Narmada Jayanti 2024: 16 फरवरी को मनाई जाएगी नर्मदा जयंती, भोलेनाथ के पसीने से हुई थी उत्पत्ति, पढ़ें रोचक कथा
Narmada Jayanti 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, नर्मदा जयंती हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी।
Narmada Jayanti 2024: इस दिन मनाई जाएगी नर्मदा जयंती, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और स्नान के लाभ
सनातन धर्म में देवी नर्मदा की पूजा बहुत ही फलदायी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि उनके स्पर्श मात्र से लोगों के बड़े से बड़े पाप समाप्त हो जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, नर्मदा जयंती हर साल माघ माह में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है। इस साल नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी। तो चलिए इस खास मौके पर नर्मदा नदी में स्नान के लाभ के बारे में जानते हैं-
नर्मदा जयंती इस साल शुक्रवार यानी 16 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी। नर्मदा जयंती माघ शुक्ल की सप्तमी को होती है। पंचांग के अनुसार, 15 फरवरी को सुबह 10 बजकर 12 मिनट से सप्तमी तिथि शुरू हो जाएगी और 16 फरवरी सुबह 08:54 पर इसका समापन होगा। इस तरह से उदायतिथि के मुताबिक नर्मदा जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी।
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अमरकंकटक स्थान पर पूजा करना शुभ
भारत की पांच प्रमुख नदियों में गंगा के अलावा नर्मदा का भी विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं कि नर्मदा जयंती के दिन यदि सूर्योदय के दौरान नर्मदा नदी में डुबकी लगाई जाए तो स्वास्थ्य, धन, दौलत, सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। नर्मदा नदी में स्नान करने के बाद नदी में फूल, हल्दी और दीपक अर्पित करने चाहिए। ऐसा करना बहुत ही शुभ माना गया है और यह पूजा-पाठ मध्य प्रदेश के अमरकंकटक स्थान पर करना अधिक शुभ होता है।
स्नान करने से मिट जाएंगे सभी पाप
कहा जाता है कि इसी स्थान से नर्मदा नदी को उद्गम हुआ है और इसे शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार एक बार नाग राजाओं ने मिलकर मां नर्मदा को यह वरदान दिया था कि जो भी इस पवित्र नदी में स्नान करेगा उसके सभी पाप मिट जाएंगे। इसके साथ ही उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होगी।
इस तरह मनाई जाती है नर्मदा जयंती
नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी के सभी तटों को सजाया जाता है। नदी के तटों पर हवन किया जाता है। इस दिन मां नर्मदा के पूजन के बाद भंडारे का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही सुबह से शाम तक नदी के किनारे कई सारे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। संध्या में मां नर्मदा की महाआरती की जाती है। माना जाता है जो भक्त इस दिन मां नर्मदा का पूजन करते हैं उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है।
चारो वेदों में है नर्मदा नदी की महिमा का वर्णन
धार्मिक मान्यता है कि भगवान शिव के द्वारा मां नर्मदा का अवतरण हुआ था। नर्मदा नदी की महिमा का चारो वेदों में वर्णन है। इसके अलावा रामायण और महाभारत में भी इस नदी उल्लेख है। इसी दिव्य नदी के नर्मदेश्वर शिवलिंग विराजमान हैं, जो हिन्दू आस्था का बड़ा केन्द्र माना जाता है। मान्यता है कि इसी नदी के तट पर साधना करते हुए देवताओं और ऋषि-मुनियों ने सिद्धियां प्राप्त की थी।
नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में स्नान का लाभ
- नर्मदा जयंती पर नर्मदा नदी में स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
- यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो नर्मदा जयंती के दिन चांदी से बने नाग-नागिन का जोड़ा नर्मदा नदी में प्रवाहित करना चाहिए। इस उपाय से कालसर्प दोष दूर हो जाता है।
- नर्मदा जयंती के दिन नर्मदा नदी में स्नान के बाद पूजा-पाठ करें और संध्या में आरती या नर्मदा अष्टक का पाठ करना फलदायी माना जाता है।
पौराणिक कथा भी है प्रचलित
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, जब देवताओं ने अंधकासुर नाम के राक्षस का वध किया था। तो उस समय उस राक्षसी वध करने के दौरान देवताओं ने कई पाप किये थे, जिस कारण सभी देवता पाप में लिप्त थे। वह अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसका कोई विकल्प समझ नहीं आ रहा था। तब उन्हें महादेव का स्मरण आया और उन्हें ज्ञात हुआ कि सिर्फ भगवान शिव ही उन्हें इस मुश्किल से बाहर निकाल सकते हैं। यह सोचकर सभी देवता भगवान विष्णु और ब्रह्मा सहित भगवान शिव के पास पहुंचे।
भगवान शिव से देवताओं ने की विनती
उन्होंने भगवान शिव को अपने पाप कर्मों की कथा सुनाई और उनसे विनती की कि वह उनके पाप दूर करने का कोई उपाय बताएं। भगवान शिव उस समय ध्यान में लीन थे। मगर जैसे ही महादेव ने अपनी आंखें खोली तो उनकी आंखों से एक चमकता बिंदु उत्पन्न हुआ और पृथ्वी पर अमरकंटक स्थान के मेकल पर्वत पर जा गिरा। इस बिंदु के गिरने से एक कन्या ने जन्म लिया।
पसीने से हुई थी उत्पत्ति
यह कन्या परम रूपवती थी। इसका नाम भगवान विष्णु और देवताओं द्वारा नर्मदा रखा गया। इस तरह भगवान शिव ने सभी देवताओं के अनुरोध पर नर्मदा नदी को उनके पापों को नष्ट करने के लिए उत्पन्न किया। मां नर्मदा के उत्पन्न होने को लेकर एक और कथा प्रचलित है। इसके अनुसार, एक दिन भगवान शिव तपस्या में लीन थे। तब उनके शरीर से पसीना निकलने लगा, जो इतना अधिक था कि वह एक नदी के रूप में बहने लगा। वहीं नदी नर्मदा कहलाई गई।
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