारण जलीय पौधा मीठे पानी के स्रोतों में ऑक्सीजन कम करके उन्हें बर्बाद कर देता है। इस समस्या से भारत जूझ रहा है।
वॉरेन हेस्टिंग्स बंगाल के पहले गवर्नर जनरल –
ये कहानी साल 1769 की है। उस समय एक जहाज समुद्र में यात्रा करते हुए भारत की तरफ आ रही थी। इस जहाज पर एक अंग्रेज अफसर वॉरेन हेस्टिंग्स अपनी दूसरी यात्रा पर भारत आए थे। हेस्टिंग्स ने अपनी पत्नी मैरी को कुछ समय पहले ही खो दिया था। और अपनी जिंदगी के खालीपन के साथ यात्रा कर रहे थे। हेस्टिंग्स ने जहाज पर ही मौजूद एक सुंदर युवा महिला को देखा और उस पर मोहित हो गए। इस महिला का नाम मैरिएन इम्हॉफ था, जो एक मिनिएचर पेंटर कार्ल इम्हॉफ की पत्नी थीं। इस समुद्री यात्रा के बीच दोनों का प्रेम परवान चढ़ा। यह प्रेम कहानी एक खतरनाक प्रजाति के जलीय पौधे को भारत ले आई, जिसे ‘बंगाल का आतंक’ नाम से भी जाना जाता है। गया। इस यात्रा के कुछ वर्षों बाद ही वारेन हेस्टिंग्स बंगाल के पहले गवर्नर जनरल बनने वाले थे।
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मैरिएन इम्हॉफ और कार्ल का आपसी रिश्ता –
मैरिएन इम्हॉफ और वारेन हेस्टिंग्स के बीच बढ़ते रिश्ते को देखते हुए भी मैरिएन के पति कार्ल ने बदलते रिश्ते का विरोध नहीं किया था। आखिरकार छह महीने बाद, जहाज मद्रास पहुंच गया। यहां कॉर्ल ने अपनी पत्नी के साथ घरेलू जीवन-यापन शुरू कर दिया। लेकिन एक साल के भीतर ही मैरिएन परेशान रहने लगीं कि कार्ल अच्छा नहीं कर रहे थे। हेस्टिंग्स ने बेहतर संभावनाओं के लिए बंगाल जाने में कार्ल की सहायता की थी। इसके कुछ ही समय बाद हेस्टिंग्स बंगाल के गवर्नर बना दिया गया था। इसके बाद मैरियन और हेस्टिंग्स में प्रेम और बढ़ गया था। ऐसा कहा जाता है कि यह रिश्ता उसके पति की मौन सहमति से और गहरा होता चला गया था। कार्ल यूरोप वापस चले गए। मैरिएन ने अपने पहले जीवनसाथी को छोड़ने का फैसला कर लिया था। मैरिएन उससे सच्चा प्यार नही करती थी लेकिन उसे उसकी परवाह थी। लंबे समय अलग रहने के बाद भी उन्होंने तलाक के लिए अर्जी दी और बाद में काफी विवाद के बाद मैरियन और हेस्टिंग्स ने कानूनी तौर पर शादी कर लिया।
जलकुंभी कैसे आया भारत –
एक बार मैरियन को एक सुंदर बैंगनी फूल बहुत पसंद आया था। वह फूल दक्षिण अमेरिका के अमेजन घाटी में एक जलीय पौधे पर खिलता था। ऐसा कहा जाता है कि वारेन हेस्टिंग्स 18वीं शताब्दी के अंत में अपनी पत्नी को उपहार देने के लिए इस दक्षिण अमेरिकी जलीय पौधे को भारत लेकर आए थे। जिसे आज हम जलकुंभी के नाम से जानते हैं। जलकुंभी सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है, जो हर दो सप्ताह में आकार में दोगुना हो जाता है। वे जलमार्गों को अवरुद्ध कर देते हैं और अपने आसपास की मूल वनस्पति को खत्म कर देता है। बंगाल में यह इतना फैला है कि इसे बंगाल आतंक कहा जाने लगा।
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