फिल्म रिव्यू – गणित को आसानी से हल करना चाहते है तो शकुंतला देवी जरुरी देखें
बेबाक और जिंदादिल इंसान थी शकुंतला देवी जो अपने उसूलों पर खरी थी
फिल्म – शकुन्तला देवी
कास्ट – विद्या बालन, सान्या मल्होत्रा, जीशु सेनगुप्ता, अमित साध
डायरेक्टर – अनु मेनन
टाइप – ड्रामा
ओटीटी प्लेटफॉर्म – अमेजॉन प्राइम
अवधि – 2 घंटे 7 मिनट
स्टार – 3।5
अमेजॉन प्रॉइम पर रिलीज हुई फिल्म शकुंन्तला देवी देश की जानी मानी गणितज्ञ शकुन्तला देवी की जीवनी पर आधारित है। जिन्हें ‘ह्यूमन कंप्यूटर’ के नाम से भी जाना जाता है। सबसे तेजी से गणित हल करने के लिए इनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज किया गया । इनका जन्म 4 नवंबर 1929 को बैंगलुरु के एक कन्नड परिवार में हुआ था और मृत्यु 21 अप्रैल 2013।
कहानी
फिल्म एक बेबाक, जिंदादिल और अपने उसूलों पर चलने वाली लड़की की कहानी है । जिसकी शुरुआत एक लीगल लड़ाई से शुरु होती है और धीरे से आजादी से पहले की दुनिया में ले जाती है। जहां एक कन्नड परिवार की लड़की गणित के सवाल आसानी से हल कर लेती है। यह बात जब उसके पिता को पता चलती है तो वह अपनी बेटी की इस प्रतिभा का प्रयोग बखूबी करता है। छोटी उम्र में ही वह कई स्कूल, कॉलेज और यूनिर्वसिटी में अपनी प्रतिभा को दिखा चुकी होती है। लेकिन शकुंतला इस बात से खुश नहीं होती है वह भी अन्य बच्चों की तरह स्कूल में पढ़ना चाहती है। बेबाक जिदंगी जीना चाहती है और मां को भी गलत के लिए आवाज उठाने के लिए कहती है। बचपन के बाद जवानी आते-आते वह आसपास के इलाकों में प्रसिद्ध हो जाती है। लेकिन कहानी में मोड तब आता है जब एक लड़का उसे शादी का झासा देता और उसकी शादी कहीं और फिक्स हो गई होती है। इसी गुस्से में शकुंतला उसे गोली मार देती और बचने के लिए खुद इंग्लैंड चली जाती है। और यहीं से शुरु होता शकुंतला की प्रसिद्धि का सफर। अब वह गणित के सवालों का हल करती हुई एक से दूसरे देश घूमती है। लेकिन अपने घरवालों से एकदम दूर हो जाती है वह घुमते हुए भारत भी आती है लेकिन मां पिता से नहीं मिलती है। घरवालों के प्रति उसके मन में घृणा भर जाती है। इसी बीच उसकी शादी होती है लेकिन गणित और अपनी बच्ची के प्यार के कारण वह अपनी शादी को तोड़ देती है और दोबारा से अपने करियर को आगे बढ़ाती है। अब वह अपनी बेटी को भी पूरी दुनिया घुमाती है। लेकिन उसकी बेटी को यह सब पसंद नहीं आता है। मां और बेटी के बीच कभी नहीं बनती है। उनके रिश्ते में हमेशा कड़वाहट रहती है। लेकिन क्या यह कड़वाहट दूर होती है। यह जानने केलिए एक बार तो इस फिल्म को देखें।
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एक्टिंग
शकुंतला के रोल में विद्या बालन पूरी तरह से परफेक्ट दी थी। लाइफ के हर स्टेज पर बखूबी अपने किरदार को जीया है विद्या ने। साड़ी को वह लक्की समझती है जिसे वह हर प्रोग्राम में पहनती है। इसके अलावा दामाद के रोल में अमित साध सही है जो अभी कई फिल्मों में नजर आने वाले हैं। बेटी सान्या मल्होत्रा ने चिड़चिड़ी और बचपन न जी पाने की कशक में गुस्से और बाबा की याद में सही एक्सप्रेशन दिए हैं।
डायरेक्शन
फिल्म की शुरुआत गांव से होकर लंदन तक गई है। इसके साथ ही कोलकाता का सिर्फ हावड़ा ब्रिज दिखाया गया है। जबकि शहर को थोड़ा और हिस्सा शामिल करना चाहिए था। इंवेट और गणित हल को ज्यादा दिखाया गया है। जबकि शकुंतला देवी के जीवन के अन्य पहलुओं पर फोकस कम है। बदले दौर के साथ शकुंतला देवी का हेयर स्टाइल और गेटऑफ को सही पेश किया गया है
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